उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की पुश्तैनी संपत्ति को लेकर विवाद गहरा गया है। यह संपत्ति शत्रु संपत्ति के रूप में घोषित की गई है। जिस पर मस्जिद और चार दुकानें बनी हुई हैं। मुस्लिम पक्ष इसे वक्फ की संपत्ति बता रहा है, जबकि जांच में यह साफ हुआ कि यह शत्रु संपत्ति है। अब प्रशासन इसके अधिग्रहण के लिए कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इस विवाद ने एक बार फिर शत्रु संपत्ति के मुद्दे को गरमा दिया है।
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लियाकत अली खान की संपत्ति का विवाद
पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की मुजफ्फरनगर स्थित संपत्ति शत्रु संपत्ति के रूप में घोषित की गई है। यह जमीन मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के पास स्थित मस्जिद और दुकानों के नीचे थी। मुस्लिम पक्ष इसे वक्फ की संपत्ति बताता है, जांच में यह साबित हुआ कि यह पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री रहे लियाकत अली खान की संपत्ति है। जिसे विभाजन के बाद शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था।
मुजफ्फरनगर में विवाद कैसे शुरू हुआ?
करीब डेढ़ साल पहले हिंदू सनातन संगठन के संयोजक संजय अरोड़ा ने प्रशासन से इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित करने का आग्रह किया। उनका कहना था कि इस पर मस्जिद और दुकानें अवैध तरीके से बनाई गई हैं। इसके बाद प्रशासन ने इसकी जांच शुरू की और पाया कि यह संपत्ति वास्तव में लियाकत अली खान की थी, जिसे शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया।
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कानूनी कार्रवाई की तैयारी
अब, चूंकि यह संपत्ति शत्रु संपत्ति घोषित हो चुकी है। प्रशासन इसे अधिग्रहित करने के लिए कानूनी कार्रवाई तेज करने की योजना बना रहा है। इस बीच, मस्जिद के मालिक और दुकानदार इसका विरोध कर रहे हैं। उनका दावा है कि यह संपत्ति वक्फ की है और शत्रु संपत्ति का दावा गलत है। अब आगे की कानूनी प्रक्रिया में यह मामला और उलझ सकता है।
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शत्रु संपत्ति क्या है?
शत्रु संपत्ति वह संपत्ति होती है, जो विभाजन के समय पाकिस्तान भाग गए व्यक्तियों के परिवारों द्वारा छोड़ी गई होती है। 1968 में भारतीय सरकार ने ऐसी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया। अब शत्रु संपत्ति का प्रशासन द्वारा अधिग्रहण किया जाता है, और इसे आम तौर पर नीलाम किया जाता है।
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