चीता कॉरिडोर पर फंसा पेंच! MP को डर कि हमारे चीते राजस्थान में बस गए तो क्या होगा?

मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच चीता कॉरिडोर का MoU क्यों टाला गया? जानें क्या है इसके पीछे की असल वजह और दोनों राज्यों के बीच इस परियोजना को आगे की क्या रणनीति बनाई जाएगी...

author-image
Amresh Kushwaha
New Update
cheetah-corridor-madhay-pradesh-rajasthan
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

हाल ही में मध्यप्रदेश(MP) और राजस्थान के बीच प्रस्तावित चीता कॉरिडोर का MoU (Memorandum of Understanding) कुछ विवादों के कारण टल गया। यह परियोजना दोनों राज्यों के बीच वाइल्डलाइफ संरक्षण और चीता की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई जा रही थी। लेकिन एमपी के अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना पर अभी काम शुरू करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वहीं मध्यप्रदेश सरकार को यह डर है कि चीते राजस्थान के जंगलों में बसकर वापस कूनो लौटने से मना कर देंगे।

चीता कॉरिडोर पर एमपी का यू-टर्न

मध्यप्रदेश ने इस परियोजना से यू-टर्न क्यों लिया? दरअसल, राज्य के अधिकारियों को यह चिंता है कि चीतों के राजस्थान के जंगलों में बसने से, वे कूनो लौटने के बजाय वहां स्थायी रूप से बस सकते हैं। पिछले कुछ समय में, कूनो से बाहर जाकर चीते राजस्थान के सवाई माधोपुर और करौली जिले में पहुंच चुके थे, जिससे यह डर पैदा हो गया है कि ये चीते वापस कूनो नहीं लौटेंगे।

ये खबर भी पढ़िए...MP News: MOU पर बातचीत : 17,000 वर्ग किमी के कॉरिडोर में चीता प्रोजेक्ट से जुड़ेगा राजस्थान के 7 जिले

Cheetah Corridor का महत्व

भारत में चीतों को पुनः बसाने की परियोजना, जो कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में शुरू हुई थी। अब और अधिक विस्तार करने के लिए तैयार हो रही थी। यह कॉरिडोर मध्यप्रदेश और राजस्थान के जंगलों को जोड़ने का एक प्रयास है। इससे चीते को नए क्षेत्र में बसने का अवसर मिलेगा।

कूनो नेशनल पार्क में 2022 में 20 चीते लाए गए थे। इनकी संख्या अब बढ़कर 31 हो गई है। इनमें से कुछ चीतों की मौत हो चुकी है, जबकि अन्य का स्वास्थ्य ठीक है। इस परियोजना का उद्देश्य भारत में चीता की स्थायी आबादी स्थापित करना है।

चीता कॉरिडोर की खबर पर एक नजर

  • मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच प्रस्तावित Cheetah Corridor का MoU कुछ विवादों के कारण टल गया। एमपी के अधिकारियों को डर है कि चीते राजस्थान के जंगलों में बसकर कूनो लौटने से मना कर सकते हैं।

  • मध्यप्रदेश के अधिकारियों को चिंता है कि राजस्थान के जंगलों में बसने के बाद चीते कूनो नेशनल पार्क वापस नहीं लौटेंगे, जैसे कि कुछ चीतों को पहले भी रेस्क्यू कर वापस लाया गया था।

  • कूनो नेशनल पार्क में चीता की स्थायी आबादी स्थापित करने के उद्देश्य से यह कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है, जिससे चीतों को नए क्षेत्रों में बसने का अवसर मिलेगा।

  • राजस्थान सरकार ने एमपी से संपर्क कर इस परियोजना पर जल्द काम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। वन विभाग ने वर्ल्ड वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट से सर्वे भी कराया है।

  • एमपी में चीतों की संख्या बढ़ने के बाद ही इस कॉरिडोर पर काम शुरू करने का विचार किया जाएगा। दोनों राज्यों के बीच बातचीत जारी है, और जल्द ही इस पर निर्णय लिया जा सकता है।

राजस्थान ने एमपी से दोबारा किया संपर्क

राजस्थान सरकार ने एमपी के अधिकारियों से संपर्क किया। उन्हें इस परियोजना को लेकर बातचीत करने का प्रस्ताव दिया। राजस्थान के वन विभाग ने एमपी के अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए दोबारा संपर्क किया कि इस कॉरिडोर पर काम जल्द से जल्द शुरू किया जाए।

राजस्थान के वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे इस कॉरिडोर को विकसित करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने वर्ल्ड वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट (WWI) से सर्वे भी कराया है।

Jaipur: 17 Thousand Square Km Cheetah Corridor Will Be Built Between  Rajasthan-mp 7 Districts Will Be Included - Amar Ujala Hindi News Live -  Rajasthan News:राजस्थान और Mp के बीच बनेगा 17000

ये खबर भी पढ़िए...जबलपुर में फ्लाईओवर का लोकार्पणः गडकरी का ऐलान- प्रदेश को मिलेगा ग्रीनफील्ड हाईवे और टाइगर रिजर्व कॉरिडोर

एमपी का डर: क्या होगा यदि चीते वापस न लौटें?

एमपी के अधिकारियों का सबसे बड़ा डर यह है कि यदि चीते राजस्थान के जंगलों में बस जाते हैं तो वे कूनो नेशनल पार्क वापस नहीं लौटेंगे। यह डर इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि कूनो से बाहर जाने के बाद कुछ चीतों को पुनः रेस्क्यू करना पड़ा था।

चीन की सीमा से भारत में लाए गए चीतों में से कई ने पिछले कुछ समय में राजस्थान के विभिन्न इलाकों में अपनी यात्रा की है। इस दौरान कूनो की टीम ने इन्हें रेस्क्यू कर वापस पार्क में लाया।

ये खबर भी पढ़िए...45 मिनट में होगा ताज महल का दीदार, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाईस्पीड कॉरिडोर को दी मंजूरी

जानें क्यों जरूरी है चीता कॉरिडोर?

कूनो और आसपास के क्षेत्रों में चीते की संख्या बढ़ने के बाद, उनका नेचुरल हैबिटेट एक चुनौती बन सकता है। इसलिए, दोनों राज्यों के बीच एक अच्छा कॉरिडोर बनाना जरूरी है, ताकि चीते खुले मैदानों में स्वतंत्र रूप से घूम सकें। उनकी वंशवृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण बने।

इसमें राजस्थान का अहम योगदान हो सकता है। राजस्थान के शेरगढ़ वाइल्डलाइफ सेंचुरी और भैंसरोडगढ़ सेंचुरी में चीतों के लिए प्री-बेस (भोजन) का इंतजाम किया गया है। इसके कारण यहां चीतों के लिए भोजन की कमी नहीं है। साथ ही उनका निवास भी सुरक्षित रहेगा।

Jaipur: 17 Thousand Square Km Cheetah Corridor Will Be Built Between  Rajasthan-mp 7 Districts Will Be Included - Amar Ujala Hindi News Live -  Rajasthan News:राजस्थान और Mp के बीच बनेगा 17000

ये खबर भी पढ़िए...Rajasthan News: राजस्थान में सौर ऊर्जा से जोड़कर देंगे 150 यूनिट मुफ्त बिजली, कैबिनेट ने प्रस्ताव पर लगाई मुहर

चीता कॉरिडोर को लेकर आगे की योजना

राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच चीता कॉरिडोर पर अब तक स्पष्ट स्थिति नहीं बन पाई है। हालांकि, राजस्थान ने इसे लेकर कई कदम उठाए हैं और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाया है। दूसरी तरफ, मध्यप्रदेश के अधिकारी इस कॉरिडोर के विकास में अभी सावधानी बरतने का पक्ष ले रहे हैं।

जब कूनो में चीतों की संख्या बढ़ेगी, तब इस कॉरिडोर के विकास पर विचार किया जा सकता है। फिलहाल, दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच बातचीत जारी है और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा।

FAQ

चीता कॉरिडोर क्या है?
चीता कॉरिडोर एक विशेष मार्ग है जो चीते जैसे विलुप्त प्राय: जानवरों के लिए सुरक्षित यात्रा और आवास प्रदान करता है। यह कॉरिडोर विभिन्न राज्यों के बीच जैव विविधता को बढ़ाने और चीते के संरक्षण के लिए आवश्यक है। इसके माध्यम से चीते एक जगह से दूसरी जगह आसानी से जा सकते हैं, जिससे उनकी प्रजनन दर और वंशवृद्धि में वृद्धि होगी।
एमपी और राजस्थान के बीच चीता कॉरिडोर पर MoU क्यों टाला गया?
एमपी ने चीन के कॉरिडोर पर MoU इसलिए टाल दिया क्योंकि उसे डर था कि चीतों को भेजने के बाद वे वापस कूनो नेशनल पार्क नहीं लौटेंगे। पिछले कुछ महीनों में चीतों ने कूनो से बाहर जाकर राजस्थान के कुछ हिस्सों में यात्रा की है, जिससे इस चिंता को और बल मिला है।
राजस्थान में चीता कॉरिडोर के लिए कौन-कौन सी तैयारी की गई है?
राजस्थान में शेरगढ़ और भैंसरोडगढ़ वाइल्डलाइफ सेंचुरी में चीतों के लिए आवश्यक खाद्य स्रोत तैयार किए गए हैं। यहां चिंकारा, ब्लैक बक और चीतल की संख्या बढ़ाई गई है, जो चीतों के भोजन के लिए आदर्श हैं। इसके अलावा, चंबल नदी के किनारे पानी की कोई कमी नहीं है, जो चीतों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

thesootr links

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट केसाथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

चीता कॉरिडोर मध्यप्रदेश सरकार कूनो नेशनल पार्क Kuno National Park राजस्थान सरकार मध्यप्रदेश MP News Rajasthan News