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2021 में भारत में कोविड-19 महामारी के दौरान मृत्यु दर में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई थी। नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) द्वारा जारी आंकड़ों से यह साबित हो गया है कि कोविड-19 के कारण हुई मौतों का वास्तविक आंकड़ा सरकारी अनुमानों से कहीं अधिक था।
2021 में, 2019 के मुकाबले भारत में 25.8 लाख अधिक मौतें हुईं, जो कि कोविड-19 से पहले का आखिरी वर्ष था। दूसरी ओर मध्यप्रदेश को लेकर भी बड़ी हकीकत उजागर हुई है।
जहां 2021 में कुल 6927 मौतों का कारण कोरोना माना गया था, वही CRS की रिपोर्ट बताती है कि उस वक्त बीमारी के कारण एक लाख 26 हजार 774 मौतें हुई थीं।
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कोविड से हुई मौतें और वास्तविक आंकड़े
गुजरात, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कोविड से हुई मौतों और रिपोर्ट किए गए आंकड़ों में सबसे अधिक अंतर देखने को मिला है।
गुजरात में, जहां 2021 में कोविड से केवल 5,800 मौतें हुईं, वहां वास्तविक मौतों की संख्या लगभग 2 लाख अधिक थी, जो कि आधिकारिक आंकड़े से 33 गुना ज्यादा थी।
2021 में भारत में कोविड-19 महामारी के दौरान मृत्यु दर में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई थी। नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) द्वारा जारी आंकड़ों से यह साबित हो गया है कि कोविड-19 के कारण हुई मौतों का वास्तविक आंकड़ा सरकारी अनुमानों से कहीं अधिक था।
2021 में, 2019 के मुकाबले भारत में 25.8 लाख अधिक मौतें हुईं, जो कि कोविड-19 से पहले का आखिरी वर्ष था। दूसरी ओर मध्यप्रदेश को लेकर भी बड़ी हकीकत उजागर हुई है।
जहां 2021 में कुल 6927 मौतों का कारण कोरोना माना गया था, वही CRS की रिपोर्ट बताती है कि उस वक्त बीमारी के कारण एक लाख 26 हजार 774 मौतें हुई थीं।
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कोविड से हुई मौतें और वास्तविक आंकड़े
गुजरात, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कोविड से हुई मौतों और रिपोर्ट किए गए आंकड़ों में सबसे अधिक अंतर देखने को मिला है।
गुजरात में, जहां 2021 में कोविड से केवल 5,800 मौतें हुईं, वहां वास्तविक मौतों की संख्या लगभग 2 लाख अधिक थी, जो कि आधिकारिक आंकड़े से 33 गुना ज्यादा थी।
मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी यह अंतर चौंकाने वाला था- यहां कोविड से हुई मौतों का आंकड़ा आधिकारिक तौर पर 18 गुना और 15 गुना कम था।
बिहार, राजस्थान, झारखंड और आंध्र प्रदेश में भी स्थिति में बड़ी विसंगति थी, जहां आधिकारिक आंकड़ों से दस गुना अधिक मौतें दर्ज की गईं।
नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS- Civil Registration System ) पर आधारित भारत के महत्वपूर्ण आंकड़ों पर रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत ने 2021 के कोविड वर्ष में 2019 की तुलना में लगभग 25.8 लाख अधिक मौतें दर्ज कीं, जो कि कोविड से पहले का आखिरी साल था।
कोविड से हुई मौतों का वास्तविक डाटा
रिपोर्ट के मुताबिक अगर हम 2019 के आंकड़ों को आधार मानें तो जनसंख्या में प्राकृतिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, 2021 में लगभग 20 लाख अतिरिक्त मौतें हुईं।
यह संख्या आधिकारिक कोविड मृत्यु संख्या 3.3 लाख से छह गुना अधिक है। हालांकि इन अतिरिक्त मौतों के कारण सिर्फ कोविड नहीं था, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, अन्य बीमारियों के उपचार में देरी और मानसिक स्वास्थ्य के संकट जैसे अन्य कारण भी थे।
मृत्यु दर की वास्तविक स्थिति
मध्य प्रदेश में, सरकार द्वारा रिपोर्ट किए गए कोविड-19 से हुई मौतों का आंकड़ा लगभग 6 हजार 9 सौ था, जबकि वास्तविक अतिरिक्त मौतें 1.3 लाख थीं।
पश्चिम बंगाल में कोविड से 10 हजार से कुछ अधिक मौतें दर्ज की गईं, जबकि वास्तविक अतिरिक्त मौतों की संख्या 1.5 लाख से अधिक थी।
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कोविड के अप्रत्यक्ष प्रभाव
CRS (Civil Registration System) रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 वर्ष 2021 में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण था, जो कुल मौतों का 17.3% जिम्मेदार था। हालांकि, संचार प्रणाली की बीमारियों से संबंधित मौतें कुल चिकित्सकीय प्रमाणित मौतों का 29.8% थीं।
इस रिपोर्ट में प्रमाणित कोविड मौतों की संख्या 4.1 लाख थी, जो कि भारत के सरकारी आंकड़ों से कहीं अधिक थी।
डब्ल्यूएचओ का अनुमान और सरकार का विरोध
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2021 में भारत में कोविड-19 के कारण होने वाली अतिरिक्त मौतों का अनुमान 26.6 लाख से लेकर 54.8 लाख तक लगाया था, लेकिन इस अनुमान को भारत सरकार ने खारिज कर दिया था।
सरकार ने इसे आधारहीन बताया और कोविड से हुई मौतों के आधिकारिक आंकड़ों को स्वीकार किया। लेकिन अब सीआरएस रिपोर्ट ने इन दावों को गलत साबित कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सरकारी आंकड़े वास्तविकता से बहुत दूर थे।
भारत में अतिरिक्त मौतें: वैश्विक तुलना
भारत में 2020 और 2021 में हुई अतिरिक्त मौतों का आंकड़ा अपेक्षित से 9.3% अधिक था, जो कि अमेरिका, इटली और रूस जैसे देशों की तुलना में कम था।
हालांकि, अन्य उच्च आय वाले देशों जैसे यूएस, इटली और रूस में यह प्रतिशत कहीं अधिक था, फिर भी भारत की स्थिति चिंताजनक रही।
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कोविड-19 महामारी की शुरुआत
कोविड-19 महामारी की शुरुआत दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से हुई थी, जब वहां से फैलकर यह वायरस दुनियाभर में फैल गया। जनवरी 2020 में भारत में पहला कोविड केस सामने आया और फिर तेजी से यह महामारी देश के विभिन्न हिस्सों में फैल गई।
सरकार ने मार्च 2020 में लॉकडाउन की घोषणा की, जिससे संक्रमण को रोकने की कोशिश की गई, लेकिन वायरस के फैलने की गति तेज रही।
कोविड-19 ने वैश्विक स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और समाज को बुरी तरह प्रभावित किया, जिसके कारण लाखों लोग संक्रमित हुए और कई की जान भी गई। भारत में कोविड के मामलों में अत्यधिक वृद्धि हुई और 2021 तक स्थिति और गंभीर हो गई।
भारत में 2021 में कोविड-19 के कारण हुई मौतों का आधिकारिक आंकड़ा अब सवालों के घेरे में है। सीआरएस रिपोर्ट ने इस तथ्य को उजागर किया है कि सरकार द्वारा बताए गए आंकड़े और वास्तविकता में बड़ा अंतर था।
यह रिपोर्ट उस समय के सरकार के प्रयासों को चुनौती देती है, जिन्होंने इन दावों का विरोध किया था और इसे 'विकृत' बताया था। अब यह साबित हो चुका है कि कोविड-19 ने भारतीय समाज को न केवल सीधे तौर पर, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से भी प्रभावित किया है।
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