जननायक कर्पूरी ठाकुर को दिया भारत रत्न, क्या नरेंद्र मोदी लोकसभा से ज्यादा 2025 के विधानसभा चुनाव पर कर रहे हैं फोकस

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Jitendra Shrivastava
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जननायक कर्पूरी ठाकुर को दिया भारत रत्न, क्या नरेंद्र मोदी लोकसभा से ज्यादा 2025 के विधानसभा चुनाव पर कर रहे हैं फोकस

मारुतराज, BHOPAL. जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने विपक्ष के सामाजिक न्याय के हथियार को कमजोर करने का काम किया है। मोदी ने यह तीर मिशन 2024 के लिए चलाया है, लेकिन राजनीतिक जानकारों की राय इससे जुदा है। उनका मानना है कि मोदी जननायक कर्पूरी ठाकुर के जरिए लोकसभा से ज्यादा 2025 के विधानसभा के चुनाव पर फोकस कर रहे हैं।

वजह जातीय और सामाजिक समीकरण

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार मिथलेश कुमार का कहना है कि मोदी के नाम पर विधानसभा में बीजेपी को वोट नहीं मिल पा रहे हैं। यही वजह है कि देश के उत्तरी हिस्से में मोदी की लहर के बाद भी बिहार के पिछले दो विधानसभा चुनाव में पार्टी को सफलता नहीं मिल सकी। इसकी सबसे बड़ी वजह यहां का जातीय और सामाजिक समीकरण है।

बीजेपी सवर्ण पार्टी बन कर रह गई

कुमार का कहना है कि बिहार में बीजेपी एक तरह से सवर्ण वर्ग की पार्टी बन कर रह गई। नितीश कुमार की जेडीयू के पास पिछड़ा और अति पिछड़ा का वोट है। वहीं, लालू प्रसाद यादव की आरजेडी के पास यादव और मुस्लिम समाज के वोट का बड़ा हिस्सा है। ऐसे में बीजेपी के पास वोट शेयर बढ़ाने के लिए ज्यादा जगह नहीं बचती है। मोदी ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर अति पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक को साधने का काम किया है। जननायक की बिहार में बहुत अच्छी छवि है और उनका लोग सम्मान करते हैं। कुमार के अनुसार मोदी का प्लान है कि जननायक की छवि का फायदा उठाते हुए अति पिछड़ा के वोट में सेंधमारी की जाए।

बीजेपी भी कर्पूरी की विरासत में मांगेगी हिस्सेदारी

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार कौशिक रंजन का कहना है कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान कर भाजपा ने विपक्षी दलों के I.N.D.I.A. अलायंस को बेचैन कर दिया है. कोई भी विपक्षी दल इस फैसले का विरोध नहीं कर सकेगा. इस फैसले के जरिए भाजपा बिहार में ईबीसी और ओबीसी वोटर्स के बीच अपनी पकड़ मजबूत करेगी. लालू-नीतीश भले ही कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का दावा करते हो लेकिन अब कर्पूरी ठाकुर के लिए देश के सबसे बड़े सम्मान का ऐलान करके बीजेपी ने कर्पूरी ठाकुर की विरासत में हिस्सेदारी की कोशिश भी की है.

बिहार में अति पिछड़ी जातियों की आबादी 36 फीसदी

बिहार में 36 फीसदी आबादी अति पिछड़ी जातियों की हैं। जातीय जनगणना 2023 के अनुसार अति पिछड़ों में नाई के साथ-साथ लोहार, कुम्हार, बढ़ई, कहार, सोनार समेत 114 जातियां आती हैं। यह जातियां आज भी बिहार में आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई हैं, लेकिन वोट बैंक के नजरिए से देखें तो सरकार बनाने और बिगाड़ने का दम रखती है। बिहार में अभी जेडीयू और आरजेडी के गठबंधन वाली सरकार है।

2020       सीट       वोट प्रतिशत

जेडीयू        43              15.39

बीजेपी       74              19.46

आरजेडी    75              23.11

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