भले ही कोरोना (Covid) पर काबू पा लिया गया हो लेकिन ये वायरस अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal) की एक नई स्टडी के अनुसार, कोरोना वायरस (Corona) संक्रमित व्यक्ति के मल के जरिए सीवेज में जा सकता है और वहां लंबे समय तक सक्रिय रह सकता है। जिससे संक्रमण का खतरा पैदा हो सकता है।
संक्रमण का नया खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सीवेज में वायरस (Covid) की मात्रा बढ़ जाती है, तो इससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है। गंदे पानी के संपर्क में आने पर यह नए रूप में विकसित होकर फिर फैल सकता है। इस स्टडी के आधार पर भारत में एक अर्ली वार्निंग सिस्टम (Early Warning System) विकसित किया जा रहा है, जिससे संक्रमण के बढ़ने के संकेत पहले ही मिल सकें।
स्टडी में ये बातें आई सामने
ICMR ने Report में बताया कि कोरोना वायरस (Covid) संक्रमित व्यक्ति के मल के जरिए सीवेज में पहुंचकर लंबे समय तक जीवित रह सकता है। 2022 से 2024 के बीच 308 मरीजों के स्टूल सैंपल की जांच में 22% (68 मरीजों) में पहले हफ्ते तक वायरस का आरएनए (RNA) मौजूद मिला। सीवेज में मिले वायरस की सीक्वेंसिंग से कई नए वेरिएंट (Variants) की पहचान हुई। सफाई व्यवस्था कमजोर होने पर संक्रमण फैलने का खतरा अधिक हो जाता है।
भोपाल और अन्य शहरों में जांच
भोपाल में शाहपुरा एसटीपी (Shahpura STP), प्रोफेसर कॉलोनी (Professor Colony), हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) और एम्स भोपाल सहित कई इलाकों के सीवेज सैंपल की जांच की गई। इनमें कोरोना वायरस के अंश (RNA) पाए गए, जो कई दिनों तक सक्रिय रह सकते हैं। आईसीएमआर ने देशभर में सीवेज सैंपल टेस्टिंग के लिए 8 सेंटर बनाए हैं, जहां इस तरह की निगरानी की जा रही है।
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अमेरिका की तरह बनेगा अर्ली वार्निंग सिस्टम
आईसीएमआर इस स्टडी के आधार पर एक ऐसा अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित कर रहा है, जो संक्रमण (कोविड) के संकेत पहले ही दे सके। अमेरिका में ऐसा सिस्टम पहले से लागू है, जहां कोरोना समेत अन्य संक्रामक बीमारियों की निगरानी की जाती है। अब भारत में भी बड़े शहरों में इसी तरह डेटा जुटाया जा रहा है, ताकि किसी भी नए संक्रमण का पता पहले ही लगाया जा सके।
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