कूनो से आया चीता : राजस्थान में बना ली अपनी टेरिटरी, मध्य प्रदेश अपना चीता फिर वापस ले गया

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से आए नर चीते ने राजस्थान में अपनी टेरिटरी बनाई, लेकिन मध्य प्रदेश ने उसे वापस ले लिया। इससे वाइल्डलाइफरों में आक्रोश है। जानिए चीते के आने और जाने की पूरी कहानी।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से एक नर चीता KP2 ने राजस्थान के बारां जिले के किशनगंज रेंज के रामगढ़ क्रेटर क्षेत्र को अपनी नई टेरिटरी बना लिया। 15 दिन तक वहां रहते हुए चीते ने पांच शिकार किए और पूरी तरह सुरक्षित रहा। न तो किसानों ने उसे परेशान किया और ना ही कोई अन्य समस्या आई। इससे स्पष्ट हुआ कि राजस्थान का हैबिटेट चीते के लिए उपयुक्त था।

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मध्य प्रदेश वन विभाग की जल्दबाजी

हालांकि मध्य प्रदेश के वन विभाग ने तीन घंटे के भीतर चीते को ट्रेंकुलाइज किया और उसे वापस कूनो नेशनल पार्क भेज दिया। बारां के डीएफओ विवेकानंद मानिक बडे ने पुष्टि की कि चीता पूरी तरह सुरक्षित था और उसे पर्याप्त भोजन मिल रहा था। इस कार्रवाई के बावजूद राजस्थान सरकार ने चुप्पी साधे रखी।

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वाइल्डलाइफरों का आक्रोश

इस घटना ने राजस्थान के वाइल्डलाइफ प्रेमियों को नाराज कर दिया। वाइल्डलाइफर डॉ. सुधीर गुप्ता ने कहा कि चीता ने स्वयं एक नेचुरल कॉरिडोर बनाया था। राजस्थान का हैबिटेट उसे बहुत पसंद आया था।

सरकार को केवल उसकी सुरक्षा और मॉनिटरिंग की व्यवस्था करनी थी, लेकिन मध्य प्रदेश का वन विभाग बार-बार ट्रेंकुलाइज कर उसे वापस भेज रहा है। यह स्थिति पहले भी देखी जा चुकी है, जब चार बार चीते राजस्थान आए थे और फिर मध्य प्रदेश द्वारा वापस ले लिए गए थे।

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राजस्थान में चीते कैसे पनपेंगे?

हाड़ौती नेचर प्रमोटर एएच जैदी ने आक्रोश जताते हुए कहा कि मध्य प्रदेश गलत कर रहा है। यदि कूनो में चीते की फैमिली बढ़ी, तो उसे एक बड़े क्षेत्र की आवश्यकता होगी और यह क्षेत्र राजस्थान में प्राकृतिक रूप से मौजूद है। बार-बार ट्रेंकुलाइज करना चीते की सेहत के लिए खतरा बन सकता है। वाइल्डलाइफर अब सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि राजस्थान में आए चीते को वापस न लिया जाए।

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बना रहे हैं चीता कॉरिडोर

भारत सरकार राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश के बीच एक विशाल चीता कॉरिडोर बनाने की योजना बना रही है। इस कॉरिडोर का कुल क्षेत्रफल 1500 से 2000 किमी तक हो सकता है और इसमें तीन राज्यों के 22 जिले शामिल होंगे। राजस्थान के 8 जिलों में 6-7 हजार वर्ग किमी का क्षेत्र चिन्हित किया गया है। गांधी सागर से चीते भैंसरोड़गढ़ तक आएंगे। 

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कैसे काम करेगा यह कॉरिडोर?

इस परियोजना का उद्देश्य चीते के लिए नेचुरल और सुरक्षित यात्रा मार्ग तैयार करना है। यह कॉरिडोर चीते के प्राकृतिक जीवन को बढ़ावा देने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण होगा। अगर चीते खुद नेचुरल कॉरिडोर का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह भी सुनिश्चित करता है कि उनकी यात्रा और जीवन का तरीका प्राकृतिक तरीके से संरक्षित रहे।

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मुख्य बिंदु

  • राजस्थान के बारां जिले में चीते ने अपनी नई टेरिटरी बनाई थी, क्योंकि यहां के इलाके उसके लिए उपयुक्त थे और उसे पर्याप्त भोजन और सुरक्षा मिल रही थी।
  • मध्य प्रदेश वन विभाग का तर्क है कि चीते की सेहत को ध्यान में रखते हुए उसे वापस कूनो भेजा जा रहा है, लेकिन वाइल्डलाइफरों का कहना है कि यह ट्रेंकुलाइजेशन चीते के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • भारत सरकार राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश मिलकर 1500-2000 किमी का विशाल चीता कॉरिडोर बना रही है, जिससे चीते को प्राकृतिक मार्ग उपलब्ध हो सके और उनका जीवन सुरक्षित रहे।
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