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Photograph: (the sootr)
New Delhi.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच एक बड़े समझौते पर मुहर लगी है।इस समझौते से भारत और रूस के रिश्तों में एक नया अध्याय जुड़ गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पीएम मोदी ने चेन्नई से व्लादिवोस्तोक तक एक नया समुद्री मार्ग खोलने पर चर्चा की।
यह कॉरिडोर 10,370 किलोमीटर लंबा होगा, जो पहले के पुराने मार्ग से कहीं कम है। इसके चलते भारतीय जहाज अब रूस तक सिर्फ 24 दिनों में पहुंच सकेंगे, जबकि पहले यह यात्रा 40 दिन लेती थी। इस समझौते से 5,700 किमी की बचत होगी। यह कॉरिडोर भारत-रूस व्यापार के लिए एक गेमचेंजर साबित हो सकता है।
चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर से 16 दिन की बचत
इस नए समुद्री मार्ग के शुरू होने से भारत का रूस तक पहुंचने का रास्ता बहुत आसान हो जाएगा। फिलहाल, भारत से रूस तक के पारंपरिक मार्ग में लगभग 16,060 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। इसमें 40 दिन लगते हैं। नए रूट से यह समय घटकर सिर्फ 24 दिन रह जाएगा। यानी भारत को सीधे 16 दिन की बचत होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नया रूट सुरक्षित, तेज और भरोसेमंद होगा। ग्लोबल तनाव के चलते कई पुराने समुद्री मार्ग जोखिमपूर्ण हैं। ऐसे में यह नया रूट एक मजबूत विकल्प बन सकता है।
यह नया कॉरिडोर भारत-रूस व्यापार के लिए गेमचेंजर साबित होगा। चेन्नई से यह रूट मलक्का खाड़ी, दक्षिण चीन सागर और जापान सागर से होते हुए व्लादिवोस्तोक पहुंचेगा।
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अभी इन मार्गों से होता है व्यापार
भारत-रूस पारंपरिक मार्ग:
यह रास्ता मुंबई से स्वेज नहर होते हुए सेंट पीटर्सबर्ग तक जाता है, जिसकी लम्बाई 16,060 किलोमीटर है।
युद्ध और अन्य राजनीतिक तनावों की वजह से यह आज सबसे जोखिमभरा, लंबा और महंगा मार्ग माना जाता है।
इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रेड कॉरिडोर (INSTC):
यह 7,200 किलोमीटर लम्बा मल्टी-मॉडल कॉरिडोर है।
यह मुंबई से ईरान, अजरबैजान होते हुए रूस के वोल्गोग्राद तक पहुंचता है।
यह मार्ग माल ढुलाई का समय घटाकर 25-30 दिन कर देता है, जो पारंपरिक रूट से सस्ता है, लेकिन ईरान की वजह से यहां भी तनाव की स्थिति बनी रहती है।
2030 तक 100 अरब डॉलर का लक्ष्य
पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच 5 दिसंबर को हुई बैठक में दोनों देशों ने एक बड़ा लक्ष्य तय किया। यह लक्ष्य था भारत और रूस के बीच व्यापार को 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाए। वर्तमान में दोनों देशों के बीच व्यापार करीब 60 अरब डॉलर का व्यापार होता है।
पुतिन के भारत दौरे पर हुए यह समझौते
पुतिन के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते भी हुए हैं। जो दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करेंगे:
मैनपावर मोबिलिटी: दोनों देशों के नागरिक अब एक-दूसरे के देशों में अस्थायी रूप से काम कर सकेंगे। इससे वैध रोजगार बढ़ेगा और अवैध तरीके से आने-जाने पर रोक लगेगी।
हेल्थकेयर और मेडिकल एजुकेशन: स्वास्थ्य सेवाओं में सहयोग और मेडिकल एजुकेशन में पार्टनरशिप बढ़ेगी। दोनों देशों में जॉइंट रिसर्च और कैंसर जैसी बीमारियों पर काम किया जाएगा।
फूड सेफ्टी समझौता: FSSAI और रूस की उपभोक्ता सुरक्षा एजेंसी के बीच फूड क्वालिटी सुनिश्चित करने का समझौता हुआ है, जिससे दोनों देशों के बीच खाद्य सुरक्षा बढ़ेगी।
शिपिंग और पोर्ट कनेक्टिविटी: दोनों देशों के बीच शिपिंग और पोर्ट कनेक्टिविटी को मजबूत किया जाएगा। इस समझौते से व्यापार और आसान हो जाएगा।
फर्टिलाइजर समझौता: भारत और रूस के बीच उर्वरक सप्लाई समझौता होगा। भारत को यूरिया और पोटाश जैसी चीजों की नियमित और समय पर सप्लाई होगी।
एमपी के व्यापारियों को भी मिलेगा फायदा
भारत-रूस व्यापारिक समझौता और नए समुद्री मार्ग से मध्यप्रदेश को भी फायदा होगा। एमपी से बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार का सामान रूस भेजा जाता है, जैसे:
1,00,000 टन से ज्यादा कच्चा माल
50,000 टन से अधिक ऑटो-पार्ट्स
20,000 टन मशीनरी
15,000 टन कृषि उत्पाद
इस नए मार्ग के जरिए एमपी के व्यापारियों को माल भेजने में समय की बचत होगी और व्यापार की लागत भी घटेगी।
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MP से रूस को निर्यात होने वाले मुख्य सामान
1. कृषि उत्पाद (Agricultural Products)
सोयाबीन उत्पाद: MP से सोयाबीन मील और प्रोसेस्ड सोया उत्पाद रूस जैसे देशों में निर्यात होते हैं, जहां पशु आहार और खाद्य उद्योग में इनकी मांग है।
मसाले (Spices): MP धनिया (Coriander), मिर्च (Chilli) और अन्य मसालों के उत्पादन का एक बड़ा केंद्र है। इन मसालों की प्रोसेसिंग के बाद इन्हें निर्यात किया जाता है।
अनाज: गेहूं और चावल (बासमती और गैर-बासमती) की प्रोसेसिंग यूनिट्स MP में हैं, जिनका एक हिस्सा विदेशी बाज़ारों, जिनमें रूस भी शामिल है, तक पहुँचता है।
2. फार्मास्युटिकल्स (Pharmaceuticals)
दवाएं और फॉर्मूलेशन: इंदौर और पीथमपुर जैसे क्षेत्रों में कई फार्मा कंपनियां हैं। भारत रूस को जेनरिक दवाएं और फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन का बड़ा निर्यातक है, जिसमें MP की कंपनियों का भी योगदान रहता है।
3. ऑटो-पार्ट्स और इंजीनियरिंग सामान (Auto-Parts & Engineering Goods)
ऑटो कंपोनेंट्स: इंदौर-पीथमपुर ऑटोमोटिव हब कहलाता है। यहां से निर्मित कई इंजीनियरिंग गुड्स और ऑटो कंपोनेंट्स (जैसे इंजन पार्ट्स, गियरबॉक्स कंपोनेंट्स) भारतीय ऑटो निर्यात का हिस्सा बनते हैं, जो रूस के बाज़ार तक पहुंचते हैं।
मशीनरी पार्ट्स: कुछ विशिष्ट प्रकार की मशीनरी और उनके स्पेयर पार्ट्स भी यहां की MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) यूनिट्स द्वारा रूस के लिए तैयार किए जाते हैं।
4. टेक्सटाइल्स और गारमेंट्स (Textiles and Garments)
सूती वस्त्र और कपड़े: मालवा क्षेत्र कपड़ा उद्योग के लिए जाना जाता है। यहां से कच्चा माल (कपास) और फिनिश्ड टेक्सटाइल दोनों ही निर्यात श्रृंखला में शामिल होते हैं।
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भारत रूस से क्या सामान मंगवाता है?
भारत रूस से उन सामानों का आयात करता है, जो देश की ऊर्जा और औद्योगिक जरूरतों के लिए जरूरी हैं।
कच्चा तेल और पेट्रोलियम उत्पाद: रूस अब भारत के लिए सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया है। यह आयात भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग को लिए जरूरी है।
प्राकृतिक गैस और कोयला: भारत अपनी ऊर्जा उत्पादन और इस्पात उद्योग के लिए बड़ी मात्रा में कोयला और नेचुरल गैस रूस से आयात करता है।
उर्वरक : देश की कृषि ज़रूरतें पूरी करने के लिए, भारत रूस से बड़ी मात्रा में पोटाश और फॉस्फेट आधारित उर्वरकों का आयात करता है। फर्टिलाइजर समझौता इसी को सुनिश्चित करता है।
रक्षा उपकरण और सैन्य हार्डवेयर: भारत के लिए रूस रक्षा उपकरणों का एक सबसे भरोसेमंद और बड़ा सप्लायर रहा है। इसमें फाइटर जेट्स, टैंक और मिसाइल सिस्टम शामिल हैं।
बहुमूल्य रत्न और धातु : इसमें सोना और हीरे जैसी चीजें शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल भारतीय ज्वैलरी उद्योग में होता है।
परमाणु ऊर्जा तकनीक : कुडनकुलम जैसे न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के लिए तकनीक और ईंधन की सप्लाई रूस ही करता है।
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भारत रूस को क्या सामान भेजता है?
भारत रूस को मुख्य रूप से तैयार माल और वैल्यू एडेड प्रोडक्ट (Value-added Products) निर्यात करता है।
फार्मास्युटिकल्स और दवाएं : रूस के बाजार में भारतीय दवाइयां बहुत लोकप्रिय हैं। भारत जेनेरिक दवाओं का एक बड़ा निर्यातक है।
कार्बनिक रसायन : दवा और अन्य उद्योगों के लिए जरूरी कार्बनिक रसायन भारत से रूस भेजे जाते हैं।
मशीनरी और इंजीनियरिंग उत्पाद : इसमें विभिन्न प्रकार की मशीनें, इलेक्ट्रिकल उपकरण और टूल शामिल हैं।
ऑटोमोबाइल पार्ट्स (Auto-Parts) और वाहन: भारतीय ऑटो सेक्टर द्वारा बनाए गए पार्ट्स और कुछ प्रकार के वाहन रूस निर्यात किए जाते हैं।
कपड़ा और रेडीमेड गारमेंट्स : भारतीय वस्त्रों और पहनावे की रूस में अच्छी खासी मांग रहती है।
कृषि उत्पाद और खाद्य सामग्री : इसमें चाय, कॉफी, समुद्री उत्पाद (Marine Products) और कुछ फल और सब्ज़ियां शामिल हैं।
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