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महात्मा गांधी, जिनका नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सर्वोत्तम नेताओं में लिया जाता है आज उनकी 77वीं पुण्यतिथि है। यह दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बलिदान के साथ-साथ देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले उन सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का भी है।
30 जनवरी को भारत में गांधी जी की पुण्यतिथि के साथ-साथ शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका जीवन स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक था और उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलनों की अगुवाई कर भारतीय समाज को एक नई दिशा दी। उनका ये योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य है और उनका बलिदान देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
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महात्मा गांधी का जीवन और बलिदान
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के सम्मान से नवाजा गया। उन्होंने भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र कराने के लिए सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित आंदोलन चलाया। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। गांधी जी की हत्या का समय भारतीय इतिहास में एक काले अध्याय की तरह है।
जब 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोली मारी थी, तो भारत ने अपने महान नेता को खो दिया। इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाते हुए हम गांधी जी के संघर्ष और उनके सत्य-अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। इस दिन भारत के विभिन्न हिस्सों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां गांधी जी के योगदान को याद किया जाता है।
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30 जनवरी का ऐतिहासिक महत्व
गांधी जी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भारत सरकार की ओर से राजधानी दिल्ली के राजघाट पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस मौके पर भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति और रक्षा मंत्री गांधी जी की समाधि पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
साथ ही, शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा जाता है। यह दिन देशवासियों को यह याद दिलाता है कि उन्होंने जो स्वतंत्रता प्राप्त की है, वह उन सभी शहीदों के बलिदानों के कारण ही संभव हो पाई है।
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गांधी जी की हत्या की साजिश और ग्वालियर का कनेक्शन
जानकारी के मुताबिक, गांधी जी की हत्या की साजिश ग्वालियर में रची गई थी। यहां नाथूराम गोडसे और उनके साथियों ने मिलकर गांधी जी की हत्या का षड्यंत्र तैयार किया था। बता दें कि, ग्वालियर उस समय हिंदू महासभा का गढ़ था और यहीं से गांधी जी की हत्या की योजना को अमल में लाने की शुरुआत हुई। गोडसे को यहां एक अफसर से पिस्टल मिली, जिसके बाद स्वर्णरेखा नदी के किनारे उसने पिस्टल चलाने की रिहर्सल भी की।
उसके बाद 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या दिल्ली में बिड़ला हाउस के पास नाथूराम गोडसे द्वारा की गई थी, जब उसने गांधी जी के पास जाकर उन्हें गोली मारी। गांधी जी की हत्या के बाद गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया और 15 नवंबर 1949 को उसे और उसके साथी नारायण आप्टे को फांसी दी गई। ग्वालियर में गोडसे की विचारधारा आज भी कुछ लोगों के बीच जिंदा है और गोडसे की जयंती मनाने के प्रयास होते रहे हैं।
30 जनवरी का अन्य ऐतिहासिक घटनाओं से संबंध
30 जनवरी भारतीय इतिहास में सिर्फ गांधी जी की पुण्यतिथि के कारण ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इस दिन से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं भी हैं।
- 1530 में मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह का निधन हुआ था।
- 1903 में लार्ड कर्जन ने कलकत्ता की इंपीरियल लाइब्रेरी का उद्घाटन किया था, जिसे बाद में नेशनल लाइब्रेरी नाम से जाना गया।
- 1971 में भारतीय एयरलाइंस के फोक्कर मैत्री विमान का लाहौर से अपहरण कर उसे नष्ट कर दिया गया था, जो एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम था।
- इसके अलावा, 2007 में टाटा कंपनी ने एंग्लो डच स्टील निर्माता कोरस ग्रुप को खरीदा था, जो भारतीय व्यापार इतिहास में एक बड़ा कदम था।
पीएम मोदी ने राजघाट जाकर दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि पर आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी और अन्य प्रमुख नेता राजघाट जाकर गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं, प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया X पर लिखा कि, पूज्य बापू को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि, उनके आदर्श हमें एक विकसित भारत बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। मैं देश के लिए शहीद हुए सभी लोगों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनकी सेवा और बलिदान को याद करता हूं। राहुल गांधी ने भी अपने X पर लिखा कि,गांधी जी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, वह भारत की आत्मा हैं और हर भारतीय में आज भी जीवित हैं।
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