मनरेगा कानून में बदलाव : क्या है VB-G RAM G विधेयक और क्यों हो रहा है इसका कई जगहों पर विरोध?

राजस्थान में नरेगा संघर्ष मोर्चा ने 2025 के VB-G RAM G विधेयक का विरोध किया है, जो मनरेगा के तहत मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करता है। मोर्चा ने इसे मजदूरों के अधिकारों के खिलाफ बताया है।

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Mukesh Sharma
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान में नरेगा संघर्ष मोर्चा ने प्रस्तावित विकसित भारत-रोजगार और आजीविका की गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक 2025 (VB-G RAM G) का विरोध करते हुए इसे मजदूरों के अधिकारों के खिलाफ बताया है। यह विधेयक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को खत्म करने की कोशिश है। 

काम उपलब्ध कराने का कानूनी अधिकार

मोर्चा का आरोप है कि इस विधेयक को बिना मजदूरों और उनके संगठनों से परामर्श किए लाया जा रहा है, जो इसे एक अधिकार आधारित कानून की बजाय केवल सीमित बजट के तहत परिवर्तित कर देगा। मनरेगा कानून के तहत प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्र में काम करने के इच्छुक वयस्क को काम उपलब्ध कराना कानूनी अधिकार था। 

केंद्र सरकार को अत्यधिक विवेकाधीन शक्ति

हालांकि VB-G RAM G विधेयक के तहत यह अधिकार अब केंद्र सरकार की विवेकाधीन शक्ति बन जाएगा, जहां राज्य सरकारों को केवल उन क्षेत्रों में काम देना होगा, जिन्हें केंद्र ने अधिसूचित किया है। इस बदलाव से लाखों लोग रोजगार के अधिकार से वंचित हो जाएंगे और काम की गारंटी भी केंद्र सरकार की कृपा पर निर्भर हो जाएगी।

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मांग-आधारित से आपूर्ति-आधारित व्यवस्था

मनरेगा की ताकत इसकी मांग-आधारित प्रकृति में थी, लेकिन VB-G RAM G विधेयक इसे आपूर्ति-आधारित प्रणाली में बदलने का प्रयास करता है। अब काम की उपलब्धता पहले से तय बजट पर निर्भर करेगी, जिससे लोगों को रोजगार मिलने के अवसर बहुत सीमित हो सकते हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार का राज्य सरकारों को धन आवंटन करने का अधिकार बढ़ जाएगा, जिससे यह पूरी प्रक्रिया मनमानी हो सकती है।

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राज्यों पर बढ़ेगा वित्तीय बोझ

वर्तमान में मनरेगा के तहत केंद्र सरकार ही 100% मजदूरी और 75% सामग्री लागत का बोझ उठाती है, लेकिन VB-G RAM G विधेयक के तहत यह जिम्मेदारी राज्यों पर डाल दी जाएगी। इससे राज्यों को वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ेगा। इसके चलते गरीब और छोटे राज्य, जिनमें अधिकतर मजदूरों का पलायन होता है, पर अत्यधिक दबाव डाला जाएगा।

स्थानीय स्वायत्तता की समाप्ति

मनरेगा में योजनाओं का निर्धारण ग्राम सभाओं द्वारा स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता था, लेकिन VB-G RAM G विधेयक इस प्रक्रिया को समाप्त कर केंद्रित राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक पर आधारित प्राथमिकता प्रणाली लागू करेगा। इससे स्थानीय जरूरतों के बजाय केंद्र की प्राथमिकताओं को तवज्जो मिलेगी, जो संविधान के 73वें संशोधन के खिलाफ है।

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नए तकनीकी और निगरानी उपाय

मनरेगा में अब तक मजदूरों के लिए आधार-आधारित भुगतान प्रणाली और डिजिटल उपस्थिति के कारण समस्याएं आई थीं। अब VB-G RAM G विधेयक बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण को अनिवार्य बनाने की कोशिश कर रहा है। यह तकनीकी निगरानी मजदूरों के लिए और भी जटिल हो सकती है। खासकर उन किसानों और श्रमिकों के लिए जो शारीरिक श्रम करते हैं।

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ब्लैकआउट अवधि और काम से वंचना

मनरेगा के तहत ग्रामीणों को साल के किसी भी समय काम की मांग करने का अधिकार था, लेकिन VB-G RAM G विधेयक के तहत वित्तीय वर्ष में 60 दिन की ब्लैकआउट अवधि निर्धारित की जाएगी, जब बुवाई और कटाई के समय कोई काम नहीं मिलेगा। इसका असर विशेष रूप से महिला श्रमिकों पर पड़ेगा, जो इस अवधि के दौरान काम करने के लिए तैयार होते हैं।

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नरेगा संघर्ष मोर्चा की अपील

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने VB-G RAM G विधेयक 2025 को पूरी तरह से अस्वीकार किया है और इसकी तत्काल वापसी की मांग की है। मोर्चा का कहना है कि किसी भी मजदूर संगठनों की सहमति और भागीदारी के बिना मनरेगा को बदलने या खत्म करने का प्रयास अस्वीकार्य है। यह विधेयक मजदूरों के लोकतांत्रिक और संविधानिक अधिकारों का हनन करेगा।

मुख्य बिंदु

  • VB-G RAM G विधेयक 2025 मनरेगा के स्थान पर लाया गया है, जो श्रमिकों के लिए गारंटीकृत काम के अधिकार को कमजोर करता है और केंद्र सरकार को अधिक विवेकाधीन शक्ति देता है।
  • मनरेगा मांग-आधारित था, जहां हर ग्रामीण को काम का अधिकार था, जबकि VB-G RAM G विधेयक आपूर्ति-आधारित प्रणाली को लागू करता है, जिसमें रोजगार की गारंटी के लिए सीमित बजट निर्धारित किया जाता है।
  • इस विधेयक के तहत राज्य सरकारों को अधिक वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि पहले केंद्र सरकार ने 100% मजदूरी का भुगतान किया था, अब यह जिम्मेदारी राज्यों पर डाली जाएगी।
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