चंद्रमा की सतह पर पानी और उसके अलग-अलग रूप हाइड्रॉक्सिल (Hydroxyl) की भारी मात्रा पाई गई है। यह महत्वपूर्ण जानकारी तब मिली जब वैज्ञानिकों ने चांद की सतह पर मौजूद खनिजों का नक्शा बनाया। यह महत्वपूर्ण जानकारी चंद्रमा की भौगोलिक स्थिति, उसके इतिहास और वहां अभी जो कुछ भी हो रहा है, उसे जानने का एक बड़ा मौका देगी।
वैज्ञानिक का बड़ा दावा
प्लैनेटरी साइंस इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट रोजर क्लार्क ने इस मामले में बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि आने वाले समय में एस्ट्रोनॉट्स चंद्रमा के इक्वेटर यानी भूमध्यरेखा के पास पानी का इस्तेमाल करें।
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क्लार्क आगे कहते हैं कि महज यह जान लेने से कि चांद पर पानी कहां है, हम उसके बारे में सब कुछ नहीं जान पाएंगे। साथ ही, हमें चांद की सतह और भीतरी परतों का इतिहास भी जानना होगा, ताकि अंतरिक्ष यात्री यह भी पता लगा सकें कि पानी और कहां-कहां पाया जा सकता है। वे आगे कहते हैं कि चांद नमी की कमी वाला एक बेहद सूखा, चट्टानी ग्रह जैसा दिखता है।
चंद्रमा पर हाइड्रॉक्सिल मौजूद
क्लार्क का दावा है कि चांद पर न तो तालाब हैं, न झीलें और न ही नदियां। लेकिन हर रिसर्च से पता चलता है कि इसकी एक बड़ी मात्रा है, जो सतह में फंसी हुई है। वैज्ञानिक आगे दावा हैं कि हमें अभी पूरी तरह से पता नहीं है, लेकिन चांद के दूसरे हिस्सों में भी पानी छिपा हो सकता है। यह भी संभव है कि वहां ऑक्सीजन की बड़ी मात्रा हो, क्योंकि हाइड्रॉक्सिल पाया गया है।
इग्नीयस पत्थर पाइरोक्सिन की खोज
बता दें कि हाइड्रॉक्सिलन एक कण ऑक्सीजन और एक कण हाइड्रोजन से मिलकर बना होता है। हाइड्रॉक्सिल चांद के खनिजों के साथ बंधकर सतह के नीचे बड़ी मात्रा में मौजूद होता है। जरूरत पड़ने पर आप इन्हें खनिजों से अलग कर सकते हैं और फिर इससे पानी और ऑक्सीजन बना सकते हैं। यह सब चांद की सतह पर मौजूद है। वैज्ञानिकों ने चांद की सतह पर इग्नीयस पत्थर पाइरोक्सिन की भी खोज की है, इसमें भी पानी के संकेत मिले हैं।
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