एक देश, एक समय लागू करने की तैयारी में केंद्र, नियम तोड़ने पर जुर्माना, जानिए फायदे

इस नियम के लागू होने के बाद, सभी सरकारी और वाणिज्यिक संस्थानों को IST का पालन करना अनिवार्य होगा। प्रस्तावित नियमों में वाणिज्यिक, कानूनी अनुबंध, परिवहन, वित्तीय संचालन जैसे क्षेत्रों में IST के प्रयोग की सिफारिश की गई है।

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Sourabh Bhatnagar
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केंद्र सरकार भारत में 'एक देश, एक समय' लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसके लिए भारतीय मानक समय (IST) को अनिवार्य बनाने के लिए एक मसौदा तैयार किया गया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर आम जनता से राय मांगने के लिए 14 फरवरी तक का समय दिया है। यदि यह नियम लागू होते हैं, तो सभी सरकारी और वाणिज्यिक प्लेटफार्मों को समय के संदर्भ में IST का पालन करना अनिवार्य होगा।

नियमों में क्या-क्या होगा?

प्रस्तावित नियमों में वाणिज्यिक, परिवहन, कानूनी अनुबंध, लोक प्रशासन और वित्तीय संचालन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में IST के अनिवार्य उपयोग की सिफारिश की गई है। इसके अतिरिक्त, अन्य प्रमुख प्रावधानों में आधिकारिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किसी अन्य समय संदर्भ का प्रयोग नहीं करने, सरकारी दफ्तरों और सार्वजनिक संस्थाओं में IST का अनिवार्य पालन करने, और विश्वसनीयता और साइबर सुरक्षा के लिए टाइम सिंक्रोनाइजेशन प्रणाली का प्रयोग शामिल है।

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क्यों बनाए जा रहे हैं ये नियम?

सरकार का मुख्य उद्देश्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे दूरसंचार, बैंकिंग, रक्षा, और 5G जैसी उभरती तकनीकों में समय की सटीकता को बेहतर बनाना है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि "रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों के लिए नैनोसेकंड की सटीकता से समय का निर्धारण जरूरी है।" खगोलशास्त्र, नेविगेशन और वैज्ञानिक अनुसंधान जैसे विशेष क्षेत्रों में समय संबंधी अपवादों की अनुमति दी जाएगी, जिसके लिए सरकारी मंजूरी आवश्यक होगी।

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नियम तोड़ने पर जुर्माना लगेगा

मंत्रालय IST के सृजन और प्रसार के लिए राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ मिलकर एक मजबूत तंत्र तैयार कर रहा है। यदि कोई संस्था या व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके साथ ही समय-समय पर ऑडिट के माध्यम से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। आम जनता को भी 14 फरवरी तक अपने सुझाव और टिप्पणियां देने का अवसर मिलेगा।

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भारत में IST का इतिहास और वर्तमान स्थिति

भारत में आजादी के बाद से ही आधिकारिक तौर पर IST का प्रयोग किया जा रहा है, जो समन्वित सार्वभौमिक समय (UTC) से साढ़े 5 घंटे आगे है। हालांकि, भारत की भौगोलिक विशालता को देखते हुए समय क्षेत्र की अलग-अलग मांग उठती रही है, क्योंकि देश के पूर्व और पश्चिम हिस्से में सूरज उगने के समय में डेढ़ घंटे तक का फर्क होता है। फिलहाल, असम के चाय बागान IST से एक घंटा आगे का समय अपनाते हैं।

FAQ

1. 'एक देश, एक समय' का उद्देश्य क्या है?
 इसका उद्देश्य पूरे देश में भारतीय मानक समय (IST) को अनिवार्य बनाना है, ताकि समय की सटीकता और समन्वय में सुधार हो सके।
2. क्या इस नियम से असम जैसे क्षेत्रों को कोई असर पड़ेगा?
असम के चाय बागानों का समय IST से एक घंटा आगे है, लेकिन विशेष अनुमतियों के साथ ऐसे क्षेत्र इसके दायरे से बाहर रह सकते हैं।
3. नियम लागू होने के बाद किसे जुर्माना लगेगा?
यदि कोई व्यक्ति या संस्था IST के उपयोग के नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे जुर्माना भरना पड़ेगा।
4. इस नियम का क्या लाभ होगा?
इस नियम से दूरसंचार, बैंकिंग, और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में समय की सटीकता बढ़ेगी और साइबर सुरक्षा को बेहतर बनाया जाएगा।
5. आम लोग इस पर अपने विचार कैसे दे सकते हैं?
 उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय 14 फरवरी तक आम जनता से सुझाव और टिप्पणियां प्राप्त कर रहा है।

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