महेश नवमी 2024 : आज महेश नवमी ( Mahesh Navami 2024 ) का त्योहार मनाया जा रहा है। महेश नवमी का पर्व हर साल भव्यता के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं। भोलेनाथ का एक नाम महेश भी है और उन्हीं के इस नाम पर यह पर्व मनाया जाता है। आज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से बिगड़े काम बनने लगते हैं। यह पर्व माहेश्वरी समाज के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं महेश नवमी की पौराणिक कथा और इसका महत्त्व... ।
महेश नवमी का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार महेश नवमी के दिन भगवान महेश और माता पार्वती ने श्राप से पत्थर बने 72 क्षत्रिय उमरावों को मुक्त किया था। इसके बाद माता पार्वती ने उन क्षत्रियों को आशीर्वाद दिया कि उनके कुल पर हमेशा उनकी छाप रहेगी और उनका वंश माहेश्वरी के नाम से जाना जाएगा।
माहेश्वरी समाज के लिए महत्वपूर्ण
माहेश्वरी समाज में महेश नवमी के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। माहेश्वरी समाज में यह उत्सव 'माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिन' के रुपमें बहुत ही भव्य रूप में और बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। माहेश्वरी समाज के लोग महेश नवमी के दिन महेश वन्दना का गायन करते हैं। साथ ही शिव मन्दिरों में भगवान महेशजी की महाआरती के बाद महाप्रसादी वितरित की जाती है।
सुख- शांति और धन वृद्धि
हर साल महेश नवमी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विशेष पूजन करने से सुख, शांति, धन वृद्धि और सौभाग्य में बढ़ोत्तरी का वरदान प्राप्त होता है। इसके अलावा आज के दिन भगवान शिव और आदिशक्ति माता पार्वती को समर्पित स्तोत्र का पाठ करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होता है।
पूजा विधि
महेश नवमी के दिन शिवलिंग और शिव परिवार का चंदन, भस्म, पुष्प, गंगा जल, मौसमी फल और बिल्वपत्र चढ़ाकर पूजन किया जाता है। पीतल का त्रिशूल चढ़ाया जाता है और कथा का श्रवण भी किया जाता है।
शुभ संयोग में महेश नवमी
महेश नवमी के दिन उतरा फाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, उत्पात योग, साथ ही बालव और कौरव करण का सुखद संयोग बन रहा है। यह युति सैंकड़ों वर्षों में आती है। इस शुभ दिन उत्कल प्रांत में पर्व राजस्व संक्रांति के नाम से भी मनाया जाता है। इस दिन रवि योग भी है जो सुखद है।
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क्यों मनाई जाती हैं महेश नवमी