JABALPUR. जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. राजेश वर्मा पर एक महिला अधिकारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों को लेकर अब हाइकोर्ट सख्त हो गया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है, क्योंकि पहले की गई दो जांचों पर कोर्ट ने गहरी असंतुष्टि जताई है। इतना ही नहीं, जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना ने भी अदालत के समक्ष हलफनामा दाखिल कर कहा है कि जांच समिति की रिपोर्ट से वह संतुष्ट नहीं हैं।
कलेक्टर की नाराजगी बनी अहम आधार
हाईकोर्ट ने इस मामले की पिछली सुनवाई में जबलपुर कलेक्टर को इस जांच रिपोर्ट की जांच करने के लिए आदेश दिया था। 19 मई 2025 को कलेक्टर दीपक सक्सेना के द्वारा कोर्ट में जो शपथ पत्र दिया उसमें यह साफ लिखा गया था कि वह इस जांच से संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने माना कि जांच समिति ने ना केवल अदालत के निर्देशों की अवहेलना की, बल्कि महत्वपूर्ण साक्ष्यों को भी नजरअंदाज किया।
कथित घटना स्थल के सीसीटीवी फुटेज को ना एकत्र करना और यह कह देना कि कैमरे काम नहीं कर रहे थे, अदालत की दृष्टि में बेहद संदिग्ध लग रहा है। कोर्ट ने यह भी आशंका जताई है कि जिस तरह से कुलगुरु को बचाने की कोशिश हो रही है, उससे इस मामले में यूनिवर्सिटी के भी अधिकारियों की मिलीभगत नजर आ रही है।
हाईकोर्ट ने पहले ही 7 फरवरी 2025 को दिए गए आदेश में कहा था कि आरडीवीवी के वकील ने भरोसा दिलाया था कि फुटेज सुरक्षित रखा गया है। मगर अब रुख बदलते हुए यह बताया गया कि कैमरा चालू ही नहीं था। अदालत ने इसे विरोधाभासी और गंभीर लापरवाही माना।
यह भी पढ़ें... 33 देशों के सामने पाकिस्तान को बेनकाब करेगा भारत, जानें क्या है इन देशों को चुनने की वजह
हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रशासन सहित जांच अधिकारियों को लगाई फटकार
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आलोक बागरीचा ने हाईकोर्ट को बताया कि कुलगुरु के ऊंचे राजनीतिक संपर्क हैं और यही कारण है पूरी कि अब तक की दोनों जांचें इससे प्रभावित हो रही हैं।
इस बारे में हाईकोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि जिस प्रकार की लापरवाही दो बार की जांच में समितियों द्वारा दिखाई गई, उससे यह संदेह मजबूत होता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन के उच्च अधिकारी जांच को प्रभावित कर रहे हैं और अब यह जांच उच्च स्तर पर देना जरूरी है।
यह भी पढ़ें... चंडीगढ़ में VIP नंबरों की नीलामी में दिखा जबरदस्त क्रेज, 31 लाख रुपए में बिका सबसे महंगा नंबर
जांच रिपोर्ट प्रभावित करने के सबूत भी आ रहे हैं सामने
द सूत्र के हाथ एक ऐसा दस्तावेज लगा है जिसमें रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में इस घटना के दौरान सीसीटीवी की देखरेख कर रहे कर्मचारी ने लिखित रूप में यह बयान यूनिवर्सिटी को दिया है, कि घटना दिनांक 21 नवंबर 2024 को सीसीटीवी काम कर रहे थे।
/sootr/media/post_attachments/1fc82bdc-759.jpg)
यूनिवर्सिटी के ही सूत्र बता रहे हैं कि इस दस्तावेज को जांच रिपोर्ट से अलग कर दिया गया है ताकि जिस CCTV कैमरे में यह पूरी घटना है उसकी फुटेज को छुपाया जा सके। यूनिवर्सिटी के ही सूत्रों के अनुसार कुलगुरु के द्वारा अब पुराना कैमरा बदलवाकर नया कैमरा भी लगवा दिया गया है, हालांकि SIT की जांच में डिलीट किए गए फुटेज से लेकर हर बात खुलकर सामने आ ही जाएगी।
यह भी पढ़ें... कुख्यात नक्सली नेता बसवराजू ढेर, 1 करोड़ का था इनाम
अब SIT करेगी जांच, बाहर के जिले के अधिकारी होंगे शामिल
हाईकोर्ट ने अब यह निर्णय लिया है कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया जाए, जो मध्यप्रदेश पुलिस के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की टीम होगी। इसमें एक महिला अधिकारी अनिवार्य रूप से शामिल होगी, जो पुलिस अधीक्षक (SP) रैंक से नीचे नहीं होगी और इस दल का नेतृत्व पुलिस महानिरीक्षक (IG) रैंक से नीचे का कोई नहीं करेगा।
इसके साथ कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि SIT में शामिल कोई भी अधिकारी जबलपुर जिले का नहीं होगा। SIT का गठन पुलिस महानिदेशक (DGP) तीन दिन के भीतर करेंगे और इससे पहले की सभी जांच रिपोर्ट, दस्तावेज और बयान एसआईटी को सौंपे जाएंगे।
यह भी पढ़ें... हाईकोर्ट के आदेश के बाद इंदौर के मानपुर थाना में मंत्री विजय शाह पर FIR दर्ज
हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती, रिपोर्ट जल्द तलब
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि SIT अगली सुनवाई यानी 16 जून 2025 से पहले अदालत में अपनी रिपोर्ट पेश करे। अदालत ने यह भी साफ किया कि पहले प्रस्तुत की गई छह सदस्यीय समिति की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में एसआईटी को सौंपा जाए।
RDVV | RDVV Jabalpur | RDVV जबलपुर | कुलपति प्रो.राजेश वर्मा