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MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने कलेक्टरों के बार-बार हो रहे तबादलों पर नियंत्रण के बाद अब उनके कार्यों की परफॉर्मेंस रेटिंग कराने का निर्णय लिया है। इस बार योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए तय किए गए परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स के साथ डायनामिक पैरामीटर भी रेटिंग में अहम भूमिका निभाएंगे। सरकार ने पहले जहां कॉल सेंटर के फीडबैक को आधार बनाया था, वहां अब बदलाव किया जा रहा है क्योंकि कई अच्छे कलेक्टरों की रेटिंग उस फीडबैक में कमजोर आई थी। इसलिए, अब एक नए और अधिक व्यापक मूल्यांकन मॉडल के तहत काम किया जाएगा।
मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPSEDC) के सीईओ आशीष वशिष्ठ ने बताया कि परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार करने के लिए 400 से अधिक पैरामीटर तय किए गए हैं, जिनमें समय के साथ और पैरामीटर जोड़े जा सकते हैं।
सभी विभागों की योजनाओं से जुड़ी जानकारी ऑनलाइन तरीके से ली जाएगी। विभागों के पोर्टल सीधे जुड़े होने के कारण डेटा एकत्रित कर रिपोर्ट बनाई जाएगी। यह प्रक्रिया अभी प्रारंभिक चरण में है और फिलहाल कलेक्टरों को जिलावार रिपोर्ट नहीं दी गई है।
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मई में आयोजित समाधान ऑनलाइन बैठक के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 55 जिलों के कलेक्टरों को यह जानकारी देते हुए चौंका दिया था कि उनके पास हर कलेक्टर की परफॉर्मेंस रिपोर्ट मौजूद है, लेकिन इस बार इसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। अब सरकार खुद जिलों की ग्रेडिंग का कार्य करवा रही है।
कलेक्टरों की रेटिंग में सिर्फ योजनाओं के पैरामीटर नहीं, बल्कि शासन की प्राथमिकताएं भी शामिल होंगी। उदाहरण के तौर पर, गर्मी के मौसम में गेहूं की खरीदारी, स्कूलों में दाखिले, बारिश के दौरान आपदा प्रबंधन, त्योहारों पर कानून व्यवस्था और उद्योग विकास जैसे विषय भी मूल्यांकन में जोड़े जाएंगे।
मार्च 2020 से कोविड-19 के दौर में दो साल तक हर महीने कलेक्टरों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार की जाती रही। इस दौरान पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान स्वयं बैठक लेकर समीक्षा करते थे।
हालांकि, चुनावी साल 2023 के दौरान यह प्रक्रिया रुक गई थी और अप्रैल 2025 तक कलेक्टरों की परफॉर्मेंस ग्रेडिंग नहीं की गई। अब यह प्रक्रिया पुनः शुरू होने जा रही है।