भारत में खत्म हो रहे ये 4 पुराने कानून, देश में बिना वीजा-पासपोर्ट एंट्री पर कड़ी सजा

केंद्र सरकार ने इमिग्रेशन और फॉरनर्स बिल 2025 लोकसभा में पेश किया है। इसका मकसद देश की सुरक्षा को और मजबूत बनाना है। इस बिल से विदेशियों की तरफ से अब नियमों कानूनों का पालन न करने पर सख्त कार्रवाई की जा सकेगी

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Rohit Sahu
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गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में इमिग्रेशन और फॉरनर्स बिल 2025 पेश किया है, जिसका उद्देश्य भारत में आने-जाने और रहने से संबंधित नियमों को स्पष्ट और सख्त बनाना है। यह बिल राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विदेशी नागरिकों के प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। नित्यानंद राय ने लोकसभा में कहा कि यह बिल किसी को रोकने के लिए नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए है कि जो लोग भारत आते हैं, वे देश के कानूनों का पालन करेंगे।

नियम तोड़ने पर कड़ी सजा

नए कानून के तहत, विदेशी नागरिकों को भारत में प्रवेश और रहने के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। नियम तोड़ने पर कड़ी सजा हो सकती है, जैसे कि जेल और जुर्माना। सजा की अवधि और जुर्माने की राशि अपराध की गंभीरता पर निर्भर करेगी। 
  • बिना सही पासपोर्ट और दस्तावेजों के भारत में घुसने पर: 5 साल तक की जेल और 5 लाख रुपए तक का जुर्माना।
  • जाली पासपोर्ट या वीज़ा का इस्तेमाल करने पर: 7 साल तक की कैद और 1 लाख रुपए से 10 लाख रुपए तक का जुर्माना।
  • वीज़ा खत्म होने के बाद भी रुकने या प्रतिबंधित इलाकों में जाने पर: 3 साल तक की जेल और 3 लाख रुपए तक का जुर्माना।

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नए बिल में सरकार के पास ये अधिकार 

  • बिना वारंट गिरफ्तारी: इमिग्रेशन अधिकारी बिना वारंट के किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं।
  • भारत छोड़ने पर रोक: सरकार को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी व्यक्ति के भारत छोड़ने पर रोक लगा सके, अगर उसकी उपस्थिति किसी जांच एजेंसी के लिए जरूरी हो।
  • विदेशी नागरिकों की निगरानी: सरकार विदेशी नागरिकों की गतिविधियों पर निगरानी रख सकेगी और उनके पंजीकरण की प्रक्रिया को सख्त बना सकेगी।
  • वीज़ा और पासपोर्ट नियमों का सख्ती से पालन: सरकार वीज़ा और पासपोर्ट नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करेगी और उनके उल्लंघन पर सख्त सजा देगी।
इमिग्रेशन और फॉरनर्स बिल 2025 को लेकर विपक्षी दलों ने गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इसे असंवैधानिक बताया, यह कहते हुए कि यह कानून सरकार की विचारधारा से असहमत लोगों को भारत में प्रवेश से रोकने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने चिंता जताई कि यह कड़ा कानून भारत में आने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं के लिए एक बड़ी बाधा बन सकता है। विपक्ष का मानना है कि यह कानून संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है और इसका विरोध किया जाना चाहिए।

चार प्रमुख पुराने कानून होंगे खत्म

  • विदेशी अधिनियम, 1946: यह कानून विदेशी नागरिकों के प्रवेश और रहने के नियमों को नियंत्रित करता था।
  • पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920: यह कानून पासपोर्ट और यात्रा दस्तावेजों के उपयोग को विनियमित करता था।
  • फॉरनर्स रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1939: यह कानून विदेशी नागरिकों के पंजीकरण और निगरानी को नियंत्रित करता था।
  • इमिग्रेशन अधिनियम, 2000: यह कानून भारत में प्रवेश और रहने के नियमों को विनियमित करता था।
 
नए कानून लाने के पीछे सरकार का तर्क है कि नया कानून भारत की सुरक्षा और इमिग्रेशन प्रणाली को अधिक व्यवस्थित और आधुनिक बनाएगा। हालांकि, विपक्ष को डर है कि यह कानून सरकार के लिए एक सख्त नियंत्रण उपकरण बन सकता है।
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