राजस्थान में बीजेपी इस बार बडे़ पैमाने पर टिकट बदलने की तैयारी में

राजस्थान में लोकसभा चुनाव में बीजेपी पिछले दो बार से क्लीन स्वीप कर रही है। वर्ष 2014 में पार्टी ने सभी 25 सीटों पर जीत हासिल की थी, हालांकि 2018 में अजमेर और अलवर की दो सीटों पर उपचुनाव हुआ तो पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था।

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Pooja Kumari
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Vasundhra Raje
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मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान के लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी टिकटों में बडे़ पैमाने पर बदलाव करने की तैयारी में दिख रही है। बताया जा रहा है कि 25 में से 15 से 18 टिकट बदले जा सकते हैं। इनमें से छह तो वही हैं जो इस बार विधानसभा चुनाव लडे़ है। इन छह में से तीन विधायक बन चुके हैं। इनके अलावा लगातार दो बार से जीत रहे सांसदों में से भी कुछ को बदलने की तैयाारी बताई जा रही है। इसके साथ ही राज्यसभा से सांसद रहे कुछ नेताओं को इस बार लोकसभा में उतारा जा सकता है। 

2014 में पार्टी ने 25 सीटों पर की थी जीत दर्ज 

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राजस्थान में लोकसभा चुनाव में बीजेपी पिछले दो बार से क्लीन स्वीप कर रही है। वर्ष 2014 में पार्टी ने सभी 25 सीटों पर जीत हासिल की थी, हालांकि 2018 में अजमेर और अलवर की दो सीटों पर उपचुनाव हुआ तो पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2019 में पार्टी ने 24 सीटों पर चुनाव लड़ा और नागौर की एक सीट हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी को दी। इन सभी सीटों पर बीजेपी और इसके सहयोगी दल ने जीत हासिल की और कांग्रेस को प्रदेश में सत्ता होने के बावजूद लगातार दूसरी बार करारी हार का सामना करना पड़ा। 

इस बार फिर बीजेपी को क्लीन स्वीप की उम्मीद

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इस बार बीजेपी को एक बार फिर क्लीन स्वीप की उम्मीद है, क्योंकि एक तो पार्टी सत्ता में है और दूसरा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद पार्टी माहौल अपने पक्ष में मान कर चल रही है। हालांकि इसके बावजूद पार्टी ने रणनीतिक तौर पर कुछ तैयारी पहले ही कर ली है। पार्टी संगठन के स्तर पर पूरी तरह सक्रिय दिख रही है और छह सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतार कर कुछ सीटों पर एंटी इनकम्बेंसी का असर भी कम किया गया है। 

इस बार बडे़ पैमाने पर टिकट बदलने की तैयारी

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पार्टी ने पिछले चुनाव में नौ सीटों पर प्रत्याशी बदले थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार पार्टी 25 में से 15 से 18 तक टिकट बदल सकती है। इनमें से छह सीटें अजमेर, अलवर, जयपुर ग्रामीण, राजसमंद, झुंझुनूं और जालोर-सिरोही पर नए नाम आना तय माना जा रहा है, क्योंकि इनके सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ा दिया गया था। इनमें से तीन सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दिया कुमारी और बालकनाथ अभी विधायक हैं, जबकि भागीरथ चौधरी, नरेन्द्र खींचड़ और देवजी पटेल चुनाव हार गए थे। इन छह के अलावा कुछ सीटों पर लगातार दो बार से जीत रहे प्रत्याशियों को भी बदला जा सकता है। इनमें श्रीगंगागनर, चूरू, टोंक-सवाई माधोपुर, जयपुर शहर, पाली, करौली-सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, झालावाड़-बारां उदयपुर और सीकर की सीटें शामिल हैं। इसके साथ ही बाड़मेर और दौसा सीटों पर भी नए नाम आने की संभावना बताई जा रही है। 

11 सीटों को पार्टी ने माना चुनौतीपूर्ण

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दरअसल विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत बुरा नहीं रहा है। कांग्रेस 69 सीटें जीतने में कामयाब रही हैं और यही कारण है कि 25 में से 11 सीटें पार्टी चुनौतीपूर्ण मान रही है। ये वो 11 सीटें हैं जहां कांग्रेस बीजेपी से आगे रही है। इनमें जयपुर ग्रामीण, जालौर, झुंझुनूं, करौली-धौलपुर, नागौर, सीकर, टोंक-सवाईमाधोपुर, श्रीगंगानगर, अलवर, बांसवाड़ा और बाड़मेर शामिल हैं। इन सीटों पर नए प्रत्याशी उतार कर एंटी इनकम्बेंसी का असर कम करने की तैयारी में है। 

गठबंधन के बन रहे हैं आसार


पार्टी ने अभी तक गठबंधन पर स्थिति स्पष्ट नहीं की है, लेकिन बताया जा रहा है कि हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से एक बार फिर गठबंधन हो सकता है, हालांकि कृषि बिलों सहित विभिन्न मुद्दों पर बेनीवाल खुल कर बीजेपी का विरोध कर चुके हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट जीतने के बावजूद कई सीटों पर उनकी पार्टी ने मजबूत उपस्थिति दर्ज की थी। 

कुछ बडे़ नाम नजर आ सकते हैं मैदान में


इस बार पार्टी कुछ बडे़ नामों को भी लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। इनमें राज्यसभा सांसदों के नाम भी शामिल हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि झालवाड़ा-बारां से इस बार पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत के बजाए खुद राजे को मैदान में उतारा जा सकता है। दुष्यंत यहां से चार बार से जीत रहे हैं। राजस्थान में अब राजे की भूमिका सीमित हो गई है और पार्टी उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय कर सकती है। राजे ने हाल ही में झालावाड़ का दौरा भी किया और यहां लोकसभा चुनाव कार्यालय भी खोल दिया। यहां के अलावा अभी तक किसी भी सीट पर लाोकसभा चुनाव कार्यालय नहीं खुला है। इनके अलावा राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव के अलवर से चुनाव लड़ने की चर्चा है। यादव संगठन में सक्रिय रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बार कहीं भी प्रभारी की जिम्मेदारी नहीं दी गई है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जयपुर से लड़ सकते हैं चुनाव 


रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के जयपुर से चुनाव लड़ने की संभावना बताई जा रही है। पिछले दिनों उन्होंने जयपुर दौरे में जयपुर शहर के कार्यकर्ताओ और नेताओं के साथ मुलाकातें की थी और ऐसा पहली बार ही देखा गया था। इनके अलाव पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के अजमेर या चूरू से चुनाव लड़ने की संभावना बताई जा रही है, वहीं पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पिछले दिनों राजमसंद सीट से चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे। 

2019 में इन सीटों पर बीजेपी ने बदले थे उम्मीदवार


2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अजमेर, बाडमेर, बांसवाडा, राजसमंद, झुंझुनूं, अलवर, भरतपुर, नागौर और दौसा सीट पर प्रत्याशी बदले थे। इनमें दौसा के सांसद हरीश मीणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में चले गए थे, वहीं अजमेर और अलवर के सांसदों का निधन हो गया था।

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