DELHI. बीजेपी से राज्यसभा सांसद और सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने BBC पर चीनी कंपनी से पैसा लेकर भारत विरोधी डॉक्यूमेंट्री बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा- BBC को चीनी कंपनी हुवेई ने मोदी की छवि खराब करने के लिए पैसा दिया है। अब BBC चीनी एजेंडे को ही आगे बढ़ा रहा है। महेश जेठमलानी दिवंगत एडवोकेट राम जेठमलानी के बेटे हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा- BBC इतना भारत विरोधी क्यों है? BBC का भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने का एक लंबा इतिहास रहा है। 2021 में बिना जम्मू-कश्मीर के भारत का नक्शा BBC ने जारी किया था। बाद में उसने भारत सरकार से माफी मांगी थी और नक्शे को सही किया था।
महेश जेठमलानी बोले- बीबीसी भारत के खिलाफ कर रहा दुष्प्रचार
उन्होंने ट्वीट करके लिखा, “बीबीसी ने जम्मू-कश्मीर का छोटा नक्शा प्रकाशित करने के बाद 2021 में भारत सरकार से माफी मांगी थी और नक्शे को सही किया था। इसके अलावा बीबीसी के पास भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने का एक लंबा इतिहास रहा है। पीएम विरोधी डॉक्युमेंट्री इसी दुर्भावनापूर्ण प्रवृत्ति की अगली कड़ी है।”
17 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड टेलिकास्ट हुआ
BBC ने 17 जनवरी को गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री द मोदी क्वेश्चन का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया। इसमें 2002 में गुजरात में हुए दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी की भूमिका होने का दावा किया गया था। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था। इससे पहले ही केंद्र सरकार ने पहले एपिसोड को यूट्यूब से हटा दिया। भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री मोदी और देश के खिलाफ प्रोपेगैंडा बताया है।
अब तक कहां-कहां कब-कब डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर बवाल हुआ
24 जनवरी को JNU में बिजली और इंटनेट काटा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम नहीं जानते कि डॉक्यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार है। इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर 24 जनवरी को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में बवाल हुआ था। दरअसल, यूनिवर्सिटी को खबर लगी कि छात्र संघ के ऑफिस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की जा रही है तो वहां की बिजली और इंटनेट काट दिया गया।
जामिया में अब तक 7 छात्रों को हिरासत में लिया गया
इसके बाद भी छात्र नहीं माने और उन्होंने डॉक्यूमेंट्री को मोबाइल पर डाउनलोड करने का क्यूआर कोड शेयर किया। विवाद इतना बढ़ गया कि डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर देर रात पथराव किया गया। पथराव किसने किया, यह पता नहीं चल पाया है। हमलावर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गए। जामिया में विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर अब तक 7 छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया गया है। इन पर माहौल खराब करने के प्रयास का आरोप है। जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने बताया कि विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर छात्र संगठन SFI यूनिवर्सिटी कैंपस का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहा है।
25 जनवरी को पुडुचेरी और पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्रों के दो संगठनों के बीच झड़प
पुडुचेरी विश्वविद्यालय में बुधवार 25 जनवरी को PM मोदी पर BBC की डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। इसके बाद छात्रों के दो संगठनों के बीच झड़प हो गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने एहतियात के तौर पर बिजली और वाईफाई को ठप कर दिया था, फिर छात्रों के एक गुट ने फोन और लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखी।
पंजाब यूनिवर्सिटी पर हंगामा हुआ
पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) के स्टूडेंट सेंटर में 25 जनवरी को विवादित डॉक्यूमेंट्री चलाने पर हंगामा हुआ। NSUI ने यह डॉक्यूमेंट्री चलाई। जिसे देखने कई स्टूडेंट्स जुट गए। इतने में यूनिवर्सिटी अथॉरिटी को इसकी भनक लग गई और प्रोजेक्टर पर चलाई गई इस डॉक्यूमेंट्री को तुरंत बंद करवा दिया गया। इससे पहले लगभग आधी डॉक्यूमेंट्री चल चुकी थी
गणतंत्र दिवस के मौके पर केरल कांग्रेस ने डॉक्यूमेंट्री दिखाई
केरल कांग्रेस ने गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के मौके पर BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) यह स्क्रीनिंग तिरुवनंतपुरम में शंकुमुघम बीच पर की। पार्टी ने कहा- ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह डॉक्यूमेंट्री दिखाई जा सके इसलिए बीच पर इसकी स्क्रीनिंग की गई है।
26 जनवरी को ही हैदराबाद यूनिवर्सिटी में SFI और ABVP के बीच बवाल
26 जनवरी को हैदराबाद यूनिवर्सिटी में इसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के बीच विवाद हुआ। SFI ने 400 से अधिक छात्रों को विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाई। जवाब में RSS की स्टूडेंट्स विंग और ABVP कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी कैंपस में 'द कश्मीर फाइल्स' डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। ABVP कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी मेन गेट पर प्रदर्शन किया।
27 जनवरी को दिल्ली यूनिवर्सिटी में हंगामा
27 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के छात्रों और पुलिस में ठन गई। छात्रों का कहना था कि वे यह डॉक्यूमेंट्री देखना चाहते हैं, जबकि पुलिस उन्हें देखने नहीं दे रही है। वहीं, पुलिस का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है, लिहाजा इसकी स्क्रीनिंग की इजाजत नहीं दी जा सकती। पुलिस ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की आर्ट्स फैकल्टी के पास धारा 144 लागू है। यहां भीड़ जमा होने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हंगामे के बाद कुछ छात्रों को हिरासत में लिया गया।
29 जनवरी को मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस में बवाल
मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) में भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर 29 जनवरी को बवाल हुआ था। इंस्टीट्यूट की रोक के बावजूद 200 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने फोन-लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखी। TISS के प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने शाम 7 बजे को डॉक्यूमेंट्री दिखाने का ऐलान किया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा ने इसका विरोध किया था। इसके बाद पुलिस ने मामले में दखल देते हुए कहा था कि TISS में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग नहीं होगी। इसके बाद स्टूडेंट्स ने 9 लैपटॉप और फोन पर डॉक्यूमेंट्री देखी।