MP से मेल खाती महाराष्ट्र की ​विक्ट्री,इन दिग्गजों ने BJP को दी मजबूती

मध्यप्रदेश में पार्टी ने पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है। रणनीति के तहत पार्टी ने संगठन कौशल में माहिर मध्यप्रदेश के नेताओं को महाराष्ट्र की सीटों का जिम्मा दिया और यह फॉर्मूला हिट साबित हुआ। पढ़िए ये खास रिपोर्ट...

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Ravi Kant Dixit
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BHOPAL. महाराष्ट्र का महासंग्राम खत्म हो गया, पर क्या आपको पता है कि महाराष्ट्र में महायुति की महाविजय मध्यप्रदेश से भी मेल खाती है। जी हां, ये सच है। बीजेपी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश का हिट फॉर्मूला अपनाया और वह महाअगाड़ी बन गई। कांग्रेस महापिछाड़ी हो गई। 
बीजेपी ने मध्यप्रदेश का फुल प्रूफ विक्ट्री फॉर्मूला महाराष्ट्र में अपनाया है। बात चाहे लाड़ली बहना योजना की हो या बूथ कॉन्सेप्ट... वही रणनीति महाराष्ट्र में लागू की गई, जिससे MP में पार्टी ने पहले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है। रणनीति के तहत पार्टी ने संगठन कौशल में माहिर MP के नेताओं को महाराष्ट्र की चुनिंदा सीटों का जिम्मा दिया और यह फॉर्मूला हिट साबित हुआ। पढ़िए खास रिपोर्ट...

यूं तो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तमाम समीक्षाएं अलग-अलग तरह से हो चुकी हैं। सबके अपने एंगल हैं। इस बीच 'द सूत्र' ने खास रिपोर्ट बनाई है। हमारी टीम ने देखा कि मध्यप्रदेश के किस नेता को महाराष्ट्र के किस इलाके की जिम्मेदारी दी गई थी और उनका सक्सेस रेट क्या रहा? किस नेता ने क्या रणनीति अपनाई? 

भूपेंद्र और अश्विनी की ​जोड़ी हिट 

... तो शुरू से शुरू करते हैं। सबसे पहले बात महाराष्ट्र चुनाव प्रभारी व केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और सह चुनाव प्रभारी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की। इन्हीं दोनों नेताओं को बीजेपी ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रभारी बनाया था। जब इनकी अगुआई में बीजेपी ने एमपी में अभूतपूर्व सफलता हासिल की तो इन्हें महाराष्ट्र का जिम्मा दिया गया। भूपेंद्र यादव चुनावी रणनीति में माहिर माने जाते हैं। उन्होंने मुंबई से पूरा इलेक्शन लीड किया। उनके साथ अश्विनी वैष्णव भी चुनावी मैनेजमेंट में जुटे रहे। 

संगठन के नेताओं ने किया प्रदर्शन 

अब आते हैं बीजेपी संगठन पर...तो इसी के तहत राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने महाराष्ट्र में डेरा डाला। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कोटे से सुहास भगत को महाराष्ट्र भेजा गया। वे पिछले दिनों तक मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सक्रिय थे। 

वहीं, पहले संघ कोटे में रहे अबके मध्यप्रदेश के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने महाराष्ट्र में कार्यकर्ताओं से वन-टू-वन फीडबैक लिया। मंथन किया। इसी तरह मध्यप्रदेश में काम कर चुके अरविंद मेनन भी महाराष्ट्र में अहम भूमिका में रहे। सीएम डॉ.मोहन यादव ने भी कई सीटों पर प्रचार किया। इसके लिए महाराष्ट्र बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने उन्हें चिट्ठी लेकर आभार जताया। 

इन दिग्गजों ने बीजेपी को दिया विस्तार 

बीजेपी ने शुरुआत से ही मध्यप्रदेश के पांच नेताओं को महाराष्ट्र के जिलों का जिम्मा दे दिया था। आगे नेताओं की संख्या और बढ़ी। पहले मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, मंत्री विश्वास सारंग, पूर्व मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा और युवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ.निशांत खरे को उतारा गया। चार नेताओं को महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र की 62 सीटों की जिम्मेदारी दी गई। ये सीटें सबसे अहम थी, ​बीजेपी नहीं चाहती थी कि उसकी परम्परागत सीटें किसी भी सूरत में हाथ से निकलें। कुल मिलाकर एमपी के 4 मंत्रियों, 20​ विधायकों और दिग्गज नेताओं को जिम्मेदारी दी गई थी। 

मध्यप्रदेश के किस नेता को क्या काम सौंपा

  1. मंत्री कैलाश विजयवर्गीय: नागपुर सिटी और नागपुर ग्रामीण जिले की जिम्मेदारी दी गई है। इन दोनों जिलों के अंतर्गत महाराष्ट्र की 12 विधानसभा सीटें आती हैं। बीजेपी ने यहां 8 सीटें जीती। एक सीटें बीजेपी की अगुआई वाले गठबंधन महायुति को गई। इस सीट पर Shivsena (शिंदे) ने जीत हासिल की। 

  2. मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल: वर्धा और अमरावती जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई। प्रहलाद का चुनावी मैनेजमेंट पूरी तरह काम आया। यहां पूरे इलाके में बीजेपी का परफॉरमेंस बेहतर रहा। बीजेपी ने वर्धा और अमरावती जिलों की 12 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की। 

  3. मंत्री विश्वास सारंग: अकोला और बुलढाणा जिले काम का सौंपा गया है। अकोला जिले में पांच और बुलढाणा जिले 7 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां बीजेपी ने अकोला में तीन और बुलढाणा की सात सीटों में से चार पर बीजेपी और एक सीट पर शिवसेना (शिंदे) को जीत हासिल हुई।

  4. पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा: भंडारा और गोंदिया जिला दिया गया था। पूर्व मंत्री मिश्रा ने अपना काम किया। लगातार बैठकें की। चुनावी मैनेजमेंट किया। गोंदिया की चार सीटों में से बीजेपी तीन पर जीती। वहीं, भंडारा की तीन सीटों में से महायुति ने दो पर जीत दर्ज की। 

  5. डॉ.निशांत खरे: युवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष निशांत खरे महाराष्ट्र के आदिवासी मतदाताओं के बीच खासे सक्रिय रहे। उन्हें बीजेपी ने 48 सीटों का दायित्व सौंपा था। इनमें से 43 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों ने जीत दर्ज कराई। महाराष्ट्र में जिन 12 एसटी सीटों की जिम्मेदारी सीधे तौर पर खरे पर थी, वहां बीजेपी 10 सीटें जीती।

इन नेताओं ने भी निभाया अहम रोल 

इसी तरह मध्यप्रदेश बीजेपी के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा पश्चिम विदर्भ में रहे। क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जमवाल पश्चिम महाराष्ट्र में सक्रिय रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और जनजातीय मंत्री विजय शाह चंद्रपुर और गढ़चिरौली में तैनात रहे। खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने अकोला, बुलढाणा और वासिम में काम किया। पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया मुंबई में रहे। गजेंद्र पटेल धूलिया और कविता पाटीदार ठाणे में रहीं।

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