नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए विदर्भ क्षेत्र का पर्यवेक्षक बनाया गया है। इसके पहले पूर्व विधायक कुणाल चौधरी को महाराष्ट्र चुनाव का जिम्मा दिया गया था। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। पार्टियां चुनाव में अपना दम खम दिखा रही हैं।
इनको सौंपी गई जिम्मेवारी
कांग्रेस ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इन नेताओं को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया है। जिनमें अशोक मुंबई और कोनकन क्षेत्र से अशोक गहलोत को, विदर्भ के अमरावती नागपुर क्षेत्र से भूपेश बघेल, चरणजीत सिंह चन्नी और उमंग सिंघार को, मराठवाड़ा क्षेत्र से सचिन पायलट और उत्तम कुमार रेड्डी, पश्चिमी महाराष्ट्र से टी.एस.सिंहदेव और एमबी पाटिल, उत्तरी महाराष्ट्र से सैयद नासीर हुसैन और अनसूया सीताक्का को बनाया गया है।
महाराष्ट्र में हुए सबसे ज्यादा प्रयोग
बताते चलें कि महाराष्ट्र देश का इकलौता ऐसा राज्य है, जहां पिछले पांच वर्षों में सबसे ज्यादा राजनीतिक प्रयोग हुए हैं। यहां बीजेपी, शिवसेना का गठबंधन टूटा। फिर अचानक सुबह 5 बजे शपथ ग्रहण समारोह हुआ। कुछ दिन में एनसीपी कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना की सरकार बनी। दो साल बाद शिवसेना में सबसे बड़ी टूट हुई और एक नई शिवसेना बनी, जिसे धनुष बाण का चुनाव चिह्न भी मिल गया।
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जानें क्या कहता है विदर्भ
बात विदर्भ की करें तो विदर्भ की 11 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को इस बार केवल एक सीट मिल पाई, वो भी इसलिए कि नागपुर से नितिन गड़करी चुनाव मैदान में थे और उनके सामने कांग्रेस का प्रत्याशी कमजोर था। विदर्भ में मुस्लिम और कुनबी बड़ी संख्या में हैं। कुनबी तो करीब 26 फीसदी है, जो नाना पटोले के कारण और बीजेपी की बेरुखी से कांग्रेस के साथ चला गए। उसके अलावा दूसरी बड़ी जाति हलबा कोष्टी भी चंद्रपुर में बीजेपी के खिलाफ गई। बीजेपी के साथ केवल चार फीसदी वाली कोमटी समाज की गई। बीजेपी को पिछले चुनाव में विदर्भ की 62 सीटें में से 29 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस के हाथ 15 सीट आई थी। इस बार ये मामला उलट सकता है।
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