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MANMOHAN SINGH.
1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार आठवीं बार भारत का केंद्रीय बजट पेश करने जा रही हैं। यह उपलब्धि उनके लिए खास है, क्योंकि इसके साथ ही वह पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम दर्ज रिकॉर्ड की बराबरी करेंगी, जिन्होंने सबसे अधिक 10 बार बजट पेश किया था। अब आपको बता दें कि, भारत में बजट से जुड़ी कई दिलचस्प घटनाएं रही हैं, जो हमेशा याद की जाती हैं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक बजट मनमोहन सिंह ने पेश किया था, जो भारतीय इतिहास में अमर हो गया है।
मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। 1991 में जब वो भारत के 22वें वित्त मंत्री बने, तो उन्होंने एक ऐतिहासिक बजट पेश किया, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा को हमेशा के लिए बदल दिया। इस बजट ने भारत को संकट से उबारा और आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू की। ये बजट भारतीय इतिहास में एक मील का पत्थर बन गया। तो ऐसे में आइए, जानते हैं कि 1991 का बजट क्यों इतना महत्वपूर्ण था और इसने भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर डाला।
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मनमोहन सिंह का 1991 का ऐतिहासिक बजट
24 जुलाई 1991 को, जब डॉ. मनमोहन सिंह ने अपना पहला बजट पेश किया, तो ये भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक नई दिशा का संकेत था। उस समय देश गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था और विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी थी। डॉ. सिंह ने इस बजट में कई बड़े और साहसी कदम उठाए।
उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को खुला और प्रतिद्वंद्वी बनाने के लिए औद्योगिक लाइसेंस राज को समाप्त किया और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां बनाई। ये बजट उस समय के लिए एक क्रांतिकारी कदम था, जिसने भारत को वैश्विक बाजार (global market) में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
भारत में उदारीकरण और निजीकरण (Liberalization and privatization)
मनमोहन सिंह के 1991 के बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण और निजीकरण की प्रक्रिया को शुरू किया। लाइसेंस राज का अंत और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के निर्णय ने भारतीय उद्योग को नई दिशा दी। इससे भारतीय कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा (global competition) का सामना करना पड़ा और उन्होंने अपनी कार्यक्षमता और उत्पादकता में सुधार किया। इसने भारतीय बाजार को वैश्विक पूंजी के लिए खोल दिया और विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित किया।
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निवेशकों के लिए भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना
मनमोहन सिंह का बजट भारतीय निवेशकों के लिए भी लाभकारी साबित हुआ। उन्होंने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना की घोषणा की, जिससे भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों की सुरक्षा बढ़ी। इससे भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता और विनियमन का माहौल बना, जिससे निवेशकों का विश्वास भी बढ़ा।
अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए प्रमुख कदम
मनमोहन सिंह के बजट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता आई। विदेशों से निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनाई गईं, जिससे देश में आर्थिक विकास को गति मिली। इसके अलावा, उन्होंने भारत को संरक्षणवाद (protectionism) से बाहर निकालते हुए खुले बाजार की दिशा में कदम बढ़ाए। उनकी नीतियों ने भारतीय उद्योग को एक नए युग में प्रवेश दिलाया और देश के विकास के लिए रास्ते खोले।
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विदेशी कर्ज और IMF से समझौता
1991 के बजट से पहले भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से सहायता प्राप्त की थी। भारत को IMF से 2.2 बिलियन डॉलर का कर्ज मिला था, जिसके बदले में उसे अपनी आर्थिक नीतियों में बदलाव करने पड़े थे। ये सुधार स्वतंत्रता के बाद भारतीय सरकार द्वारा किए गए सबसे महत्वपूर्ण और दूरगामी सुधार थे।
IMF के साथ समझौते के तहत, भारत ने अपनी आर्थिक नीतियों को उदार बनाने के लिए कदम उठाए। इसमें टैक्स और कस्टम ड्यूटी में कटौती, विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नियमों में बदलाव, और सरकारी कंपनियों के निजीकरण के लिए कदम उठाए गए।
वामपंथी सहयोगियों (leftist allies) के विरोध के बावजूद साहसिक निर्णय
मनमोहन सिंह के द्वारा उठाए गए ये कदम वामपंथी सहयोगियों के विरोध का कारण बने। उनका कहना था कि इन नीतियों से गरीबों को नुकसान होगा। लेकिन डॉ. सिंह ने इसे मजाक में लेते हुए बताया कि उनका उद्देश्य भारत को स्थिर और समृद्ध अर्थव्यवस्था में बदलना था। उन्होंने मजाकिया अंदाज में ये भी कहा कि अगर उनका बजट उनकी पत्नी को ही नाखुश करता है, तो इसका असर देश की आर्थिक सेहत पर भी पड़ेगा। इस तरह उन्होंने अपनी कुशलता और राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दिया।
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साहित्यिक संदर्भों के साथ आलोचनाओं का सामना करना
मनमोहन सिंह ने अपनी आलोचनाओं का सामना करते हुए साहित्यिक संदर्भों (literary references) का भी उपयोग किया। जब उनके ऊपर ये आरोप लगे कि उन्होंने विश्व बैंक के निर्देशों पर काम किया, तो उन्होंने इसका मजाक उड़ाते हुए इसे पश्चिम बंगाल के संदर्भ में बताया। इस तरह से उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और सेंस ऑफ ह्यूमोर का परिचय दिया, जो उनके व्यक्तित्व को और भी आकर्षक बनाता था।
युगांतकारी बजट का प्रभाव
मनमोहन सिंह का 1991 का बजट भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। ये बजट न केवल आर्थिक उदारीकरण के एक नए युग की शुरुआत था, बल्कि इसने भारत को वैश्विक बाजार में एक नई पहचान दी। यही कारण है कि इसे "युगांतकारी बजट" कहा जाता है।
इस बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नए अवसरों और विकास की दिशा में अग्रसर किया। मनमोहन सिंह के जाने के बाद, सार्वजनिक नीति में एक शून्यता का निर्माण हुआ है। उनके बिना, भारत में नीतिगत फैसले लेने में कठिनाई आई। उनके द्वारा किए गए आर्थिक सुधार आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव बन चुके हैं।
आठवीं बार बजट पेश करेंगी निर्मला सीतारमण
आज मोदी सरकार 3.0 का दूसरा बजट पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार आठवीं बार बजट पेश करेंगी। बता दें कि, पहले वो छह पूर्णकालिक (full time) और दो अंतरिम बजट (interim budget) पेश कर चुकी हैं। आपको बता दें कि, निर्मला सीतारमण पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं, जिन्होंने जुलाई 2019 से लगातार पांच पूर्ण बजट और एक अंतरिम बजट पेश किए हैं।
इसके साथ ही वो पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम दर्ज रिकॉर्ड की बराबरी करेंगी, जिन्होंने सबसे अधिक 10 बार बजट पेश किया था। ये भारतीय राजनीति और वित्तीय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जो दर्शाता है कि उन्होंने इस भूमिका में किस प्रकार की स्थिरता और सफलता हासिल की है।
वहीं इस बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक कल्याण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर जोर रहने की संभावना है। रोजगार के मोर्चे पर भी घोषणाएं हो सकती हैं। सैलरीड क्लास को आयकर छूट बढ़ने की उम्मीद है और किसान सम्मान निधि बढ़ाने का भी ऐलान हो सकता है। इस बजट के कारण शनिवार को शेयर बाजार भी खुलेगा।
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