लोकसभा चुनाव-2024 : पॉलिटिकल स्ट्रैटेजिस्ट प्रशांत किशोर ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) के खिलाफ लोगों को कोई गुस्सा नहीं है। प्रशांत किशोर ने कहा कि बीजेपी के लिए अपने दम पर 370 सीटें हासिल करना असंभव है। बीजेपी को लगभग 300 सीटें मिलने की संभावना है।
270 के आंकड़े से नीचे नहीं जा रही है बीजेपी
पीके ने कहा कि जिस दिन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बीजेपी को 370 सीटें मिलेंगी और एनडीए 400 का आंकड़ा पार करेगा, यह संभव नहीं है। यह सब कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए नारेबाजी है। बीजेपी के लिए 370 सीटें हासिल करना असंभव है, लेकिन यह भी निश्चित है कि पार्टी 270 के आंकड़े से नीचे नहीं जा रही है। मुझे लगता है कि बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections ) में मिली संख्या के बराबर ही सीटें हासिल करने में सफल रहेगी, जो कि 303 सीटें या शायद उससे थोड़ी बेहतर है। 300 सीटों के अनुमान पर प्रशांत ने कहा कि बीजेपी को लोकसभा चुनाव में उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों में कोई नुकसान नहीं हो रहा है, जबकि दक्षिण-पूर्व (बिहार, बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल) में सीटों में बढ़ोतरी होगी।
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ऐसा है PK का गणित
2019 के चुनावों में बीजेपी ने अपनी 303 सीटें कहां हासिल कीं। इस पर प्रशांत किशोर ने बताया कि उन 303 सीटों में से 250 उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों से आईं। ऐसे में मुख्य सवाल यह है कि क्या बीजेपी को इन क्षेत्रों में नुकसान (50 या अधिक सीटें) का सामना करना पड़ रहा है? वर्तमान में पूर्व-दक्षिण क्षेत्र में बीजेपी के पास लोकसभा में लगभग 50 सीटें हैं। इसलिए माना जा रहा है कि पूर्व-दक्षिण क्षेत्रों में 15-20 सीटों पर बीजेपी की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है, जबकि पार्टी को उत्तर-पश्चिम में कोई खासा नुकसान नहीं हो रहा है।
यूपी और महाराष्ट्र में BJP को मिलेंगी इतनी सीटें
यूपी और महाराष्ट्र में बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि विपक्ष यह मानकर चल रहा है कि वे महाराष्ट्र में 20-25 सीटें जीतेंगे। ऐसे में अगर विपक्ष 25 सीटें जीत भी जाता है तो भी बीजेपी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तमान में महाराष्ट्र में बीजेपी की 48 में से सिर्फ 23 सीटें ही हैं। ऐसे में विपक्ष की बढ़ोतरी से भी बीचेपी को कोई नुकसान नहीं है। वहीं UP में बीजेपी का नंबर घटने पर पीके ने कहा कि 2014 के मुकाबले बिहार और यूपी मिलाकर बीजेपी को करीब 25 सीटों का नुकसान 2019 में झेलना पड़ा था। 2019 में बसपा-सपा गठबंधन से बीजेपी 73 से घटकर 62 पर आ गई थी। ऐसे में अगर विपक्ष यह मानकर चलेगा कि इस बार बीजेपी को 20 सीटों का नुकसान हो रहा है तो विपक्ष बीजेपी का ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा। क्योंकि 2019 में बीजेपी ऑलरेडी 18 सीटें हारकर भी अपना आंकड़ा बंगाल से बढ़ाने में सफल रही थी। प्रशांत ने कहा कि विपक्ष को जरूरत है कि वो बीजेपी की 40 सीटों का नुकसान करे तब जाकर उन्हें फायदा होगा।
राजस्थान या हरियाणा में बीजेपी को नुकसान या फायदा
राजस्थान और हरियाणा में बीजेपी के नुकसान पर प्रशांत किशोर ने कहा कि 2-5 सीटों का नुकसान ही होगा, लेकिन ऐसा कोई राज्य नहीं है जिसमें विपक्ष बंपर बढ़ोतरी करते हुए दिख रहा हो। पीके के अनुसार पश्चिम-उत्तर के क्षेत्रों में बीजेपी को अधिकतम भी 50 सीटों का नुकसान नहीं है। बल्कि, इससे इतर पूर्व और दक्षिण के क्षेत्रों में इतनी बढ़ोतरी मिलेगी जिससे कि बीजेपी की भरपाई हो सकेगी।
नेता के खिलाफ गुस्सा हो तो ही हारती हैं सरकारें
पीके ने कहा कि देश के नेता के खिलाफ लोगों में गुस्सा हो तो ही सरकारें हारती हैं। मोदी और बीजेपी की 10 साल की सरकार को लेकर आम जनता में हल्की बहुत नाराजगी जरूर है, लेकिन अब तक ऐसा खुले तौर पर नहीं देखा गया कि इसे सरकार के खिलाफ गुस्सा कहा जा सके। वहीं सरकारों के हारने के दूसरे कारण पर जोर देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि ऐसा तब होता है कि अगर कोई नया आदमी आए और लोगों के मन में उसके प्रति सकारात्मक छवि हो। लोगों के मन में नए व्यक्ति को लेकर यह धारणा बन जाए कि ये आकर हमारी स्थिति मोदी जी से भी बेहतर कर देगा, तब लोग बदलाव के मूड में आते हैं। फिलहाल जनता के मन में ऐसी स्थिति नहीं है कि उन्हें बदलाव चाहिए और न ही ऐसी इमेज सामने है कि नया व्यक्ति इनसे बेहतर काम करेगा।
मोदी 3.0 में धमाकेदार शुरुआत करेंगेः प्रशांत किशोर
वहीं मोदी 3.0 पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित तीसरे कार्यकाल में राज्यों की 'वित्तीय स्वायत्तता में कटौती' (curtail the financial autonomy) करने की कोशिश की जाएगी। तीसरे कार्यकाल में मोदी सरकार द्वारा लिए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में बात करते हुए प्रशांत किशोर ने अनुमान जताया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वे धमाकेदार शुरुआत करेंगे। व्यापक रूप से सत्ता और संसाधनों का केंद्रीकरण होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को कम करने की भी एक जरूरी कोशिश की जा सकती है।