जम्मू और कश्मीर में 18 सितंबर से वोटिंग की प्रक्रिया शुरू होगी। बीजेपी (BJP) ने आज जम्मू और कश्मीर में होने वाले चुनावों के लिए 44 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की, लेकिन कुछ ही देर बाद इस सूची को हटा लिया गया। माना जा रहा है कि नई सूची जल्द ही कुछ बदलावों के बाद जारी की जाएगी।
बता दें, इससे पहले बीजेपी पहले चरण के चुनाव के लिए 15 उम्मीदवार, दूसरे चरण के लिए 10 उम्मीदवार, और तीसरे चरण के लिए 19 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी।
बीजेपी ने हटाई 44 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट
बीजेपी की हटाई गई सूची में 14 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया था। जम्मू में 8 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया था और ये उम्मीदवार मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से चुनाव लड़ने वाले थे। इसके अलावा कश्मीर घाटी से 2 कश्मीरी पंडितों को भी टिकट दिया गया था। इनमें वीर सराफ को अनंतनाग ईस्ट-शांगुश से और अशोक भट्ट को हब्बाकडल से चुनाव लड़ने के लिए चुना गया था। यह कदम बीजेपी ने कश्मीरी पंडितों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया था।
एक महिला को दिया टिकट
बीजेपी ने केवल एक महिला उम्मीदवार को टिकट दिया था। ये महिला किश्तवार से चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा, एससी के लिए आरक्षित सीटों से 4 दलित उम्मीदवारों को टिकट दिया गया था। हालांकि, पार्टी ने कई मशहूर हस्तियों को इस बार टिकट नहीं दिया है।
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इस दिन होंगे चुनाव
जम्मू और कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होंगे। इसमें...
- पहले चरण- 18 सितंबर
- दूसरे चरण- 25 सितंबर
- तीसरे चरण -1 अक्टूबर
- वोटों की गिनती - 4 अक्टूबरट
जम्मू-कश्मीर में कितने मतदाता
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कुल 90 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 74 सामान्य, एससी-7 और एसटी-9 हैं। यहां कुल 87.09 लाख मतदाता हैं इनमें से 44.46 लाख पुरुष, 42.62 लाख महिलाएं, 3.71 लाख पहली बार मतदाता और 20.7 लाख युवा मतदाता हैं। अमरनाथ यात्रा 19 अगस्त को समाप्त होगी और अंतिम मतदाता सूची 20 अगस्त को प्रकाशित की जाएगी।
लोग बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि हमने जम्मू-कश्मीर दौरा कर चुनाव की तैयारियों को लेकर जायजा लिया है। लोगों में चुनाव को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया और वे चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहते हैं। लोग चाहते हैं कि जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं।
लोकसभा चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर में केंद्रों पर मतदान के लिए लगी लंबी-लंबी कतारें इस बात का सबूत हैं कि लोग न केवल बदलाव चाहते हैं बल्कि, उस बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं। लोग अपनी किस्मत खुद लिखना चाह रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने लोकसभा चुनाव के दौरान बुलेट के बजाय बैलेट को चुना।
जम्मू-कश्मीर में लगा था राष्ट्रपति शासन
जून 2018 से जम्मू और कश्मीर में कोई चुनी हुई सरकार नहीं है। बीजेपी ने जब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ा तो महबूबा मुफ्ती को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उस समय तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक राज्य का नेतृत्व कर रहे थे।
मलिक ने 28 नवंबर, 2018 को जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग कर दी थी। इसके बाद 19 दिसंबर, 2018 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अनुच्छेद 356 के तहत जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा की अधिसूचना जारी कर दी। आठ महीने बाद 5 अगस्त, 2019 को केंद्र में बीजेपी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेट देने वाली धारा 370 को निरस्त कर दिया और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया।
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