BHOPAL.भगवान शिव को मोक्ष का देवता कहा जाता है। सनातन धर्म (Eternal religion ) में मान्यता है कि अगर भगवान शिव ( Lord Shiva ) की विधि-विधान के साथ पूजा की जाए, तो न केवल सारी मनोकामनाएं पूरी होती है बल्कि व्यक्ति को जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति भी मिल जाती है। विशेषकर महाशिवरात्रि ( Mahashivratri ) के दिन भगवान शिव की स्तुति करने का विशेष महत्व है। भगवान शिव के पूजन में धतूरा, पुष्प, बेल पत्र, दूध, जल, फल आदि के अलावा भस्म से भी उनका तिलक किया जाता है। सभी देवताओं में केवल भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं, जिन्हें भस्म यानी राख चढ़ाई जाती है या उनका भस्माभिषेक ( Ashes consecration ) किया जाता है। शिवपुराण ( Shivpuran ) में इससे जुड़ी एक कहानी मिलती है। आइए, जानते हैं शिवपुराण के अनुसार कि भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म क्यों लगाते थे।
शिवपुराण के अनुसार भस्म की कहानी
शिवपुराण ( Shivpuran ) के अनुसार देवी सती ( Goddess sati ) के इस संसार को छोड़ने के बाद भगवान शिव कई दिनों तक अपनी पत्नी के अधजले शव को लेकर भटकते रहे। सती के वियोग में भोलेनाथ ( Bholenath ) ने संसार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया। महादेव सती के शव को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं थे। महादेव की स्थिति देखकर सभी देवता सोच में पड़ गए कि अगर महादेव अपने कर्तव्यों का निर्वाह नहीं करेंगे, तो यह संसार कैसे चलेगा। इस कारण से भगवान विष्णु ( Lord Vishnu ) ने अपने सुदर्शन चक्र ( Sudarshan Chakra ) से देवी सती के शव के कई टुकड़े कर दिए और भगवान शिव के हाथों में शव से निकली राख रह गई। भगवान शिव ने देवी सती की उस राख को अपने पूरे शरीर पर लगाकर सती के प्रेम को याद किया और देवी सती को हमेशा के लिए स्वंय में समाहित कर लिया। इस दिन के बाद से भगवान शिव शरीर में भस्म लगाने लगे।
भस्म लगाकर भगवान शिव देते हैं संदेश
भगवान शिव शरीर में भस्म ( Ashes ) लगाकर यह संदेश देते हैं कि इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है। सब कुछ नश्वर है। कोई वस्तु और व्यक्ति चाहे कितना भी सुंदर क्यों न हो, लेकिन उसे एक न एक दिन जलकर राख हो ही जाना है। इस कारण से इस नश्वर जीवन पर कभी भी अंहकार नहीं करना चाहिए। भस्म संपूर्ण संसार को स्मरण कराती है कि इस संसार की हर एक चीज का अंतिम सत्य यही है।
उज्जैन के महाकाल में भस्म आरती का विशेष महत्व
शुक्रवार यानी 8 मार्च को महाशिवरात्रि ( Mahashivratri ) के पावन पर्व पर शोभायात्रा (Procession ) के पहले उज्जैन (Ujjain ) के महाकाल मंदिर (Mahakal Temple ) में महापूजा का आयोजन किया गया है। बताया जा रहा है कि 8 मार्च दिन शुक्रवार रात के करीब 2 बजकर 30 मिनट पर भगवान महाकाल का महारुद्राभिषेक होगा। इसके बाद सुबह 4:00 बाबा को भस्म अर्पण होगा और आरती सुबह 5:00 होगी। वहीं दोपहर 3 बजे भगवान महाकाल चंद्रमौलेश्वर रूप पालकी में नगर भ्रमण को निकलेंगे ।