छत्तीसगढ़ में डीएमएफ में 50 हजार करोड़ का महाघोटाला हुआ है। कलेक्टर अपनी मर्ज़ी से इस फंड को इस्तेमाल कर रहे हैं। कलेक्टरों पर डीएमएफ के पैसों को खाने का आरोप लगा है। बीजेपी सरकार में गृह मंत्री रहे ननकीराम कंवर ने यह शिकायत ईडी और सीबीआई को भेजी है। उनके दस्तावेज़ में वर्तमान कलेक्टर से लेकर पूर्व कलेक्टरों तक पर डीएमएफ में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया गया है।
वर्तमान कलेक्टर पर डीएमएफ की राशि दूसरी मद में खर्च करने का आरोप है तो पूर्व कलेक्टर पर 500 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया गया है। कंवर ने जांच एजेंसियों को 37 पेज के दस्तावेज भेजे हैं। साथ ही सीएजी से डीएमएफ की राशि की पड़ताल प्रदेश के सभी जिलों में करने की मांग की है।
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डीएमएफ का महाघोटाला
एक बार फिर से छत्तीसगढ़ का डीएमएफ घोटाला सुर्खियों में है। पूर्व गृह मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर ने 37 पेज की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के साथ ही ईडी और सीबीआई के डायरेक्टर को भेजी है। इस शिकायत में पूरे प्रदेश में 50 हजार करोड़ के डीएमएफ घोटाले की शिकायत की गई है।
अकेले कोरबा में ही 10 हजार करोड़ का घोटाला किया गया है। कंवर ने अपनी शिकायत में कोरबा के वर्तमान कलेक्टर अजीत बसंत और पूर्व कलेक्टर संजीव कुमार झा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। आइए द सूत्र आपको बताएगा कि कलेक्टरों पर किस तरह के आरोप लगाए गए हैं।
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जिसको 25 करोड़ देने का रिकॉर्ड,उसने कहा नहीं मिला एक भी रुपया
यह मामला साल 2018 का है। तब कोरबा के तत्कालीन कलेक्टर मो कैसर अब्दुल हक थे। कलेक्टर पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है। कोरबा डीएमएफ के एकाउंट डिटेल में इंट्री की गई है कि 25 करोड़ रुपए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकैमिकल्स,इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी यानी सिपेट को दिए गए।
यह राशि चेक के जरिए 18 सितंबर 2018 को दी गई। जब सिपेट से इस बारे में पूछा गया कि तो सिपेट ने लिखित रुप में जवाब दिया कि 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच में उनको डीएमएफ कोरबा से कोई राशि नहीं मिली। तो फिर आखिर ये पैसा गया कहां। यह गड़बड़ी दस्तावेजों में सामने आ रही है। डीएमएफ के एकाउंट की डीटेल और सिपेट के जवाब की कॉपी द सूत्र के पास है।
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किसानों की जमीन ले ली लेकिन मुआवजा नहीं दिया
कंवर ने अपनी शिकायत में कोरबा के पूर्व कलेक्टर संजीव कुमार झा पर 500 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। झा के कार्यकाल 1 जुलाई 2022 से 31 जुलाई 2023 तक यानी 2022_23 में जिला खनिज संस्थान ट्रस्ट की परिषद के फैसलों के खिलाफ जाकर काम किया गया है।
इस दौरान सामग्री सप्लाई, स्ट्रीट लाइट, महिला समितियों को प्राप्त सामग्री,शिक्षा विभाग,स्वास्थ्य विभाग और उद्यान विभाग के घटिया निर्माण और स्तरहीन सामान की सप्लाई मार्केट रेट से ज्यादा की कीमत पर की गई। वहीं कोरबा जिले में एसईसीएल की दीपिका,कुसमंदा,गेवरा में कोयला खदानें हैं। यहां पर किसानों से जमीन अधिग्रहित की गई है लेकिन किसानों को न कोई मुआवजा दिया गया और न ही कोई नौकरी। वे कई सालों से न्याय के लिए भटक रहे हैं। यहां तक कि किसानों से ली गई जमीन का सालों से कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है।
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डीएमएफ की राशि से रेल्वे का अंडर ब्रिज निर्माण
कोरबा के वर्तमान कलेक्टर अजीत बसंत पर डीएमएफ की राशि दूसरे मद में खर्च करने का आरोप है। अजीत बसंत ने डीएमएफ के 80 करोड़ रुपए से सोनालिया पुल में अंडर ब्रिज निर्माण का काम कराया जा रहा है। जबकि नियमानुसार यह काम डीएमएफ के फंड से नहीं किया जा सकता। डीएमएफ की राशि खान प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सड़क,बिजली,पानी,अस्पताल और स्कूल जैसे कामों के लिए ही खर्च किया जा सकता है।