MUMBAI. वीर छत्रपति शिवाजी महाराज का पौराणिक हथियार 'वाघ नख' लंदन से मुंबई पहुंच चुका है। 'वाघ नख' की घर वापसी पर सतारा समेत महाराष्ट्र में खुशी की लहर दौड़ गई है। छत्रपति शिवाजी महाराज का यह हथियार लंदन के म्यूजियम में रखा हुआ था। यह महाराष्ट्र सरकार की सालों की कोशिशों के बाद आखिरकार महाराष्ट्र लाया गया है। अब यह वाघ नख सतारा आने वाला है। जिसे अब सात महीने के लिए सतारा के म्यूजियम में रखा जाएगा।
सतारा के संग्रहालय में रखा जाएगा 'वाघ नख'
बता दें कि वाघ नख बुधवार को लंदन से मुंबई एयरपोर्ट पहुंच गया। वाघ नख को महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक प्रदर्शनी में रखा जाएगा। बाघ नख को लंदन के म्यूजियम से मुंबई एयरपोर्ट लाया गया है। महाराष्ट्र सरकार के दो मंत्रियों ने इसके लिए पिछले दिनों लंदन का दौरा किया था।
सतारा में वाघ नख का होगा भव्य स्वागत
महाराष्ट्र के मंत्री शंभूराज देसाई ने सतारा के प्रभारी मंत्री के तौर पर सतारा के छत्रपति शिवाजी संग्रहालय में सुरक्षा इंतजामों का जायजा किया है। मंत्री देसाई ने कहा कि 'वाघ नख' का सतारा में भव्य स्वागत किया जाएगा। हथियार को लंदन से बुलेटप्रूफ कवर में लाया गया है। इसकी कड़ी सुरक्षा की जा रही है। 'वाघ नख' को सात महीने के लिए सतारा के संग्रहालय में रखा जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि 'वाघ नख' का महाराष्ट्र आना प्रेरणादायी अवसर है। इसके स्वागत में सतारा में भव्य समारोह का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में यह ऐतिहासिक पहल हो सकी है।
संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने दी जानकारी
वहीं संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय से महाराष्ट्र तक 'वाघ नख' लाने पर सरकार के करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के आरोप को नकारा है। उन्होंने कहा कि हथियार को महाराष्ट्र तक लाने पर यात्रा और सहमति पत्र हस्ताक्षर करने पर कुल 14.08 लाख रुपए खर्च हुए। उन्होंने कहा कि लंदन संग्रहालय अभी एक साल के लिए 'वाघ नख' देने पर राजी हुआ है। हमारी कोशिश है कि इसे हम तीन साल तक यहां रख सकें।
'वाघ नख' पूजनीय प्रतीक
पिछले सप्ताह महाराष्ट्र विधानसभा में संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा था कि लंदन से लाए जा रहे 'वाघ नख' का इस्तेमाल छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1659 में बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मारने के लिए किया था। 'वाघ नख' राजा की दृढ़ता और वीरता का एक स्थायी और पूजनीय प्रतीक है।
thesootr links
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें