/sootr/media/media_files/2025/09/01/cheetah-corridor-madhay-pradesh-rajasthan-2025-09-01-17-46-38.jpg)
हाल ही में मध्यप्रदेश(MP) और राजस्थान के बीच प्रस्तावित चीता कॉरिडोर का MoU (Memorandum of Understanding) कुछ विवादों के कारण टल गया। यह परियोजना दोनों राज्यों के बीच वाइल्डलाइफ संरक्षण और चीता की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई जा रही थी। लेकिन एमपी के अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना पर अभी काम शुरू करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वहीं मध्यप्रदेश सरकार को यह डर है कि चीते राजस्थान के जंगलों में बसकर वापस कूनो लौटने से मना कर देंगे।
चीता कॉरिडोर पर एमपी का यू-टर्न
मध्यप्रदेश ने इस परियोजना से यू-टर्न क्यों लिया? दरअसल, राज्य के अधिकारियों को यह चिंता है कि चीतों के राजस्थान के जंगलों में बसने से, वे कूनो लौटने के बजाय वहां स्थायी रूप से बस सकते हैं। पिछले कुछ समय में, कूनो से बाहर जाकर चीते राजस्थान के सवाई माधोपुर और करौली जिले में पहुंच चुके थे, जिससे यह डर पैदा हो गया है कि ये चीते वापस कूनो नहीं लौटेंगे।
/sootr/media/post_attachments/422577f5-d09.jpg)
Cheetah Corridor का महत्व
भारत में चीतों को पुनः बसाने की परियोजना, जो कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में शुरू हुई थी। अब और अधिक विस्तार करने के लिए तैयार हो रही थी। यह कॉरिडोर मध्यप्रदेश और राजस्थान के जंगलों को जोड़ने का एक प्रयास है। इससे चीते को नए क्षेत्र में बसने का अवसर मिलेगा।
कूनो नेशनल पार्क में 2022 में 20 चीते लाए गए थे। इनकी संख्या अब बढ़कर 31 हो गई है। इनमें से कुछ चीतों की मौत हो चुकी है, जबकि अन्य का स्वास्थ्य ठीक है। इस परियोजना का उद्देश्य भारत में चीता की स्थायी आबादी स्थापित करना है।
चीता कॉरिडोर की खबर पर एक नजर
|
राजस्थान ने एमपी से दोबारा किया संपर्क
राजस्थान सरकार ने एमपी के अधिकारियों से संपर्क किया। उन्हें इस परियोजना को लेकर बातचीत करने का प्रस्ताव दिया। राजस्थान के वन विभाग ने एमपी के अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए दोबारा संपर्क किया कि इस कॉरिडोर पर काम जल्द से जल्द शुरू किया जाए।
राजस्थान के वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे इस कॉरिडोर को विकसित करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने वर्ल्ड वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट (WWI) से सर्वे भी कराया है।
एमपी का डर: क्या होगा यदि चीते वापस न लौटें?
एमपी के अधिकारियों का सबसे बड़ा डर यह है कि यदि चीते राजस्थान के जंगलों में बस जाते हैं तो वे कूनो नेशनल पार्क वापस नहीं लौटेंगे। यह डर इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि कूनो से बाहर जाने के बाद कुछ चीतों को पुनः रेस्क्यू करना पड़ा था।
चीन की सीमा से भारत में लाए गए चीतों में से कई ने पिछले कुछ समय में राजस्थान के विभिन्न इलाकों में अपनी यात्रा की है। इस दौरान कूनो की टीम ने इन्हें रेस्क्यू कर वापस पार्क में लाया।
जानें क्यों जरूरी है चीता कॉरिडोर?
कूनो और आसपास के क्षेत्रों में चीते की संख्या बढ़ने के बाद, उनका नेचुरल हैबिटेट एक चुनौती बन सकता है। इसलिए, दोनों राज्यों के बीच एक अच्छा कॉरिडोर बनाना जरूरी है, ताकि चीते खुले मैदानों में स्वतंत्र रूप से घूम सकें। उनकी वंशवृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण बने।
इसमें राजस्थान का अहम योगदान हो सकता है। राजस्थान के शेरगढ़ वाइल्डलाइफ सेंचुरी और भैंसरोडगढ़ सेंचुरी में चीतों के लिए प्री-बेस (भोजन) का इंतजाम किया गया है। इसके कारण यहां चीतों के लिए भोजन की कमी नहीं है। साथ ही उनका निवास भी सुरक्षित रहेगा।
चीता कॉरिडोर को लेकर आगे की योजना
राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच चीता कॉरिडोर पर अब तक स्पष्ट स्थिति नहीं बन पाई है। हालांकि, राजस्थान ने इसे लेकर कई कदम उठाए हैं और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाया है। दूसरी तरफ, मध्यप्रदेश के अधिकारी इस कॉरिडोर के विकास में अभी सावधानी बरतने का पक्ष ले रहे हैं।
जब कूनो में चीतों की संख्या बढ़ेगी, तब इस कॉरिडोर के विकास पर विचार किया जा सकता है। फिलहाल, दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच बातचीत जारी है और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा।
FAQ
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧