New Delhi: मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित, पर्यावरणविद् और लद्दाख के सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ( Sonam Wangchuk ) अपने प्रदेश के हितों को लेकर पिछले 13 दिनों से वहां सत्याग्रह ( आमरण अनशन ) पर बैठे हैं। उनका कहना है कि लद्दाख (Ladakh) के लोग नाराज हैं और चाहते हैं कि केंद्र सरकार (Central Government) अपने वादे निभाए जो उसने एक बार नहीं बल्कि दो बार किए हैं। उनकी दो मुख्य मांगे हैं, पहली यह है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए और दूसरी, संविधान की छठी अनुसूची ( sixth schedule) में शामिल कर राज्य का संरक्षण किया जाना चाहिए। उनका यह सत्याग्रह 21 दिन तक चलेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि उनके सत्याग्रह का मकसद बाहरी लोगों का लद्दाख में प्रवेश रोकना नहीं है।
राज्य के लोग उनके साथ हैं
ऐसा माना जाता है कि सोनम वांगचुक को ध्यान में रखते हुए ही फिल्म कलाकार आमिर खान ने 3 इडियट्स ( 3 Idiots) फिल्म बनाई थी। लेकिन आज असली वांगचुक खासे आहत हैं और अपने प्रदेश का पर्यावरण बचाने के लिए उन्हें आमरण अनशन का सहारा लेना पड़ रहा है। उनकी मांगों को लेकर समर्थन इतना अधिक है कि सोमवार को क्षेत्र के करीब 1500 लोग उनके साथ एक दिन की भूख हड़ताल पर बैठे। वह अपने राज्य के शासन में स्थानीय लोगों की भागीदारी चाहते हैं, ताकि उनका जीवन स्तर भी सुधरे और राज्य का भी विकास होगा। उनका कहना है कि उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बहाली हो रही है, लेकिन लद्दाख में क्यों नहीं की जा रही है।
हमारा दिल तो जीत लिया, लेकिन अब तो कुछ करो
उनका कहना है कि आश्वासन मिलने के बाद ही वह अपना आंदोलन स्थगित करेंगे। अपनी मांगों को लेकर लद्दाख में रोष है। हमारा आंदोलन चलता रहा है। लद्दाख संवेदनशील सीमा है, लेकिन इस मामले को लेकर केंद्र संजीदा नहीं लगता है। लद्दाख के मुद्दे दिल्ली या लखनऊ से आए लोग नहीं समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र ने 2019 में लद्दाख के लोगों का दिल जीता था, लेकिन अब लग रहा है कि जमीनी हकीकत कुछ और है। हम 24 मार्च को पूरे देश में भी अनशन करने जा रहे हैं। हमारे साथ अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी जुड़ रही हैं। अब लग रहा है कि केंद्र की सरकार वादा निभाने वाली नहीं है और हम इंतजार करते ही रह गए। चार सालों से अलग अलग बैठकों में कई बार हमारे मुद्दों को लेकर चर्चा हुई, लेकिन चार मार्च को साफ इनकार कर दिया गया, इसलिए हमने आंदोलन का निर्णय लिया।
किन मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं वांगचुक
वांगचुक गत छह मार्च से लेह के नवांग दोरजे मेमोरियल पार्क पर आंदोलन कर रहे हैं। बीती तीन फरवरी को भी लेह में छठी अनुसूची को लागू करने की मांग को लेकर ही वहां जबर्दस्त ठंड में एक प्रदर्शन हुआ था। उसमें केंद्र सरकार के प्रति रोष जताया गया था। उनकी मुख्य मांग यह है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य के अलावा संविधान की छठी सूची में शामिल किया जाए। राज्य में एक और संसदीय सीट बढ़े और यहां पब्लिक सर्विस कमीशन कायम किया जाए ताकि स्थानीय लोग नौकरी पा सकें। वांगचुक के अनुसार लद्दाख के लोग उम्मीद कर रहे थे कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के साथ-साथ लद्दाख को विधानमंडल भी दिया जाएगा और छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा भी दी जाएगी। बीजेपी ने साल 2019 के अपने चुनावी घोषणापत्र में और बीते वर्ष लद्दाख हिल काउंसिल चुनाव के में भी लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था। लेकिन इस पर अमल के लिए कोई कवायद नहीं दिख रही है।
छठी अनुसूची को लेकर क्यों हैं गंभीर
गौरतलब है कि इस राज्य को संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची में शामिल कर लिया जाएगा तो यहां जिला परिषदों का गठन किया जा सकेगा, जिनके पास राज्य के भीतर कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक आजादी होती है। छठी अनुसूची के मुताबिक़ ज़िला परिषद की अनुमति से ही क्षेत्र में उद्योग लगाए जा सकेंगे। उनका यह भी कहना है कि हम लद्दाख़ की पहाड़ियों को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। छठी अनुसूची लद्दाख जैसे जनजातीय क्षेत्र के लोगों और संस्कृतियों को सुरक्षा प्रदान करेगी, साथ ही यह भी निर्धारित करेगी कि कि इन यहां के प्राकृतिक स्थलों को दूसरों के हस्तक्षेप के बिना कैसे विकसित किया जाना चाहिए। उनका आरोप है कि छठी अनुसूची के बिना राज्य में होटलों का जाल बिछ जाएगा। लाखों लोग यहां आएंगे और जिस संस्कृति को हम सालों से बचाते आ रहे हैं उसके खोने का खतरा पैदा हो जाएगा। हमारे आंदोलन का उद्देश्य यही है।
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