मनरेगा की जगह आया वीबी जी राम जी कानून, क्या कहता है ये नया कानून और ये मनरेगा से कितना अगल होगा

जी राम जी कानून पुराने मनरेगा की जगह अब 125 दिन के रोजगार की पक्की गारंटी देगा। इसमें केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में खर्च साझा करेंगे। इसमें खुदाई के बजाय अब पक्के इंफ्रास्ट्रक्चर और जल सुरक्षा जैसे कार्यों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। यहां जानें डिटेल

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Kaushiki
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भारत सरकार ने ग्रामीण इलाकों में गरीबी मिटाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने "विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) अधिनियम 2025" को मंजूरी दी।

इस नए कानून को जी राम जी (VB G-RAM-G) से जाना जाएगा। सबसे जरूरी बात ये है कि ये नया कानून पुराने मनरेगा (MNREGA) 2005 की जगह लेगा। सरकार का लक्ष्य ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा को पहले से अधिक मजबूत बनाना है।

ये मिशन 'विकसित भारत 2047' के बड़े सपने को पूरा करने की एक अहम कड़ी है। ऐसे में आइए इस नए कानून जी राम जी (VB G-RAM-G) के बारे में डिटेल से जानें...

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MGNREGA 2005 के बारे में

मनरेगा यानी MGNREGA 2005 भारत सरकार की एक योजना है। इसने ग्रामीण इलाकों में रहने वाले गरीब परिवारों को काम पाने का कानूनी हक दिया। इसका मकसद गांवों में बेरोजगारी और पलायन को रोकना था।

इस कानून के तहत, हर ग्रामीण परिवार के कम से कम एक सदस्य को साल में 100 दिन की गारंटीड मजदूरी वाला काम दिया जाता है। ये योजना पूरी तरह डिमांड-बेस्ड थी।

यानी अगर कोई काम मांगता है तो उसे 15 दिन के भीतर काम देना सरकार की जिम्मेदारी होती है। इसमें ज्यादातर कच्चा काम जैसे मिट्टी की खुदाई, तालाब बनाना और सड़क निर्माण शामिल था ताकि गांव की बुनियादी ढांचा मजबूत हो सके।

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VB G RAM G के बारे में

VB G-RAM-G (विकसित भारत रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन) 2025 एक नया कानून है जिसे मनरेगा की जगह लाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में 125 दिन के रोजगार की कानूनी गारंटी देना है। 

ये कानून 'विकसित भारत 2047' के विजन पर बेस्ड है। इसमें अब काम के साथ-साथ पक्की आजीविका और जल सुरक्षा जैसे पक्के कामों पर ज्यादा फोकस होगा। इसमें केंद्र और राज्य मिलकर 60:40 के रेशियो में खर्च उठाएंगे। इससे गांवों का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होगा।

फंडिंग का नया गणित

  • सबसे मेजर बदलाव सालभर में मिलने वाले काम के दिनों की संख्या में है। पुराने कानून में 100 दिन का काम मिलता था जिसे बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया। फंडिंग मॉडल में भी केंद्र और राज्यों के बीच नया एक्सपेंस रेश्यो तय हुआ है।

  • अब सामान्य राज्यों में केंद्र 60% और राज्य सरकार 40% का फाइनेंसियल बर्डन उठाएंगी। हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ये रेश्यो 90:10 रखा गया है।

  • केंद्रशासित प्रदेशों के लिए पूरा 100% खर्च अभी भी केंद्र सरकार ही भरेगी। पुराने मनरेगा कानून में योजना का पूरा फाइनेंसियल बर्डन केंद्र सरकार ही उठाती थी। खेती के समय मजदूरों की कमी न हो, इसलिए 60 दिन काम बंद रहेगा।

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सप्लाई ड्रिवन मॉडल और बजट की नई सीमाएं

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मनरेगा योजना (Manrega scheme) पूरी तरह डिमांड बेस्ड यानी मांग पर आधारित अधिकार वाली योजना थी। लेकिन VB G-RAM-G Act (पीएम विकसित भारत रोजगार योजना) एक सप्लाई ड्रिवन मॉडल पर बेस्ड नया सिस्टम है।

इसमें खर्च की एक निश्चित सीमा तय की गई है ताकि बजट मैनेजमेंट सही रहे। यदि बजट सीमा से ज्यादा खर्च होता है, तो वो अतिरिक्त पैसा राज्य सरकार देगी। इससे गांवों में होने वाली सीजनल पॉवर्टी या सीजनल पॉवर्टी पर लगाम लग सकेगी।

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मजदूरी का भुगतान और दंड के नए प्रोविजन

नए कानून के तहत मजदूरों के हक और उनके अधिकारों को काफी मजबूत किया गया है। अब काम का पैसा 7 से अधिकतम 15 दिनों के भीतर मिलना जरूरी होगा। यदि भुगतान में देरी होती है तो प्रशासन को मजदूर को मुआवजा देना पड़ेगा।

सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी लाने के लिए वायलेशन पर जुर्माने की राशि भी बढ़ा दी गई है। पहले जो जुर्माना एक हजार रुपए था, उसे अब बढ़ाकर सीधे 10 हजार रुपए कर दिया गया।

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बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर होगा विशेष जोर

नया कानून केवल मिट्टी की खुदाई या गड्ढे खोदने तक सीमित नहीं रहने वाला है। इसे ग्रामीण विकास के चार मेन पिल्लर्स से जोड़कर और ज्यादा प्रभावी बनाया गया है। 

  • पहले स्तंभ में जल सुरक्षा काम जैसे चेक डैम और तालाबों का निर्माण होगा। 

  • दूसरा स्तंभ मुख्य रूरल स्ट्रक्चर है। इसमें गांव की सड़कों और भवनों का काम होगा। 

  • तीसरे स्तंभ में लाइवलीहुड एसेट्स होंगे।

  • चौथेस्तंभ में क्लाइमेट रेजिलिएंट यानी जलवायु अनुकूल काम होंगे।

पंचायतों की ताकत और बॉटम-अप गवर्नेंस मॉडल

इस कानून का सबसे खूबसूरत हिस्सा ये है कि ये बॉटम-अप मॉडल पर चलेगा। यानी कौन सा काम होना है ये फैसला ग्रामसभा और पंचायतें ही मिलकर लेंगी।

इससे लोकल पब्लिक रेप्रेसेंटेटिव और पंचायतों के पास पहले से अधिक शक्तियां और जिम्मेदारी होगी। योजना का प्रबंधन अब केंद्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद द्वारा किया जाएगा।

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मनरेगा और नए जी राम जी के बीच अंतर

जी राम जी कानून मनरेगा के 100 दिनों के मुकाबले अब 125 दिन के रोजगार की पक्की गारंटी देता है। इसमें बजट का बोझ अब केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में मिलकर उठाएंगे। जबकि पहले ये पूरी तरह केंद्र पर बेस्ड था। आइए इन दोनों के बीत के अंतर जानें...

  • रोजगार के दिन: 

    मनरेगा में साल में 100 दिन के काम की गारंटी मिलती थी। जबकि नए कानून में इसे बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है।

  • फंडिंग (पैसा कौन देगा): 

    मनरेगा में पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती थी। लेकिन अब 60% केंद्र और 40% राज्य सरकार को देना होगा (हिमालयी राज्यों के लिए 90:10)।

  • काम का आधार: 

    मनरेगा एक 'डिमांड-बेस्ड' (मांग पर आधारित) योजना थी। जबकि नया कानून 'सप्लाई-ड्रिवन' है। इसमें बजट की एक निश्चित सीमा तय की गई है।

  • जुर्माना और कड़ाई: 

    नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना एक हजार रुपए से बढ़ाकर 10 हजार रुपए कर दिया गया है ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके।

  • काम के प्रकार: 

    मनरेगा में ज्यादातर खुदाई और कच्चा काम होता था पर अब जल सुरक्षा, सड़कों और जलवायु अनुकूल पक्के कामों पर जोर रहेगा।

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