पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराने का क्या है महत्व, इन पशुओं को भी कराया जाता है भोजन

पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इन दिनों में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करके पूर्वजों को यह बताया जाता है कि आज भी वह परिवार का हिस्सा हैं।

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Dolly patil
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पितृ पक्ष में ही कौवे को भोजन
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हिंदू धर्म में पितृ पक्ष ( Pitru Paksha  ) का बहुत महत्व माना जाता है। इस साल Pitru Paksha की शुरुआत 17 सितंबर से हो चुकी है। पितृपक्ष के दौरान पितरों की तिथि के अनुसार तर्पण, पिंडदान ( pind daan )  और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है और उनका मनपसंद भोजन भी तैयार किया जाता है।

बता दें कि पितृपक्ष का यह पर्व आमतौर पर भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्ण पक्ष (  Ashwin Krishna Paksha ) अमावस्या तक यानी कुल 16 दिनों तक चलता है। ये तो हम सब जानते हैं कि पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन ऐसा क्यों तो आइए आज जानते हैं कि पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराना क्यों जरूरी है। 

पितरों का प्रतीक होता है कौवा

हिंदू धर्म में कौवों को पितरों का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि यह मान्यता है कि पितरों की आत्माएं कौए के रूप में आकर अपने वंशजों से भोजन और पूजा ग्रहण करती हैं। यह मान्यता श्राद्ध और पितृ पक्ष के दौरान विशेष रूप से प्रचलित है।

जानकारी के मुताबिक कौए बिना थके लंबी दूरी की यात्रा तय कर सकते हैं। ऐसे में किसी भी तरह की आत्मा कौए के शरीर में वास कर सकती है और एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकती है। इन्हीं कारणों के चलते पितृ पक्ष में कौए को भोजन कराया जाता है। हालांकि ऐसी भी मान्यता है कि किसी व्यक्ति की मौत होती है तो उसका जन्म कौवे की योनि में होता है। 

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भगवान राम से है संबंध 

कौए का संबंध भगवान राम से भी माना जाता है। जिसका जिक्र एक पौराणिक कथा में किया गया है। कथा के अनुसार, एक बार एक कौए ने माता सीता के पैर में चोंच मार दी थी। इसके कारण माता सीता के पैर में घाव हो गया। माता सीता को पीड़ा में देख कर भगवान राम क्रोधित हो गए और उन्होंने तीर चलाकर उस कौवे को घायल कर दिया। इसके बाद जब कौवे को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने माता सीता और प्रभु श्रीराम से माफी मांगी।  प्रभु श्रीराम ने कौए को तुरंत माफ कर दिया और वरदान दिया कि अब तुम्हारे ही माध्यम से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होगी।  

इन्हें भी कराया जाता है भोजन

आपको बता दें कि पितृ पक्ष में गाय, कुत्ता और चींटी को भी भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है। पितृ पक्ष में गाय को भोजन कराने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और परिवार पर उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।  इसके अलावा, पितृ पक्ष में कुत्ते को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है।  

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