मध्यप्रदेश सहित देश के 150 आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को नहीं मिलेगी मान्यता, टीचिंग फैकल्टी नियम का नहीं किया पालन

नेशनल कमीशन फॉर इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन देश के सभी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को निरीक्षण कर निपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज को मान्यता दी जा रही है। अभी तक एनसीआईएसएम ने लगभग 300 कॉलेज की मान्यता लंबित की है।

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Shrawan mavai
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मध्यप्रदेश सहित देश के 150 कालेजों को मान्यता नहीं मिलेगी। ये ऐसे कॉलेज है, जिन्होंने टीचिंग फैकल्टी व अन्य नियमों को पालन नहीं किया है। अब तक नेशनल कमीशन फॉर इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन एनसीआईएसएम और आयुष मंत्रालय ने 540 में से 300 से ज्यादा आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों को सत्र 2024-25 की मान्यता नहीं दी है।

दरअसल, नेशनल कमीशन फॉर इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन देश के सभी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज को मान्यता दी जा रही है। अभी तक एनसीआईएसएम ने लगभग 300 कॉलेज की मान्यता लंबित की है। इनमें से कुछ कॉलेज कागजी खानापुर्ति को पूरा कर मान्यता प्राप्त करने में सफल हो जाएंगे। 150 ऐसे कॉलेज है जिन्हें मापदण्डों में 10 से 20 फीसदी रिलेक्सेशन नहीं दिया तो उनका संचालन बंद होना लगभग तय है।

मध्यप्रदेश के 12 कॉलेज की मान्यता अटकी

मध्यप्रदेश के 12, बिहार के 03 समेत देशभर के 150 से ज्यादामान् आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों को सत्र 2024-25 की कंडीशनल मान्यता भी मिलने के आसार नहीं हैं। इनको मन्यता नहीं मिली तो इस शिक्षण सत्र में यह कॅालेज विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं देंगे।

ये है कॉलेज संचालन के मापदंड

इन कॉलेजों के अधीन अस्पतालों की आईपीडी व ओपीडी में पर्याप्त मरीजों की कमी, कॉलेज की टीचिंग फैकल्टी में 60 सीट तक 30 , 60 से 100 सीट तक 45 फैकल्टी तथा अन्य मानदण्डों की अनिवार्यता में कमी पाये जाने पर मान्यता प्रभावित होगी।. फिलहाल एनसीआईएसएम द्वारा गोपनीय निरीक्षण के बाद कॉलेजों की हायरिंग शुरू की हैं।

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मध्यप्रदेश में 34 आयुर्वेद कॉलेजों की 2800 बीएएमएस सीटें

मध्यप्रदेश में शासकीय व निजी मिलाकर कुल 34 आयुर्वेद कॉलेजों की 2800 से ज्यादा बीएएमएस सीटें, बिहार की 10 आयुर्वेद कॉलेजों में 900 से ज्यादा सीटों समेत देशभर के 540 आयुर्वेद कॉलेजों की 55 हजार से ज्यादा यूजी सीटें संचालित हैं।

आयुष मेडिकल एसोसिएशनएन राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय का कहना है कि सीआईएसएम व आयुष मंत्रालय की कोशिश है कि आयुर्वेद कॉलेजों के गुणात्मक विकास व चिकित्सा शिक्षा में सुधार के लिए मापदन्डों का पालन सौ फीसदी अनिवार्य किया जाए। लापरवाही बरतने पर कॉलेजों में जीरो सेशन भी हो सकता है।

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