NOIDA : एलईडी टीवी पर डिजिटल विज्ञापन चलवाने और प्रतिमाह भुगतान करने के नाम पर तीन राज्यों में हजारों लोगों से 700 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी करने वाले गिरोह के सरगना को यूपी की नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के खिलाफ उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश के कई जिलों में दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। आरोपी की पहचान राजस्थान के जिला अलवर के गांव साहोड़ी निवासी विनोद कुमार उर्फ अनुज के रूप में हुई है।
आरोपी के खिलाफ एक पीड़ित ने 22 अगस्त को थाना फेज-वन में मुकदमा दर्ज कराया था। उसकी जांच में विनोद उर्फ अनुज को गिरफ्तार किया गया। पुलिस अब इसके अन्य साथियों को पकड़ने में जुटी है। पुलिस के अनुसार जांच में पता चला कि आरोपियों ने चंडीगढ़ में सबसे अधिक 500 करोड़ रुपए की ठगी की। इसके अलावा इंदौर में भी करीब 50 करोड़ रुपए लोगों से ऐंठे हैं।
इंदौर पुलिस ने फरार घोषित कर आरोपपत्र लगा दिया
गिरोह के सदस्यों ने इंदौर में यूनिक एडवरटाइजिंग के नाम से ओल्ड पलासिया में कंपनी खोली। यहां कंपनी का डायरेक्टर अमित श्रीवास्तव को बनाया। गिरोह ने सैकड़ों लोगों से ठगी की। मध्य प्रदेश के जिला बड़वानी निवासी दिलीप कुमार अग्रवाल ने इंदौर में एफआईआर दर्ज कराई। हालांकि, इससे पहले ही गिरोह ने कंपनी बंद कर दी। इंदौर पुलिस ने अमित श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जबकि विनोद को फरार घोषित करते हुए आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया था। गिरफ्तार आरोपी विनोद महज 10वीं पास है।
विनोद कुमार सहित 16 के खिलाफ केस दर्ज
एडीसीपी मनीष कुमार मिश्र ने बताया कि आरोपी और उसके साथी सैकड़ों लोगों से ठगी कर चुके हैं। इन्होंने नोएडा में तीन अलग-अलग जगहों पर फर्जी कंपनी खोली थी। इटावा जिले के उदयपुर खुर्द निवासी सुखवेंद्र सिंह ने विनोद कुमार उर्फ अनुज समेत 16 लोगों के खिलाफ थाना फेज-वन में केस दर्ज कराया था। एडीसीपी ने बताया कि सेक्टर-3, 16 और 11 में सिटी प्राइम ब्रॉडकास्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी के कार्यालय हैं। कंपनी से एलईडी लगवाने का काम के अनुबंध के आधार पर इन्हें सिर्फ दो महीने का किराया मिला। आरोपियों ने 20 लाख रुपए सिक्योरिटी राशि भी हड़प ली। केस दर्ज होने के बाद से पुलिस आरोपियों को पकड़ने में जुटी थी। पुलिस ने दो महीने की जांच-पड़ताल के बाद मुख्य आरोपी विनोद कुमार उर्फ अनुज को गिरफ्तार कर लिया। यह राजस्थान के जिला अलवर के गांव साहोड़ी का रहने वाला है।
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गिरोह के सदस्य ऐसे करते थे ठगी
पुलिस ने बताया कि गिरोह के सदस्य सोशल मीडिया के माध्यम से कंपनी का प्रचार करते हैं। ये व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर एलईडी टीवी लगाकर विभिन्न ब्रांड/कंपनियों के विज्ञापन चलवाने और इसके एवज में हर महीने 10 से 15 हजार रुपए प्रतिष्ठान के मालिक को देने का झांसा देते। गिरोह फ्रेंचाइजी देने और एलईडी टीवी लगवाने के बदले 50 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक वसूलता, लेकिन एलईडी लगवाने के बाद एक या दो माह तक भुगतान करते और तकनीकी कमी बताकर रुपए देना बंद कर देता। अधिक विरोध करने पर ऑफिस बंद कर दूसरे शहर में किसी अन्य नाम से कंपनी खोलकर ठगी शुरू कर देते थे।
इन शहरों में लोगों से करोड़ों रुपए ठगे
पुलिस पूछताछ में पता चला कि गिरोह तीन राज्यों में सबसे अधिक सक्रिय है। आरोपियों ने चंडीगढ़ में सबसे अधिक करीब 500 करोड़ रुपए की ठगी की। इसके अलावा इंदौर में 50 करोड़, कानपुर में 25 करोड़, औरैया में 20 करोड़, लखीमपुर खीरी में 18 करोड़, इटावा में 22 करोड़, फर्रुखाबाद में 28 करोड़, कन्नौज में 32 करोड़ की ठगी कर चुके। नोएडा में भी इन्होंने रुपये ऐंठे। आरोपियों के खिलाफ कानपुर देहात पुलिस आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यूएस) को केस ट्रांसफर कर चुकी है।
10वीं पास विनोद सेल्समैन की करता था नौकरी
गिरफ्तार मुख्य आरोपी विनोद कुमार ने पुलिस को बताया कि वह महज 10वीं पास है। वह जयपुर स्थित एक फाइनेंस कंपनी में बतौर सेल्समैन नौकरी करता था। वहां उसकी मुलाकात शिवम कटारिया और सिद्धार्थ से हुई। दोनों ने उसे कम समय में जल्दी अमीर बनने का सपना दिखाया। 2018-19 में तीनों ने एक साथ नौकरी छोड़ी और डिजिटल एडवरटाइजिंग के व्यापार में लोगों को ठगने का काम करना शुरू कर दिया।
इंदौर के ओल्ड पलासिया में भी खोली थी कंपनी
आरोपियों ने इंदौर में भी यूनिक एडवरटाइजिंग के नाम से ओल्ड पलासिया में कंपनी खोली थी। यहां कंपनी का डायरेक्टर अमित श्रीवास्तव को बनाया। इंदौर में करीब एक साल में सैकड़ों लोगों से ठगी की। मध्य प्रदेश के बड़वानी निवासी दिलीप कुमार अग्रवाल ने इंदौर में एफआईआर दर्ज कराई। केस दर्ज होने से कुछ दिन पहले ही आरोपियों ने कंपनी बंद कर दी। इंदौर पुलिस ने अमित श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जबकि विनोद को फरार घोषित कर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया।
हर शहर में कंपनी के अलग-अलग डायरेक्टर
जांच के दौरान पुलिस को यह भी पता चला है कि गिरोह ने हैदराबाद में सिंगुर नेटवर्क के नाम से कंपनी बनाई थी। इसमें अभी काम चल रहा है। जालसाज हर शहर में अलग-अलग लोगों को कंपनी का डायरेक्टर बनाते थे। नोएडा में खोली कंपनियों में डीबी परिवार को डायरेक्टर बनाया था। इसी नाम से कंपनी के चालू खाते और जीएसटी नंबर लिए जाते हैं। इसी आधार पर किराया एग्रीमेंट बनवाते हुए आधार कार्ड का पता भी बदलवा लेते थे।
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