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BHOPAL. देश की 'आधी आबादी' यानी महिलाएं अब सत्ता के केंद्र में हैं। क्या राज्य और केंद्र सरकारें... सभी महिलाओं को लुभा रही हैं। राजनीति में महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए अब व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। कहीं चिंता वोट की है तो कहीं जनाधार की। देश में नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम से विधेयक पारित हो चुका है। इसके अनुसार, 2029 से संसद और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
इधर, मध्य प्रदेश भी कर्ज ले लेकर नारी सशक्तिकरण का नारा बुलंद कर रहा है। स्थिति ऐसी हो गई है कि कर्ज लेने में मध्य प्रदेश आज पूरे देश अव्वल है। इसकी बड़ी वजह भी फ्रीबीज यानी रेवड़ियां ही हैं। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो मध्य प्रदेश अकेले लाड़ली बहना योजना में सरकार अब तक अपने बजट की करीब 11 फीसदी राशि इसी पर खर्च कर चुकी है।
आसान भाषा में कहें तो मध्य प्रदेश का वर्ष 2024-25 का बजट 3 लाख 65 हजार करोड़ से ज्यादा का था, जबकि सरकार अकेले लाड़ली बहना योजना पर अब तक करीब 20 महीने में 30 हजार 765 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। ये वो राशि है, जो महिलाओं के खाते में डिपोजिट हुई है। इसके इतर योजना के प्रचार-प्रसार और कार्यक्रमों पर विधानसभा चुनाव के दौरान करीब 120 करोड़ रुपए खर्च कर चुके है।
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किस योजना में कितनी राशि खर्च की...
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जननी सुरक्षा योजना में वर्तमान वित्त वर्ष में दिसम्बर 2024 तक लगभग 6 लाख हितग्राहियों को 79 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया गया।
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प्रदेश की लगभग 26 लाख बहनों को 450 रुपए में गैस सिलेंडर की रीफिलिंग के लिए वर्ष 2024 में 715 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का अंतरण किया गया।
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महिला उद्यमियों के प्रोत्साहन के लिए 850 एमएसएमई इकाइयों को 275 करोड़ रुपए की राशि का अंतरण किया गया।
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सेनिटेशन एवं हाइजीन योजना में 19 लाख से अधिक स्कूली बालिकाओं को 57 करोड़ रुपए की राशि अंतरित की गई है।
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आहार अनुदान योजना में विशेष पिछड़ी जनजाति की बैगा, सहरिया और भारिया वर्ग की महिलाओं के खाते में जनवरी 2024 से लेकर दिसंबर 2024 तक 325 करोड़ रुपए की राशि दी गई।
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इसी तरह वित्त वर्ष 2024- 25 में लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिए 1 हजार 231 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
1. महिला श्रमिकों को अब प्रोत्साहन भी देगी सरकार
कहानी यहीं खत्म नहीं होती...। प्रदेश में स्व-रोजगार से स्वावलंबन के जरिए महिलाओं की जीवन-स्थिति में बदलाव लाने के लिए महिला श्रम पर आधारित उद्योगों, विशेष रूप से रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्री में प्रति महिला श्रमिक 5 हजार रुपए के मान से प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया है।
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2. अब देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन की कवायद
इधर, अब मोहन सरकार ने देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन शुरू करने का फैसला किया है। दावा है कि इस मिशन का मकसद महिलाओं और बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, आर्थिक स्वावलंबन और सुरक्षा को मजबूत करना है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और समाज में उनकी भागीदारी बढ़े। इस मिशन पर सरकार भागी भरकम पैसा खर्च करेगी, जिसकी व्यवस्था वित्त वर्ष 2025—26 के बजट में की जाएगी।
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मिशन के मुख्य लक्ष्य...
1. लड़कियों के जन्म अनुपात में सुधार
2. 10वीं कक्षा तक बेटियों की शिक्षा में बढ़ोतरी
3. मातृ मृत्यु दर में कमी
4. महिला अपराधों को कम करना
5. बाल विवाह रोकना
6. महिलाओं की रोजगार में भागीदारी बढ़ाना
बजट से ज्यादा खर्च का भार
योजनाओं की पूर्ति के लिए सरकार कर्ज पर कर्ज लिए जा रही है। मोहन सरकार ने नए साल के पहले दिन ही 5 हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लिया था। 2024-25 के वित्तीय वर्ष में सरकार ने कुल 45 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया है। यह कर्ज मुख्य रूप से लाड़ली बहना योजना और कर्मचारियों के महंगाई भत्ते के लिए लिया गया है। कर्ज से हालत बिगड़ते जा रहे हैं।
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साल दर साल कितना लिया कर्ज...
वर्ष | कर्ज |
2022-23 | 26849 करोड़ |
2023-24 | 26264 करोड़ |
2024-25 | 45000 करोड़ |