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सुप्रीम कोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली है। यह याचिका विस्फोट में मारे गए एक पीड़ित के पिता निसार अहमद ने 2017 में दायर की थी।
हाईकोर्ट की जमानत रद्द करने की थी मांग
याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) द्वारा प्रज्ञा ठाकुर को दी गई जमानत को रद्द करने की अपील की गई थी। हाईकोर्ट ने अप्रैल 2017 में ठाकुर को स्वास्थ्य आधार और महिला होने के कारण जमानत दी थी।
एनआईए कोर्ट में फैसला सुरक्षित
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि अब एनआईए कोर्ट (NIA Court) ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में आगे सुनवाई जरूरी नहीं। कोर्ट ने इस तर्क को मानते हुए याचिका पर आगे विचार करने से इनकार कर दिया।
8 मई को आ सकता है फैसला
प्रज्ञा ठाकुर के मामले में एनआईए कोर्ट 8 मई, 2025 को फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को उस दिन उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
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मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामला
29 सितंबर, 2008 को मालेगांव, महाराष्ट्र में हुए ब्लास्ट में 6 लोगों की जान चली गई थी। इसमें 100 से ज्याद लोग घायल हुए थे। मामले में प्रज्ञा ठाकुर समेत कुल 7 आरोपी हैं। मामले में 108 से अधिक गवाह थे।
अप्रैल 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर को जमानत दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत देते समय कहा था कि प्रज्ञा ठाकुर को ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) है और वो गंभीर रूप से बीमार हैं। साथ ही, महिला होने के नाते उन्हें न्याय देने की आवश्यकता थी।
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जज लाहोटी को 31 अगस्त तक मिली राहत
मामले की सुनवाई कर रहे विशेष एनआईए जज ए.के. लाहोटी का तबादला प्रस्तावित था, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें 31 अगस्त तक वही पद पर बने रहने की अनुमति दी है ताकि वे इस केस में फैसला सुना सकें।
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