Maharashtra : एक घर में दूसरी बार चोरी करने घुसा चोर , फिर देखा कुछ ऐसा कि हुआ अपनी करतूत पर पछतावा , लौटाया सामान

महाराष्ट्र में एक चोर को उस समय पछतावा हुआ जब उसे पता चला कि उसने एक प्रसिद्ध मराठी कवि के घर में चोरी की है। उसके बाद उसने चुराया सामान लौटाते हुए माफी मांगी।

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Vikram Jain
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Maharashtra Mumbai Thief repents after stealing poet Narayan Surve house
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MUMBAI. महाराष्ट्र के रायगढ़ से चोरी का अनोखा मामला सामने आया है। यहां एक चोर ने पहले प्रसिद्ध कवि नारायण सुर्वे के घर पर चोरी की। लेकिन उसके बाद उसे कवि के घर चोरी करने का इतना पछतावा हुआ कि उसने सारा सामान वापस रख दिया। साथ ही अपनी इस करतूत के लिए माफी मांगने नोट भी छोड़ा।

जानें क्या है पूरा मामला

मामले में पुलिस ने बताया कि चोर ने रायगढ़ जिले के नेरल में स्थित नारायण सुर्वे के घर में घुसा था। उसने एलईडी टीवी समेत कीमती सामान चुराया था। पुलिस ने आगे बताया कि चोर यहीं नहीं रुका जब वह अगले दिन चोरी करने के मकसद से कुछ और सामान चुराने आया तो उसने एक कमरे में कवि नारायण सुर्वे की तस्वीर और उनसे जुड़ी यादगार चीजें देखीं। तब चोर को पता चला कि यह मशहूर कवि का घर है। इसके बाद चोर को पछतावा हुआ और उसने जो भी सामान चुराया था, उसे वापस लौटा दिया। साथ ही नोट लिखकर माफी भी मांगी।

घर में मिला चोर का माफी वाला नोट

बताया जा रहा है कि कवि सुर्वे के निधन के बाद उनकी बेटी सुजाता और दामाद इस घर में रहते हैं। वह अपने बेटे के पास विरार गए थे और उनका घर 10 दिनों से बंद था। नेरल पुलिस ने बताया कि सुजाता और उनके पति जब रविवार को विरार से लौटे तो उन्हें चोर का माफी वाला नोट मिला। फिलहाल, पुलिस ने उस टीवी से चोर के फिंगरप्रिंट लिए हैं, जिसे वह चुरा ले गया था। लेकिन बाद में घर में वापस रख गया था।

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प्रसिद्ध मराठी कवि और सामाजिक कार्यकर्ता थे सुर्वे

बता दें कि मुंबई में जन्मे नारायण सुर्वे एक प्रसिद्ध मराठी कवि और सामाजिक कार्यकर्ता थे। सुर्वे की कविताओं में शहरी मजदूर वर्ग के संघर्षों को दर्शाया गया है। खुद गरीबी में पले-पढ़े सुर्वे ने श्रमिक और कामगारों के संघर्ष में छिपे गौरव को अपनी कविताओं के जरिये आमजन तक पहुंचाया। 16 अगस्त, 2010 को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

संघर्ष में बीता कवि सुर्वे का बचपन

प्रसिद्ध मराठी कवि बनने से पहले की नारारण सुर्वे की जिंदगी एक अनाथ बच्चे के रूप में मुंबई की गलियों में गुजरी। उन्होंने घरेलू सहायक, होटल में बर्तन मांजने, बच्चों की देखभाल, कुली और एक मजदूर के तौर पर काम किया। मराठी कवि सुर्वे ने उस्मान अली, मेरे शब्द, लेनिन, एक नए घमासान में, दबाव नहीं डालें आप, माफ कीजिए, रायटर्स पार्क, पोस्टर जैसी चर्चित मराठी कविताओं का लेखन किया है।

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