किस्त चुकाओ, पत्नी ले जाओः फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों की दादागिरी, 5 घंटे कैद रही पत्नी, पुलिस ने कराया मुक्त

उत्तर प्रदेश के झांसी में एक प्राइवेट बैंक ने लोन न चुकाने पर महिला को 5 घंटे तक बैंक में बंधक बनाकर रखा। पति ने पुलिस से मदद मांगी, तब जाकर महिला को बाहर निकाला गया। मामले में पुलिस जांच कर रही है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक प्राइवेट माइक्रो फाइनेंस बैंक ने बकाया लोन की किस्तों को वसूलने के लिए एक महिला को कथित तौर पर पांच घंटे तक बंधक बना लिया। यह घटना ग्राम बम्हरौली के आजाद नगर मोहल्ले में स्थित एक बैंक में घटित हुई।

इस प्रकार की गुंडागर्दी ने न केवल बैंक की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए है, बल्कि यह भी सवाल उठाया कि क्या कानून व्यवस्था की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि बैंकों को इस प्रकार की अवैध कार्रवाई करने का अधिकार मिल गया है। 

किश्त जमा करो तभी मिलेगी बीबी

झांसी जिले के ग्राम बम्हरौली के आजाद नगर में रहने वाले रविंद्र वर्मा व उनकी पत्नी पूजा वर्मा ने एक निजी माइक्रो फाइनेंस बैंक से 40 हजार रुपए लोन लिया था। इस लोन की वसूली के लिए बैंक के दो कर्मचारी इनके घर पहुंचे थे, इस दौरान दोनों एजेंट इन पर किस्त जमा करने का दबाव बनाने लगे। रुपए नहीं होने की बात कहते हुए पति-पत्नी ने किस्त जमा नहीं कर पाने की बात कही।

दोनों एजेंट पति-पत्नी को बैंक कार्यालय ले आए, यहां पति को बैंक के बाहर कर बैंक कर्मचारियों ने उससे कहा कि किश्त जमा करो और पत्नी को ले जाओ। इस दौरान 5 घंटे तक पत्नी को बैंक आफिस के अंदर बंधक बनाकर रखा गया।  

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ऐसे समझें बैंक कर्मचारियों की गुंडागर्दी के इस मामले को 

Fraud in the name of micro finance Rs 3 crores defrauded from women scam  revealed by the notice of loan installment माइक्रो फाइनेंस के नाम पर  धोखाधड़ी; महिलाओं से ठगे 3 करोड़,

बैंक की गुंडागर्दी: झांसी के एक प्राइवेट माइक्रो फाइनेंस बैंक ने लोन न चुकाने पर महिला को पांच घंटे तक बंधक बना लिया।

पति की गुहार: महिला के पति ने बैंक कर्मचारियों से कई बार अपनी पत्नी को छोड़ने की अपील की, लेकिन कोई मदद नहीं मिली।

धमकी और बंधक बनाने का आरोप: महिला पूजा वर्मा ने आरोप लगाया कि बैंक एजेंटों ने उसकी किस्तें हड़प लीं और धमकी देकर उसे जबरन बैंक लाकर बंधक बना लिया।

पुलिस की कार्रवाई: पति द्वारा डायल 112 पर कॉल करने के बाद पुलिस ने बैंक पहुंचकर महिला को बाहर निकाला और मामले की जांच शुरू की।

बैंक का बचाव: बैंक मैनेजर ने दावा किया कि महिला 7 महीने से किश्तें नहीं दे रही थी और वह अपनी मर्जी से बैंक में बैठी थी।

 

पुलिस को बुलाया, तब छोड़ा पत्नी को 

इस मामले में बैंक कार्यालय के बाहर बैठे पत्नी रविंद्र वर्मा पांच घंटे तक पत्नी को छोड़ देने की गुहार लगाता रहा, लेकिन जब बैंक कर्मचारियों पर कोई असर नहीं हुआ तो उसने पुलिस को फोन लगाया। पुलिस को गेट पर देखकर कर्मचारियों के होश उड़ गए। कर्मचारियों ने फौरन पत्नी को कार्यालय से बाहर कर दिया। 

पीड़िता पूजा वर्मा का आरोप

पूजा वर्मा ने पुलिस में जो शिकायत दर्ज कराई, उसमें उसने बताया कि उसने 40,000 रुपए का लोन लिया था और अब तक 11 किश्तें जमा कर चुकी थी, लेकिन बैंक के रिकॉर्ड में केवल 8 किश्तें दिख रही थीं। महिला के अनुसार, बैंक एजेंटों ने उसकी तीन किस्तें हड़प ली थीं। उसने यह भी आरोप लगाया कि बैंक के सीओ संजय यादव ने उन्हें धमकी दी और जब किस्त जमा करने से मना किया तो पति-पत्नी को जबरन बैंक में बंधक बना लिया। 

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बैंक मैनेजर ने कहा अपनी मर्जी से बैठी थी महिला

बैंक मैनेजर अनुज कुमार ने अपनी सफाई में कहा कि महिला सात महीनों से किस्तें नहीं जमा कर रही थी, इसलिए उसे बैंक बुलाया गया था। उनका दावा था कि महिला अपनी मर्जी से बैंक में बैठी थी। हालांकि, इस बयान के बावजूद पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है और बैंक के स्टाफ, एजेंट और पीड़ित पक्ष से पूछताछ की जा रही है। 

आरबीआई गाइडलाइन: यह नहीं कर सकते रिकवरी एजेंट 

1- माइक्रो फाइनेंस कंपनी के एजेंट ऋण वसूली या किस्तों के लिए सुबह 9 से पहले व शाम छह के बाद संपर्क नहीं कर सकते। 
2- कंपनी एजेंट को मर्यादित भाषा में शालीन तरीके से किस्त की वसूली करनी है।
3- लोन वसूली के नए नियम अनुसार रिकवरी एजेंट किसी भी प्रकार की जबरदस्ती या मारपीट नहीं कर सकता है। 
4- रिकवरी एजेंट बिना सक्षम अनुमति के ग्राहक के घर में प्रवेश नहीं कर सकता है।
5- रिकवरी एजेंट को बिना पुलिस या सक्षम न्यायालय के किसी भी ग्राहक का कोई भी सामान उठाने की भी अनुमति नहीं होती है।  

FAQ

बैंक के द्वारा लोन वसूली के दौरान बंधक बनाने की घटना पर क्या कानून कहता है?
लोन वसूली के दौरान किसी को बंधक बनाना पूरी तरह से अवैध है। भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत इस प्रकार की कार्यवाही को गंभीर अपराध माना जाता है। यदि बैंक द्वारा किसी व्यक्ति को बंधक बनाया जाता है, तो यह कानूनी रूप से अपराध है और पीड़ित व्यक्ति पुलिस में शिकायत कर सकता है।
क्या बैंकों को लोन की किस्तों को वसूलने के लिए इस प्रकार की धमकियां देने का अधिकार है?
नहीं, बैंकों को अपने लोन वसूलने के लिए धमकियां देने का कोई अधिकार नहीं है। बैंक द्वारा लोन वसूली के लिए दी जाने वाली कार्रवाई कानूनी तरीके से होनी चाहिए, जैसे कि कोर्ट के आदेश या समझौते के माध्यम से। अवैध तरीके से किसी को धमकाना या परेशान करना अपराध है।
अगर किसी व्यक्ति को बैंक लोन की किस्त नहीं चुकाने पर बंधक बना ले, तो उसे क्या करना चाहिए?
यदि किसी व्यक्ति को बंधक बनाया जाए, तो सबसे पहले उसे तुरंत पुलिस को सूचना देनी चाहिए। इसके बाद, उस व्यक्ति को कानूनी मदद की जरूरत हो सकती है और वह अदालत से भी मदद ले सकता है। इस तरह की घटनाओं में कानूनी कार्रवाई की जाती है, और दोषियों को सजा दिलाई जाती है।

 

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