illegal App : फर्जी लोन ऐप्स पर ऐसे लगेगी लगाम, आ रहा है RBI का DIGITA!

Online Fraud पर रोकथाम के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया काफी गंभीर होता नजर आ रहा है। इसके लिए आरबीआई डिजिटल इंडिया ट्रस्ट एजेंसी की स्थापना करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है...

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Sandeep Kumar
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NEW DELHI. देश में अवैध लोन देने वाले ऐप तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही साइबर फ्रॉड के मामलों में में बढ़ोतरी देखी गई है। बढ़ती साइबर धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) ने कमर कस ली है। डिजिटल ऋण क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए एक गहन वेरिफिकेशन प्रोसेस की उम्मीद है, जिसमें धोखाधड़ी गतिविधियों और अनैतिक प्रथाओं में वृद्धि देखी गई है। आरबीआई ने आईटी मंत्रालय को गूगल की वाइटलिस्ट के लिए 442 डिजिटल लोन देने वाले फर्जी एप्स को हटाने के लिए चिठ्ठी लिखी है। इसके साथ ही ऑनलाइन फ्रॉड पर रोकथाम के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( RBI ) डिजिटल इंडिया ट्रस्ट एजेंसी यानी डीआईजीआईटीए ( DIGITA ) की स्थापना करने जा रही है। 

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क्या है DIGITA?

पिछले कुछ समय से ऐसे लेंडिंग ऐप्स की बाढ़ आ गई है। लोग इनके झांसे में आसानी से फंस रहे हैं. जो ऐप्स लीगल होंगे उन्हें डिजिटा पर एक 'वेरिफिकेशन' मार्क दिया जाएगा। जिन्हें ये साइन नहीं मिलेगा उन ऐप्स को कानून प्रवर्तन उद्देश्यों के लिए अनधिकृत माना जाएगा।  एक बार स्थापित होने के बाद, DIGITA को रेगुलेशन सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स की जांच करने का काम सौंपा जाएगा। प्रस्तावित एजेंसी का उद्देश्य डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स को सत्यापित करना और सत्यापित ऐप्स का सार्वजनिक रजिस्टर बनाए रखना होगा।

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DIGITA को मिलेगी लोन देने वाले ऐप की जांच की जिम्मेदारी

इससे डिजिटल क्षेत्र में फाइनेंशियल क्राइम के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि डीआईजीआईटीए को डिजिटल लोन देने वाले ऐप की जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। सूत्रों के अनुसार इस सत्यापन प्रक्रिया से डिजिटललोन क्षेत्र के भीतर अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही पैदा करने में मदद करेगी।

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गूगल ने पॉलिसी में किया है बदलाव

गूगल ने प्ले स्टोर पर लोन ऐप्स के इंफोर्समेंट को लेकर अपनी पॉलिसी को अपडेट किया है और केवल उन ऐप्स को अनुमति दी गई है जो आरबीआई की रेगुलेटेड एंटिटी (RE) या RE के साथ पार्टनरशिप में काम कर रहे हैं।  गूगल द्वारा इस पॉलिसी में बदलाव आरबीआई और वित्त मंत्रालय के तहत डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (DFS) के अनुरोध पर किया गया है। 

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