/sootr/media/media_files/2025/01/31/MNJsJBAUIJahqllK3ODn.jpg)
BHOPAL. विकास कार्यों के जरिए अपनी जेब भरने वाले अफसर अब डीएमएफ यानी डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन में सेंध लगाने की तैयारी में है। विभागों के बजट के साथ ही ये अधिकारी वित्त वर्ष पूरा होने से पहले डीएमएफ में जमा 8 हजार करोड़ भी खर्च करने की जुगत लगा रहे हैं। इसके लिए खनिज उपलब्धता वाले क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं और अंचल के लोगों की जगह इस राशि को दूसरे क्षेत्रों और गैरजरूरी कामों पर खर्च किया जा रहा है। जबकि केंद्र की गाइडलाइन इसकी अनुमति नहीं देती। इस बाध्यता को देखते हुए केंद्र के समक्ष मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों ने आपत्ति दर्ज कराई है। हालांकि, आपत्ति के पीछे गाइडलाइन की वह सख्ती है जो अधिकारियों की मनमर्जी पर पाबंदी लगाती है।
ये खबर भी पढ़िए...
DMF के पैसे में 50 हजार करोड़ का महाघोटाला, पूर्व मंत्री ने की शिकायत
खनिज उपलब्धता वाले जिलों से मिलने वाली रायल्टी का एक हिस्सा संबंधित जिलों में विकास कार्यों में खर्च किया जाता है। यह राशि डीएमएफ यानी डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन में जमा होती रहती है। यह राशि खनिज उपलब्धता वाले क्षेत्रों में 15 किलोमीटर के दायरे में स्थित बसाहटों में पेयजल, स्कूल भवन जैसे जरूरी कामों पर खर्च की जा सकती है। वहीं सड़क, भवन जैसे अधोसंरचना से जुड़े काम भी 25 किलोमीटर की सीमा में ही कराए जा सकते हैं। जिलों से मिलने वाली खनिज रायल्टी के इस हिस्से को दूसरे जिलों या उसी जिले के दूसरे क्षेत्रों में खर्च नहीं किया जा सकता।
साइबर ठगी में करोड़ों की हेराफेरी कर दुबई भेजने वाला आरोपी हाईकोर्ट से भी नहीं पा सका जमानत
सख्ती के बाद भी गैरजरूरी कामों पर खर्च
डीएमएफ का दुरुपयोग या फिजूलखर्ची न हो इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा गाइडलाइन बनाई गई है। हांलाकि अधिकारी अपनी मर्जी पर बंदिश लगाने वाले इस गाइडलाइन को मानने तैयार नहीं है। यही वजह है कि किसी न किसी बहाने के जरिए डीएमएफ का उपयोग दूसरे जिलों और क्षेत्रों में धड़ल्ले से किया जा रहा है।
साल 2015-2016 में डीएमएफ की व्यवस्था की गई थी। फिलहाल प्रदेश में डीएमएफ में 7,949 करोड़ से ज्यादा रुपए जमा है। डीएमएफ के 3819 करोड़ रुपए से 15 हजार छोटे-बड़े विकास कार्य कराए जा रहे हैं। इनमें 4 हजार से ज्यादा पेयजल, स्वास्थ्य सुविधा संबंधी 700, स्किल डेव्लपमेंट के 1600, पर्यावरण संरक्षण संबंधित 1100, शिक्षा व्यवस्था के 2500, महिला एवं बाल कल्याण संबंधी 900 के अलावा इन्फ्रा डेव्लपमेंट के 3800, सिंचाई के 322 और ऊर्जा संबंधी 800 से ज्यादा प्रोजेक्ट चल रहे हैं। जबकि इनमें से ज्यादातर प्रोजेक्ट न तो प्राथमिकता वाले हैं और न संबंधित क्षेत्रों को इनका लाभ हो रहा है।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मेहमानों को परोसी जाएंगी MP की स्पेशल डिश, खास मेन्यू तैयार
विभागों के बजट के साथ डीएमएफ में सेंध
डीएमएफ के मनमाने उपयोग के जरिए अधिकारी अपनी जेबें भी भर रहे हैं। प्रदेश में इस फंड से विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों के फर्जीवाड़े की शिकायतें भी सरकार और केंद्रीय एजेंसियों तक पहुंची हैं। डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन से अनूपपुर जिले में कृषि विकास के नाम पर दो करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार की शिकायत सामने आई है। जिसके बाद ईओडब्लू द्वारा कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के विरुद्ध जांच शुरू की गई है। पेयजल, सिंचाई, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कामों पर भी बेहिसाब खर्च की शिकायतें भी लगातार सामने आती रही हैं। इनको देखते हुए अब केंद्र द्वारा डीएमएफ की निगरानी और जांच की जिम्मेदारी कैग यानी कंट्रोलर एवं ऑडिटर जनरल को सौंपी है। जबकि पहले चार्टर्ड अकाउंटेंट से ऑडिट कराते हुए अधिकारी अपने फर्जीवाड़े को छिपा लेते थे।
Deva Review: देवा में शाहिद की धमाकेदार परफॉर्मेंस ने मचाई धूम, एक्शन का जबरदस्त ओवरडोज
डीएमएफ की गाइडलाइन में बदलाव पर जोर
केंद्र द्वारा डीएमएफ के उपयोग के सख्त नियमों पर अधिकारियों द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई है। मध्यप्रदेश सहित कुछ दूसरे राज्यों से भी केंद्र से गाइडलाइन में बदलाव की मांग की गई है। अधिकारी गाइडलाइन की सख्ती से सहमत नहीं है। इसके पीछे तर्क भी दिया गया है कि विशेष क्षेत्रों से खनिज रायल्टी की मद में करोड़ों रुपए जमा होते हैं तो ज्यादातर जिलों में खनिज रायल्टी से मामूली कमाई होती है। सिंगरौली जिला सालभर में इस फंड में 800 करोड़ तक जुटाता है लेकिन कई जिलों में ये राशि कुछ करोड़ ही हो पाती है। इस वजह से विकास कार्यों का नियोजन नहीं हो पा रहा और फंड बचा रह जाता है। केंद्र ने राज्यों की आपत्तियों को देखते परीक्षण समिति बना दी है। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर गाइडलाइन में बदलाव भी किए जा सकते हैं।
फाउंडेशन में जिलों की हिस्सेदारी
सबसे ज्यादा भागीदारी वाले जिले
सिंगरौली-5023.86
अनूपपुर-527.00
सतना-519.55
शहडोल-287.41
कटनी-208.66
बालाघाट-206.73
सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट वाले जिले
अनूपपुर-3110
सतना-1962
बैतूल-1250
शहडोल-1242
सिंगरौली-235
मैहर-1092