34 साल पहले का वो बजट जिसने देश को बदल दिया, क्या 2025 में भी होगी ऐसी क्रांति?

1991 में मनमोहन सिंह द्वारा पेश किया गया बजट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ और इसने देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की।आइए, जानते हैं कि ये बजट क्यों महत्वपूर्ण था।

Advertisment
author-image
thesootr Network
New Update
MANMOHAN SINGH.

MANMOHAN SINGH.

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार आठवीं बार भारत का केंद्रीय बजट पेश करने जा रही हैं। यह उपलब्धि उनके लिए खास है, क्योंकि इसके साथ ही वह पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम दर्ज रिकॉर्ड की बराबरी करेंगी, जिन्होंने सबसे अधिक 10 बार बजट पेश किया था। अब आपको बता दें कि, भारत में बजट से जुड़ी कई दिलचस्‍प घटनाएं रही हैं, जो हमेशा याद की जाती हैं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक बजट मनमोहन सिंह ने पेश किया था, जो भारतीय इतिहास में अमर हो गया है। 

मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। 1991 में जब वो भारत के 22वें वित्त मंत्री बने, तो उन्होंने एक ऐतिहासिक बजट पेश किया, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा को हमेशा के लिए बदल दिया। इस बजट ने भारत को संकट से उबारा और आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू की। ये बजट भारतीय इतिहास में एक मील का पत्थर बन गया। तो ऐसे में आइए, जानते हैं कि 1991 का बजट क्यों इतना महत्वपूर्ण था और इसने भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर डाला।

खबर ये भी- बजट 2025 से पहले सोने की कीमत ने तोड़े रिकॉर्ड, जानें पिछले साल बजट के बाद क्या थे रेट

Dr.-Singh-had-made-many-big-announcements-in-budge | डॉ. मनमोहन सिंह ने 1991  के ऐतिहासिक बजट में किए थे कई बड़े ऐलान

मनमोहन सिंह का 1991 का ऐतिहासिक बजट

24 जुलाई 1991 को, जब डॉ. मनमोहन सिंह ने अपना पहला बजट पेश किया, तो ये भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक नई दिशा का संकेत था। उस समय देश गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था और विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी थी। डॉ. सिंह ने इस बजट में कई बड़े और साहसी कदम उठाए।

उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को खुला और प्रतिद्वंद्वी बनाने के लिए औद्योगिक लाइसेंस राज को समाप्त किया और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां बनाई। ये बजट उस समय के लिए एक क्रांतिकारी कदम था, जिसने भारत को वैश्विक बाजार (global market) में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

Manmohan Singh- सो रहे थे मनमोहन सिंह, इस शख्स ने जगाकर वित्त मंत्री बनाने  के लिए मनाया, फिर बदली सियासी किस्मत | Jansatta

भारत में उदारीकरण और निजीकरण (Liberalization and privatization)

मनमोहन सिंह के 1991 के बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण और निजीकरण की प्रक्रिया को शुरू किया। लाइसेंस राज का अंत और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के निर्णय ने भारतीय उद्योग को नई दिशा दी। इससे भारतीय कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा (global competition) का सामना करना पड़ा और उन्होंने अपनी कार्यक्षमता और उत्पादकता में सुधार किया। इसने भारतीय बाजार को वैश्विक पूंजी के लिए खोल दिया और विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित किया।

खबर ये भी- बजट से पहले सस्ता हुआ LPG सिलेंडर, देखें अपने शहर के रेट

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) - वित्त वेद

निवेशकों के लिए भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना

मनमोहन सिंह का बजट भारतीय निवेशकों के लिए भी लाभकारी साबित हुआ। उन्होंने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना की घोषणा की, जिससे भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों की सुरक्षा बढ़ी। इससे भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता और विनियमन का माहौल बना, जिससे निवेशकों का विश्वास भी बढ़ा।

amid coronavirus pandemic former pm manmohan singh gives advice to  government to revive economy | कोरोना संकट: डगमगाती अर्थव्यवस्था बीच मनमोहन  सिंह ने दिए तीन टिप्स, बोले- बड़े कदम ...

अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए प्रमुख कदम

मनमोहन सिंह के बजट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता आई। विदेशों से निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनाई गईं, जिससे देश में आर्थिक विकास को गति मिली। इसके अलावा, उन्होंने भारत को संरक्षणवाद (protectionism) से बाहर निकालते हुए खुले बाजार की दिशा में कदम बढ़ाए। उनकी नीतियों ने भारतीय उद्योग को एक नए युग में प्रवेश दिलाया और देश के विकास के लिए रास्ते खोले।

खबर ये भी- Budget 2025: भारत के बजट की रोचक कहानी... जानें समय के साथ कैसे बदली परंपराएं

Manmohan Singh: Architect of 1991 reforms and new economic era

विदेशी कर्ज और IMF से समझौता

1991 के बजट से पहले भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से सहायता प्राप्त की थी। भारत को IMF से 2.2 बिलियन डॉलर का कर्ज मिला था, जिसके बदले में उसे अपनी आर्थिक नीतियों में बदलाव करने पड़े थे। ये सुधार स्वतंत्रता के बाद भारतीय सरकार द्वारा किए गए सबसे महत्वपूर्ण और दूरगामी सुधार थे।

IMF के साथ समझौते के तहत, भारत ने अपनी आर्थिक नीतियों को उदार बनाने के लिए कदम उठाए। इसमें टैक्स और कस्टम ड्यूटी में कटौती, विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नियमों में बदलाव, और सरकारी कंपनियों के निजीकरण के लिए कदम उठाए गए।

1991 का वो बजट… जिसने बदला भारत, जानें- मनमोहन सिंह ने क्यों कहा था बलिदान  के लिए रहें तैयार | That budget of 1991 which changed India know what  Manmohan Singh said

वामपंथी सहयोगियों (leftist allies) के विरोध के बावजूद साहसिक निर्णय

मनमोहन सिंह के द्वारा उठाए गए ये कदम वामपंथी सहयोगियों के विरोध का कारण बने। उनका कहना था कि इन नीतियों से गरीबों को नुकसान होगा। लेकिन डॉ. सिंह ने इसे मजाक में लेते हुए बताया कि उनका उद्देश्य भारत को स्थिर और समृद्ध अर्थव्यवस्था में बदलना था। उन्होंने मजाकिया अंदाज में ये भी कहा कि अगर उनका बजट उनकी पत्नी को ही नाखुश करता है, तो इसका असर देश की आर्थिक सेहत पर भी पड़ेगा। इस तरह उन्होंने अपनी कुशलता और राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दिया।

खबर ये भी- 20 महीने में सिर्फ 'लाड़ली' पर बजट का 11 फीसदी खर्च, फ्रीबीज के दो 'मिशन' अभी कतार में

साहित्यिक संदर्भों के साथ आलोचनाओं का सामना करना

मनमोहन सिंह ने अपनी आलोचनाओं का सामना करते हुए साहित्यिक संदर्भों (literary references) का भी उपयोग किया। जब उनके ऊपर ये आरोप लगे कि उन्होंने विश्व बैंक के निर्देशों पर काम किया, तो उन्होंने इसका मजाक उड़ाते हुए इसे पश्चिम बंगाल के संदर्भ में बताया। इस तरह से उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और सेंस ऑफ ह्यूमोर का परिचय दिया, जो उनके व्यक्तित्व को और भी आकर्षक बनाता था।

मनमोहन सिंह ने 1991 के ऐतिहासिक केंद्रीय बजट का बचाव कैसे किया? - how did  manmohan singh defend the historic union budget of 1991-mobile

युगांतकारी बजट का प्रभाव

मनमोहन सिंह का 1991 का बजट भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। ये बजट न केवल आर्थिक उदारीकरण के एक नए युग की शुरुआत था, बल्कि इसने भारत को वैश्विक बाजार में एक नई पहचान दी। यही कारण है कि इसे "युगांतकारी बजट" कहा जाता है।

इस बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नए अवसरों और विकास की दिशा में अग्रसर किया। मनमोहन सिंह के जाने के बाद, सार्वजनिक नीति में एक शून्यता का निर्माण हुआ है। उनके बिना, भारत में नीतिगत फैसले लेने में कठिनाई आई। उनके द्वारा किए गए आर्थिक सुधार आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव बन चुके हैं।

बजट 2025 तिथि और समय: जानें कब पेश करने जा रही हैं निर्मला सीतारमण इस साल  का केंद्रीय बजट

आठवीं बार बजट पेश करेंगी निर्मला सीतारमण

आज मोदी सरकार 3.0 का दूसरा बजट पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार आठवीं बार बजट पेश करेंगी। बता दें कि, पहले वो छह पूर्णकालिक (full time) और दो अंतरिम बजट (interim budget) पेश कर चुकी हैं। आपको बता दें कि, निर्मला सीतारमण पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं, जिन्होंने जुलाई 2019 से लगातार पांच पूर्ण बजट और एक अंतरिम बजट पेश किए हैं।

इसके साथ ही वो पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम दर्ज रिकॉर्ड की बराबरी करेंगी, जिन्होंने सबसे अधिक 10 बार बजट पेश किया था। ये भारतीय राजनीति और वित्तीय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जो दर्शाता है कि उन्होंने इस भूमिका में किस प्रकार की स्थिरता और सफलता हासिल की है।

वहीं इस बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक कल्याण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर जोर रहने की संभावना है। रोजगार के मोर्चे पर भी घोषणाएं हो सकती हैं। सैलरीड क्लास को आयकर छूट बढ़ने की उम्मीद है और किसान सम्मान निधि बढ़ाने का भी ऐलान हो सकता है। इस बजट के कारण शनिवार को शेयर बाजार भी खुलेगा।

FAQ

मनमोहन सिंह ने 1991 में किस तरह का बजट पेश किया था?
मनमोहन सिंह ने 1991 में एक ऐतिहासिक बजट पेश किया था, जिसमें आर्थिक उदारीकरण और औद्योगिक लाइसेंस प्रणाली को समाप्त करने जैसे कदम उठाए गए।
डॉ. सिंह ने बजट में कौन से महत्वपूर्ण सुधार किए थे?
उन्होंने विदेशी निवेश के लिए रास्ते खोले, सीमा शुल्क को घटाया और भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना की घोषणा की।
1991 के बजट को क्यों 'युगांतकारी' कहा जाता है?
यह बजट भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नए युग की ओर ले गया, जिसमें औद्योगिक लाइसेंस राज की समाप्ति और विदेशी निवेश के लिए रास्ते खोले गए।
मनमोहन सिंह के बजट ने किस प्रकार निवेशकों की स्थिति को प्रभावित किया?
मनमोहन सिंह के बजट ने भारतीय शेयर बाजार को नियंत्रित करने और निवेशकों की सुरक्षा के लिए SEBI की स्थापना की, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा।
1991 के बजट के बाद भारत की आर्थिक स्थिति में क्या बदलाव आया?
इस बजट के बाद भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ, विदेशी निवेश बढ़ा, और भारतीय उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करने का मौका मिला।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण भारतीय अर्थव्यवस्था budget Economic Survey डॉ. मनमोहन सिंह budget live पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई देश दुनिया न्यूज budget 2025 Economic survey 2025