नए जिलों के गठन पर ब्रेक, गहलोत ने जो बनाए वे भी हो सकते हैं रद्द

राजस्थान में पिछली सरकार ने पिछले वर्ष मार्च में प्रदेश में 19 जिलों के गठन की घोषणा की थी। इनमें से 17 जिलों के गठन का नोटिफिकेशन पिछले वर्ष अगस्त में जारी कर दिया गया था।

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Pooja Kumari
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Rajsthan

राजस्थान में नए जिलों के गठन पर लगा ब्रेक

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JAIPUR. राजस्थान में फिलहाल नए जिलों के गठन पर ब्रेक लग गया है। सरकार ने नए जिलों के गठन की सिफारिश के लिए बनी समिति भंग कर दी है। इतना ही नहीं पिछली सरकार ने जो 17 नए जिले बनाए थे, उन्हें भी समीक्षा के दायरे में ले लिया गया है और बताया जा रहा है कि इनमें से सात जिलों का नोटिफिकेशन रद्द कर इन्हें पुराने जिलों में ही मिलाया जा सकता है, हालांकि ये सारे काम लोकसभा चुनाव के बीद ही किए जाएंगे। 

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राजस्थान में कुल 50 जिले

राजस्थान में पिछली सरकार ने पिछले वर्ष मार्च में प्रदेश में 19 जिलों के गठन की घोषणा की थी। इनमें से 17 जिलों के गठन का नोटिफिकेशन पिछले वर्ष अगस्त में जारी कर दिया गया था। इसके बाद आचार संहिता लागू होने से दो दिन पहले तीन और नए जिलों मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन के गठन की घोषणा की गई थी, हालांकि इनका नोटिफिकेशन जारी नहीं हो सका था, इसलिए ये अस्तित्व में नहीं आ सके। ऐसे में अभी राजस्थान में पुराने 33 और नए 17 मिला कर कुल 50 जिले हैं। 

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अभी नहीं बनेंगे और नए जिले


पिछली सरकार ने नए जिलों के गठन के बारे में प्राप्त ज्ञापनों पर विचार करने और जिला गठन के बारे में सिफारिश करने के लिए पूर्व आईएएस अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में समिति का गठन किया हुआ था, लेकिन अब मौजूदा सरकार ने इस समिति को भंग कर दिया है। हाल ही में विधानसभा में एक सवाल के जवाब में राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने साफ कर दिया कि राजस्थान में नए जिले बनाने का कोई प्रस्ताव फिलहाल राज्य सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। वहीं जिला गठन के संबंध में गठित उच्च स्तरीय समिति को भंग कर दिया गया है। यानी राजस्थान में अब जब तक नई समिति नहीं बन जाती तब तक कोई नया जिला गठित होने की संभावना नहीं है। 

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नए जिलों का निर्णय समीक्षा के दायरे में


नए जिलों पर ब्रेक के साथ ही पिछली सरकार में गठित नए जिलों का निर्णय भी समीक्षा के दायरे में आ गया है। मौजूदा सरकार ने पिछली सरकार के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में किए गए फैसलों की समीक्षा के लिए मंत्रियों की एक समिति गठित कर दी है। चूंकि नए जिलों का गठन अंतिम वर्ष में ही हुआ था, इसलिए इसकी समीक्षा भी यह समिति करेगी। 

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सात जिलों का गठन हो सकता है रद्द


सूत्रों का कहना है कि नवगठित 17 जिलों में से सात का गठन रद्द किया जा सकता है, क्योंकि पिछली सरकार ने ऐसे कस्बों को भी नया जिला बना दिया, जहां पर सिर्फ तीन पुलिस थाने हैं। पुलिस सर्किल और उपखंड मुख्यालय भी नहीं के बराबर हैं। इससे अब नए जिले में आधारभूत ढांचा बनाने में सरकार का वित्तीय भार बढ़ेगा। बताया जा रहा है कि राजस्थान पुलिस मुख्यालय और सचिवालय में प्रशासनिक अधिकारियों ने सरकार को 17 नए जिलों में से 7 जिलों को विलय करने की सलाह दी। 

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लोकसभा चुनाव के बाद ही लिया जाएगा कोई भी फैसला


जिन जिलों का गठन रद्द हो सकता है, उनमें केकड़ी, अनुपगढ़, दूदू खैरथल, डीग, शाहपुरा, सलूंबर का नाम शामिल है। हालांकि इस बारे में सरकार या बीजेपी में से ऑनरिकॉर्ड कोई कुछ नहीं बोल रहा है, क्योंकि सामने लोकसभा चुनाव है। सरकार की बनी समिति की समीक्षा का काम भी लोकसभ चुनाव के बाद ही पूरा होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बारे में जो भी निर्णय होगा वह चुनाव के बाद ही सामने आएगा, अन्यथा कांग्रेस को चुनावी मुद्दा मिल जाएगा। 

ये बने थे नए जिले


बालोतरा, ब्यावर, अनूपगढ़, डीडवाना (कुचामन), डीग, दूदू, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, कोटपूतली (बहरोड़), खैरथल, नीमकाथाना, फलोदी, सलूंबर, सांचैर, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, शाहपुरा। 

चुनाव में कांग्रेस को ज्यादा फायदा नहीं मिल पाया 


आजादी के बाद राजस्थान के गठन के पश्चात पहली बार एक साथ इतने जिले बनाए गए थे और इसे तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत के मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन विधानसभा चुनाव में इसका बहुत ज्यादा फायदा कांग्रेस को नहीं मिल पाया। नवगठित 17 जिलों की 52 विधानसभा सीटों में बीजेपी ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस को 20 सीटों पर ही जीत मिली। जबकि 2 सीटें अन्य के खातों में गई।

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