जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने से मची तबाही, 42 की मौत, 65 श्रद्धालुओं को बचाया गया

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोटी गांव में बादल फटने से 42 लोग मारे गए। 65 लोग सुरक्षित बचाए गए। यह घटना मचैल माता की धार्मिक यात्रा के दौरान घटी।

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Sandeep Kumar
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जम्मू कश्मीर के गुरुवार दोपहर करीब 12:30 बजे जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोटी गांव में बादल फटने की घटना हुई। इस प्राकृतिक आपदा ने गांव में त्वरित तबाही मचाई, जिससे 42 लोगों की मौत हो गई।

मृतकों में से 28 शवों को बरामद कर लिया गया है, जबकि 65 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। हादसा उस वक्त हुआ जब हजारों श्रद्धालु मचैल माता की धार्मिक यात्रा के लिए चशोटी पहुंचे थे। यह यात्रा अगस्त के महीने में हर साल आयोजित होती है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त हिस्सा लेते हैं।

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मलबे में फंसे श्रद्धालु

मचैल माता की यात्रा का पहला पड़ाव चशोटी गांव में था, और हादसा भी उसी स्थान पर हुआ जहां यात्रा शुरू होनी थी। बादल फटने के कारण यहां बाढ़ का पानी और मलबा आ गया, जिससे श्रद्धालुओं की बसें, टेंट, लंगर और दुकानें सब बाढ़ में बह गईं। इस हादसे ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। राहत और बचाव कार्य जारी हैं, और अधिकारियों ने लापता लोगों की तलाश शुरू कर दी है। अभी भी करीब 200 लोग लापता हैं।

जम्मू डिवीजन के कमिश्नर क्या बोले 

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मचैल माता यात्रा की विशेषता

मचैल माता की तीर्थयात्रा जम्मू से किश्तवाड़ तक की जाती है। यह यात्रा हर साल 25 जुलाई से 5 सितंबर तक चलती है और कुल 210 किलोमीटर लंबा मार्ग तय करती है। यात्रा के दौरान श्रद्धालु पड्डर से चशोटी तक लगभग 19.5 किलोमीटर की सड़क पर यात्रा करते हैं, जिसके बाद 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा होती है। इस यात्रा में लाखों लोग भाग लेते हैं और धार्मिक महत्व के कारण यह यात्रा बहुत प्रसिद्ध है।

5 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी


👉 जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोटी गांव में गुरुवार दोपहर बादल फटने से भारी तबाही हुई। इस प्राकृतिक आपदा में 42 लोग मारे गए और 65 को सुरक्षित बचाया गया।

👉 बादल फटने से आई बाढ़ और मलबे ने श्रद्धालुओं की बसें, टेंट, लंगर और दुकानें बहा दीं। मलबे में कई श्रद्धालु फंस गए, और राहत कार्य जारी है। इस घटना के दौरान करीब 200 लोग लापता हो गए हैं, जिनकी तलाश अभी भी जारी है।

👉 मचैल माता की तीर्थयात्रा जम्मू से किश्तवाड़ तक होती है और हर साल 25 जुलाई से 5 सितंबर तक आयोजित होती है। यह यात्रा 210 किलोमीटर लंबी है, जिसमें 19.5 किलोमीटर सड़क और 8.5 किलोमीटर पैदल यात्रा शामिल है।

👉 बादल फटने की घटना के बाद पूरे इलाके में त्वरित राहत कार्य शुरू किया गया। अधिकारियों ने लापता लोगों की तलाश की शुरुआत कर दी है, और अब तक 28 शव बरामद किए जा चुके हैं।

👉 यह घटना मचैल माता की धार्मिक यात्रा पर गहरी छाया डाल गई है, क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। हादसा तीर्थ यात्रा के दौरान हुआ, जिससे श्रद्धालुओं में दहशत फैल गई है।

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इस घटना पर क्या बोले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने किश्तवाड़ के चशोती इलाके में बादल फटने की घटना पर कहा, "सभी बचाव दल वहां पहुंच गए हैं। वे काम कर रहे हैं और जो भी सहयोग और सहायता आवश्यक है, वह उपलब्ध कराई जाएगी। हम एक-दूसरे के संपर्क में हैं। अगर किसी मरीज़ को दूसरे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा तो उसकी व्यवस्था की जाएगी। हेलीकॉप्टर के लिए मौसम अनुकूल नहीं हैं।

उफनाया नाला और चारों ओर तबाही

हिमाचल प्रदेश में भी बादल फटा

जम्मू-कश्मीर के अलावा, हिमाचल प्रदेश में भी भारी बारिश और बादल फटने की घटनाएं घटित हुईं। बुधवार रात कोटखाई के खलटूनाला में बादल फटने से नाले में मलबा आ गया। इस मलबे में एक पेट्रोल पंप और छह से ज्यादा गाड़ियां दब गईं, हालांकि पेट्रोल पंप के कर्मचारी अपनी जान बचाने में सफल रहे। इसके अलावा कुल्लू और शिमला में भी चार स्थानों पर बादल फटा, जिससे बाढ़ आ गई। इन घटनाओं में चार लोगों को सेना द्वारा सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया।

बारिश और बाढ़ से सड़कों पर असर

हिमाचल प्रदेश में पिछले 24 घंटों में हुई भारी बारिश के कारण 396 सड़कें बंद हो गई हैं। इससे न केवल यातायात प्रभावित हुआ है, बल्कि आपातकालीन बचाव कार्यों में भी मुश्किलें आ रही हैं। राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और राहत कार्य जारी हैं।

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