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क्या आप भी उन लाखों लोगों में से हैं जो हर महीने अपने सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस न रख पाने की वजह से कटने वाली पेनल्टी से परेशान रहते थे? अगर हां, तो अब आपकी ये चिंता खत्म होने वाली है।
देश के कई बड़े सरकारी बैंकों ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सेविंग्स अकाउंट में मिनिमम बैलेंस न रखने पर लगने वाले चार्ज को खत्म कर दिया है। यह बदलाव लाखों अकाउंट होल्डर्स के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी इनकम कम है या जो छोटे शहरों और गांवों में रहते हैं।
यह एक ऐसा कदम है जिससे फाइनेंशियल इंक्लूजन को बढ़ावा मिलेगा, यानी ज्यादा से ज्यादा लोग बिना किसी डर के बैंक से जुड़ सकेंगे।
जब लोगों को मिनिमम बैलेंस बनाए रखने का दबाव नहीं होगा, तो वे अपने पैसे को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाएंगे और बैंकिंग सर्विसेज का ज्यादा लाभ उठा पाएंगे। यह बदलाव इंडियन बैंकिंग सिस्टम में कस्टमर्स के अनुकूल पॉलिसीज की ओर एक बड़ा कदम है।
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आपके लिए फायदे की बात
👉 राहत की खबर: अब आपको अपने सेविंग अकाउंट में हर महीने minimum balance रखने की टेंशन नहीं लेनी पड़ेगी, क्योंकि 6 बड़े सरकारी बैंकों ने यह शर्त हटा दी है। 👉 इन बैंकों ने दी छूट: यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, केनरा बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया ने यह फैसला लिया है। 👉 किसको फायदा: यह बदलाव उन लाखों लोगों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है जिनकी इनकम कम है या जो छोटे शहरों/गांवों में रहते हैं, क्योंकि अब उन्हें पेनल्टी का डर नहीं होगा. 👉 AMB का क्या हुआ: AMB (Average Monthly Balance) बनाए रखने का नियम अब इन बैंकों में लागू नहीं होगा, जिससे ग्राहकों को पूरी फाइनेंशियल फ्रीडम मिलेगी। 👉 क्यों है जरूरी: इस कदम से फाइनेंशियल इंक्लूजन को बढ़ावा मिलेगा और ज्यादा लोग बिना किसी डर के बैंकिंग सिस्टम से जुड़ पाएंगे, जिससे देश की इकोनॉमी को भी फायदा होगा। |
किन-किन बैंकों ने दी ये बड़ी राहत
आइए जानते हैं, कौन-कौन से सरकारी बैंक अब यह सुविधा दे रहे हैं और इसका फायदा आपको कैसे मिलेगा:
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया [Union Bank of India] ने हाल ही में अनाउंस किया है कि सितंबर 2025 की तिमाही से नॉर्मल सेविंग अकाउंट्स पर minimum balance न रखने पर कोई चार्ज नहीं लगेगा।
बैंक ने एक प्रेस रिलीज जारी कर यह इंफॉर्मेशन दी है। इसका मतलब यह है कि अगर आपका अकाउंट बैलेंस तय लिमिट से नीचे चला भी जाता है, तो भी पैसे नहीं कटेंगे। यह स्टेप यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कस्टमर्स के लिए एक बड़ी फाइनेंशियल फ्रीडम लेकर आएगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा
बैंक ऑफ बड़ौदा [Bank Of Baroda] ने भी 1 जुलाई 2025 से अपने सभी स्टैंडर्ड सेविंग्स अकाउंट्स पर न्यूनतम बैलेंस न रखने पर लगने वाला चार्ज हटा दिया है। यह एक इंपॉर्टेंट चेंज है जो बैंक ऑफ बड़ौदा के नॉर्मल कस्टमर्स को सीधे तौर पर बेनिफिट देगा।
हालांकि, बैंक ने यह क्लियर किया है कि यह छूट प्रीमियम सेविंग अकाउंट स्कीम्स पर लागू नहीं होगी। इसलिए, यदि आपका अकाउंट प्रीमियम कैटेगरी का है, तो आपको अपने बैंक से इसकी इंफॉर्मेशन लेनी होगी।
इंडियन बैंक
इंडियन बैंक [Indian Bank] ने भी सभी सेविंग्स अकाउंट्स पर मिनिमम बैलेंस चार्ज को पूरी तरह खत्म कर दिया है। यह सुविधा 7 जुलाई 2025 से लागू हो चुकी है।
इंडियन बैंक का यह डिसीजन उन सभी कस्टमर्स के लिए राहत भरा है जो अपने सेविंग अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने को लेकर चिंतित रहते थे। यह स्टेप इंडियन बैंक को अपने कस्टमर्स के लिए और भी अट्रैक्टिव बनाता है।
केनरा बैंक
केनरा बैंक [Canara Bank] ने मई 2025 में ही यह सुविधा दे दी थी। अब इसके रेगुलर सेविंग अकाउंट, सैलरी अकाउंट और NRI अकाउंट पर भी मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर कोई पेनल्टी नहीं लगेगी।
केनरा बैंक का यह कदम दिखाता है कि बैंक अपने कस्टमर्स की फैसिलिटीज को प्रायोरिटी दे रहा है। सैलरी अकाउंट और NRI अकाउंट पर भी यह छूट मिलना एक एक्स्ट्रा बेनिफिट है, क्योंकि कई बार इन खातों में भी न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना डिफिकल्ट हो जाता है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया [State Bank of India] इस मामले में हमेशा से ही लीड कर रहा है। एसबीआई ने 2020 से ही अपने सभी सेविंग्स अकाउंट्स पर मिनिमम बैलेंस की शर्त खत्म कर दी थी।
यानी SBI खाताधारकों को पिछले कई सालों से इस टेंशन से मुक्ति मिल चुकी है। SBI ने सबसे पहले यह कदम उठाकर दूसरे बैंकों को भी इस डायरेक्शन में सोचने के लिए इंस्पायर किया था, जिससे एंड में कस्टमर्स को बेनिफिट मिल रहा है।
बैंक ऑफ इंडिया
बैंक ऑफ इंडिया [Bank Of India] ने भी हाल ही में सेविंग्स अकाउंट्स पर न्यूनतम बैलेंस न रखने की पेनल्टी को पूरी तरह हटा दिया है।
बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि इससे कस्टमर्स को ज्यादा फैसिलिटी मिलेगी और फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ेगी। यह कदम बैंक की कस्टमर्स के लिए कमिटमेंट को दिखाता है, जिससे वे बिना किसी डर के अपने पैसे का लेन-देन कर सकें।
क्या होता है AMB
AMB (Average Monthly Balance) यानी एवरेज मंथली बैलेंस। ये एक मिनिमम एवरेज बैलेंस होता है जो आपको अपने बैंक अकाउंट (Basic Savings Account) में हर महीने बनाए रखना होता है। अगर बैलेंस इससे नीचे चला जाता था, तो अब तक बैंक पेनल्टी चार्ज करते थे।
यह चार्ज हर बैंक और अकाउंट के टाइप के हिसाब से अलग-अलग होता था। यह रूल मेनली बैंक की ऑपरेशनल कॉस्ट्स को कवर करने और यह एन्श्योर करने के लिए था कि कस्टमर अपने अकाउंट्स में कुछ एक्टिविटी बनाए रखें।
अब कई सरकारी बैंक इस शर्त को हटा रहे हैं, जिससे कस्टमर्स को बड़ी राहत मिलेगी और वे फाइनेंशियल फ्रीडम का एक्सपीरियंस कर पाएंगे।
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यह बदलाव क्यों है जरूरी है
यह बदलाव खास तौर पर उन लोगों के लिए बहुत बेनिफिशियल है, जो छोटे शहरों या गांवों में रहते हैं या जिनकी इनकम लिमिटेड होती है।
अक्सर ऐसे लोगों के लिए हर महीने एक तय मिनिमम बैलेंस बनाए रखना मुश्किल होता था और पेनल्टी कटने से उनके लिए बैंकिंग सर्विसेज और भी एक्सपेंसिव हो जाती थीं।
इस रूल के हटने से अब वे बिना किसी चिंता के सेविंग अकाउंट रख पाएंगे और अपनी जरूरतों के हिसाब से पैसा डिपॉजिट या विथड्रॉ कर पाएंगे।
यह स्टेप फाइनेंशियल इंक्लूजन को बढ़ावा देने में भी इंपॉर्टेंट रोल प्ले करेगा। जब लोगों को मिनिमम बैलेंस की चिंता नहीं होगी, तो ज्यादा लोग बैंकिंग सिस्टम से जुड़ेंगे, जिससे देश की इकोनॉमी को भी फायदा होगा। यह रूरल और सेमी-अर्बन एरियाज में बैंकिंग सर्विसेज की रीच बढ़ाने में हेल्प करेगा।
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