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प्यार कब, कहां और किससे हो जाए, इसका कोई तय नियम नहीं है, लेकिन मनोवैज्ञानिक और शोधकर्ता इसे समझने और परिभाषित करने की कोशिश करते रहे हैं। इस वैलेंटाइन डे के मौके पर दुनिया भर में प्रेम संबंधों को लेकर किए गए ‘लव लाइफ सैटिसफैक्शन-2025’ सर्वे के आंकड़े जारी किए गए हैं। इस सर्वे में 30 देशों के 23765 युवाओं ने हिस्सा लिया और अपने प्रेम जीवन को लेकर अपनी मंशा बताई।
सर्वे के अनुसार, भारत में सिर्फ 63% लोग अपनी प्रेम जीवन से खुश हैं। 37 प्रतिशत जोड़े किसी न किसी तनाव में हैं। इसके मुकाबले कोलंबिया (82%), थाईलैंड (81%), मैक्सिको (81%), इंडोनेशिया (81%) और मलेशिया (79%) में लोग अपने रिश्तों से कहीं अधिक संतुष्ट हैं। वहीं, दक्षिण कोरिया (59%) और जापान (56%) में यह आंकड़ा भारत से भी कम पाया गया है।
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भारतीयों के पास रोमांस के लिए समय नहीं
इस सर्वे के प्रमुख निष्कर्षों में से एक यह है कि भारतीयों के पास अपने जीवनसाथी या साथी के साथ रोमांटिक समय बिताने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता। इप्सोस समूह के वरिष्ठ शोधकर्ता अश्विनी सिरसिकर का कहना है कि भारत में पारिवारिक जिम्मेदारियां, सामाजिक मान्यताएं और व्यस्त पेशेवर जीवन लोगों के प्रेम संबंधों को प्रभावित कर रहे हैं। एकल परिवारों में रहने वाले भारतीयों को घरेलू जिम्मेदारियों और सामाजिक दायित्वों के कारण अपने रिश्तों पर ध्यान देने का अवसर कम ही मिल पाता है।
ज्यादा कमाने वाले अधिक खुश हैं
सर्वे के अनुसार, कमाई का स्तर भी प्रेम संबंधों की संतुष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उच्च आय वर्ग के 83% लोग अपने रोमांटिक जीवन से संतुष्ट पाए गए, जबकि मध्यम आय वर्ग में यह आंकड़ा 76% और निम्न आय वर्ग में 69% दर्ज किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक सुरक्षा और संसाधनों की उपलब्धता रिश्तों को खुशहाल बनाए रखने में मददगार साबित होती है।
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लव मैरिज बनाम अरेंज मैरिज
इस सर्वे में यह भी सामने आया कि जिन देशों में लव मैरिज का चलन अधिक है, वहां प्रेम संबंधों से संतुष्टि का स्तर भी अधिक है। भारत में अभी भी अरेंज मैरिज का चलन प्रमुख है, लेकिन शहरी युवाओं में लव मैरिज का रुझान बढ़ा है। बावजूद इसके, समाज और परिवार का दबाव रिश्तों की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
प्रेम जीवन को खुशहाल बनाने के लिए क्या करें?
1. क्वालिटी टाइम: भागदौड़ भरी जिंदगी में भी साथी के साथ समय बिताने की आदत डालें।
2. खुलकर बात करें: रिश्ते में बातचीत की कमी सबसे बड़ी समस्या हो सकती है। अपने साथी से भावनाओं को साझा करें।
3. आर्थिक स्थिरता पर ध्यान दें: वित्तीय अस्थिरता कई बार संबंधों में तनाव ला सकती है, इसलिए आर्थिक रूप से मजबूत बनने की कोशिश करें।
4. सामाजिक दबाव: परिवार और समाज की अपेक्षाओं के साथ-साथ अपने निजी रिश्तों को भी प्राथमिकता दें।
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क्या भारत में बदलेंगे प्रेम के मायने?
भारत में प्रेम जीवन को लेकर लोगों की संतुष्टि दर अन्य देशों की तुलना में कम होने के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि नई पीढ़ी अधिक स्वतंत्र सोच रखती है और रिश्तों को प्राथमिकता देने लगी है। समाज में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है और आने वाले समय में भारतीय भी प्रेम और रोमांस के मामले में अधिक खुले विचारों के साथ संतोषजनक जीवन जी पाएंगे।
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