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Bengaluru : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके परिवार के खिलाफ जमीन अधिग्रहण से जुड़े एक घोटाले का मामला अब जांच के दायरे में आ गया है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका को खारिज करते हुए सीएम के खिलाफ जांच की अनुमति दी है।
मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों पर मैसूरु अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) से जुड़े जमीन घोटाले में शामिल होने का आरोप है। इस मामले में राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 218 के तहत मुख्यमंत्री पर मुकदमा चलाने की अनुमति पहले ही दे दी थी।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे जांच से नहीं डरते और कानूनी सलाह लेंगे कि इस मामले में जांच की जा सकती है या नहीं। उन्होंने कहा, "मैं संविधान और कानून में विश्वास करता हूं। अंततः सत्य की ही जीत होगी।"
मामला क्या है?
वर्ष 1992 में मैसूरु अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने किसानों से एक रिहायशी इलाके के विकास के लिए जमीन अधिग्रहित की थी। इसके बदले किसानों को MUDA की 50:50 स्कीम के तहत विकसित भूमि में से 50% हिस्सा या वैकल्पिक भूमि प्रदान करने की योजना थी। 1998 में MUDA ने अधिग्रहित भूमि का एक हिस्सा किसानों को वापस कर दिया, जिससे वह भूमि फिर से कृषि भूमि बन गई।
इस मामले में विवाद तब पैदा हुआ, जब सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसूरु जिले के केसारे गांव में स्थित 3 एकड़ 16 गुंटा जमीन का मामला सामने आया। यह जमीन पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन ने 2010 में उपहार में दी थी। आरोप है कि बिना जमीन का अधिग्रहण किए MUDA ने इस जमीन को अपनी विकास योजना में शामिल कर लिया। इसके बाद 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की सरकार ने पार्वती को इस जमीन के बदले मैसूरु के पॉश इलाके में 14 साइट्स आवंटित की थीं।
ये खबर भी पढ़ें...कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ीं, हाईकोर्ट ने दिया MUDA भूमि घोटाला मामले में केस चलाने का आदेश
आरोपों की गंभीरता और जांच का आदेश
सिद्धारमैया के खिलाफ याचिका में शिकायतकर्ता टी.जे. अब्राहम, प्रदीप, और स्नेहमयी कृष्णा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री और उनके परिवार ने अधिकारियों के साथ मिलकर धोखाधड़ी से जमीन का अधिग्रहण किया। हाईकोर्ट के जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने इस याचिका को खारिज करते हुए मामले की जांच के आदेश दिए। अदालत ने कहा, इस मामले की जांच करना जरूरी है, क्योंकि इसमें मुख्यमंत्री का परिवार भी शामिल है।
राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की स्थिति
सिद्धारमैया पर लगे इन आरोपों का कर्नाटक की राजनीति में व्यापक प्रभाव हो सकता है। मुख्यमंत्री के खिलाफ इस तरह के गंभीर आरोपों और राज्यपाल द्वारा केस चलाने की अनुमति देने से कर्नाटक की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। मुख्यमंत्री के लिए यह एक बड़ा राजनीतिक और कानूनी संकट बन सकता है, खासकर तब जब मामला अब जांच के दायरे में आ गया है।
मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं कर्नाटक के राज्यपाल...
आपको बता दें कि कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत (Thawarchand Gehlot) मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के रहने वाले हैं। 11 जुलाई 2021 को उन्होंने राज्यपाल पद की शपथ ली थी। वे पूर्व में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।
थावरचंद गहलोत का राजनीतिक सफर
जन्म : 18 मई 1948 को मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के रूपेटा गांव में जन्मे।
राजनीतिक शुरुआत : 1989 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे।
लोकसभा सदस्य : उज्जैन से 4 बार (1989, 1996, 1998 और 1999) सांसद रहे।
राज्यसभा सदस्य : 2012 से राज्यसभा के सदस्य के रूप में संसद में काम किया। वह मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते थे।
मंत्री पद : 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री बने। 2019 में दोबारा इसी मंत्रालय का कार्यभार मिला।
अन्य जिम्मेदारियां : गहलोत भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रमुख रहे हैं और पार्टी में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वह भाजपा की संसदीय दल के नेता और राज्यसभा में भी नेता रहे हैं।
राजनीतिक शुरुआत : 1989 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे।
लोकसभा सदस्य : उज्जैन से 4 बार (1989, 1996, 1998 और 1999) सांसद रहे।
राज्यसभा सदस्य : 2012 से राज्यसभा के सदस्य के रूप में संसद में काम किया। वह मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते थे।
मंत्री पद : 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री बने। 2019 में दोबारा इसी मंत्रालय का कार्यभार मिला।
अन्य जिम्मेदारियां : गहलोत भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रमुख रहे हैं और पार्टी में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वह भाजपा की संसदीय दल के नेता और राज्यसभा में भी नेता रहे हैं।