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Photograph: (the sootr)
इंदौर के मानपुर थाने में मंत्री विजय शाह के खिलाफ रात 12 बजे के पहले गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। एसपी इंदौर ग्रामीण हितिका वासल ने द सूत्र से इसकी पुष्टि की।
इससे पहले हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश के बाद बुधवार रात को शुरू हो गई है। जानकारों के मुताबिक, अपराध का घटनास्थल क्योंकि मानपुर थाना क्षेत्र था, इसलिए यहां केस दर्ज किया गया है।
सीएम ने किया ट्वीट
माननीय मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी ने कैबिनेट मंत्री श्री विजय शाह के बयान के संदर्भ में कार्यवाही करने के निर्देश दिए है।@DrMohanYadav51
— Office of Dr. Mohan Yadav (@drmohanoffice51) May 14, 2025
भोपाल से FIR के ड्राफ्ट आने के लिए रूके
इसमें मजेदार बात यह है कि एफआईआर में क्या होगा, इसकी ड्राफ्टिंग भोपाल से आई। इसमें शासन स्तर से ही यह तय हो रहा है कि इसमें ड्राफ्टिंग क्या रखी जाए। यानी साफ है कि इस तरह से इसे लिखा जाएगा कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन हो जाए और सरकार को अधिक डैमेज भी नहीं हो सके। इसके लिए शाम से ही वरिष्ठ अधिकारी थाने पर जमे हुए हैं, लेकिन इसमें चिंता है वह धाराएं जो हाईकोर्ट ने बोली हैं। खासकर बीएनएस धारा 152 जिसमें सात साल की सजा है।
इस धारा की वजह से उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक सकती है। हालांकि सात साल तक की सजा में थाने से ही नोटिस देकर जमानत का प्रावधान है। इसमें रोचक बात है कि भोपाल से ड्राफ्टिंग के लिए सारे अधिकारी थाने पर रूके हुए हैं। भोपाल में सभी विधि विशेषज्ञ ड्राफ्ट बना रहे हैं।
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इन धाराओं में दर्ज हुआ केस
जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में डीजीपी को जहां शाम तक केस दर्ज करने के आदेश दिए वहीं साथ ही धाराएं भी बताई हैं। इसमें बीएनएस की धारा 152 सबसे गंभीर है जिसमें सात साल की सजा है। यह सजा उन व्यक्तियों को दी जाती है जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य करते हैं, या अलगाव या अलगाववादी आंदोलन को भड़काने का प्रयास करते हैं। इस मामले में गिरफ्तारी की तलवार लटकी रहेगी। इसके साथ ही उन पर बीएनएस धारा 196 (1) (बी) जिसमें 3 साल तक का कारावास, जुर्माना या दोनों हो सकती है। और धारा 197 BNS होगी इसमें भी तीन साल तक की सजा है। हालांकि बाकी दोनों धाराएं जमानती है लेकिन धारा 152 गंभीर है।
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हाईकोर्ट ने यह दिए हैं आदेश
जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की डिविजनल बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में बुधवार दोपहर में आदेश जारी करते हुए मंत्री विजय शाह के द्वारा दिए गए बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि देश की रक्षा के लिए अपने जान की बाजी लगाने वाली जांबाज कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन बताना ना केवल भारत की अखंडता को तोड़ने के जैसा है बल्कि इस तरह के बयान सेना के मनोबल को भी कमजोर कर सकते हैं।
कोर्ट ने यह साफ कर दिया है की मंत्री के द्वारा दिया गया बयान एक आपराधिक कार्य है, जिस पर पुलिस को मामला दर्ज करना ही होगा, कोर्ट के आदेश के बाद यदि बुधवार की शाम 6:00 तक मंत्री विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो इस मामले की कल होने वाली सुनवाई में डीजीपी के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला शुरू कर दिया जाएगा। हाईकोर्ट ने एजी ऑफिस को यह आदेशित किया है कि हाईकोर्ट के द्वारा जारी किया गया आदेश तत्काल डीजीपी को प्रेषित किया जाए। हाईकोर्ट ने इस केस को गुरूवार को पहले नंबर पर सुनवाई के लिए रखा है, इसमें एफआईआर की जानकारी देना है।
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हाईकोर्ट ने यह भी कहा है
जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस श्रीधरन ने अपने आदेश में कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी को भारतीय सेवा के साहस का प्रतीक बताते हुए यह कहा कि मंत्री के द्वारा की गई टिप्पणी सिर्फ कर्नल कुरैशी के खिलाफ नहीं है बल्कि यह टिप्पणी देश में अलगाववाद पैदा करने जैसी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह सेवा का अपमान करने वाले लोगों को तो उम्र कैद होनी चाहिए लेकिन कानून के अनुसार इन पर कार्यवाही की जाना जरूरी है। इसके बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में लिखा की मंत्री विजय शाह के खिलाफ देश की अखंडता को तोड़ने की कोशिश के लिए धारा 152, धर्म जाति रंग एवं समुदाय के आधार पर लोगों को बांटने की कोशिश पर धारा 196 (1) सहित इस शर्मनाक टिप्पणी के लिए धारा 197 BNS के तहत भी कार्यवाही की जानी चाहिए।