पूर्व प्रधानमंत्री और महान अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 को 92 वर्ष की उम्र में हुआ है। उनके निधन के बाद देश भर में शोक की लहर है, क्योंकि वे भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। उनका कार्यकाल भारत के इतिहास में मील के पत्थर के रूप में याद किया जाएगा। खासकर उनके द्वारा लिए गए फैसलों ने भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया। आइये जानते हैं डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा लिए गए 5 बड़े फैसलों के बारे में, जिन्होंने देश की दिशा और दशा बदल दी।
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राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA)
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) लागू हुआ। बाद में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) रखा गया। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन था। इस योजना के तहत ग्रामीण लोगों को साल में 100 दिन का रोजगार मिलता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन में कमी आई और रोजगार सृजन में मदद मिली।
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भारत-अमेरिका परमाणु समझौता
मनमोहन सिंह की सरकार ने 2008 में भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु समझौता (Civil Nuclear Agreement) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) से छूट मिली और उसे परमाणु प्रौद्योगिकी और यूरेनियम आयात की अनुमति प्राप्त हुई। इस फैसले ने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत किया और देश के ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए।
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सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI)
2005 में, मनमोहन सिंह सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) पारित किया, जिसने भारतीय नागरिकों को सरकारी प्राधिकरणों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार दिया। यह कानून पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक बड़ा कदम था, जिससे सरकारी कार्यों में सुधार आया और भ्रष्टाचार पर अंकुश भी लगा।
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प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer - DBT)
डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer) योजना की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य सरकारी सब्सिडी और योजनाओं का लाभ सीधे नागरिकों के बैंक खातों में पहुंचाना था, जिससे मध्यस्थों और भ्रष्टाचार को कम किया जा सके। आज यह योजना देशभर में प्रभावी रूप से लागू है और लाखों लोग इसका लाभ उठा रहे हैं।
आधार की शुरुआत
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) का गठन हुआ, जिसने भारत में आधार कार्ड की शुरुआत की। यह एक डिजिटल पहचान प्रमाण है, जो नागरिकों को सभी सरकारी सेवाओं तक आसानी से पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया था। आधार आज भारत की सामाजिक और वित्तीय नीतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
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