शिवसेना सांसद संजय राउत ने इमरजेंसी पर बड़ा बयान दिया है। संजय राउत ने कहा कि 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा इमरजेंसी लगाई थी तो बालासाहेब ने आपातकाल का खुलकर समर्थन किया था। संजय राउत ने बीजेपी के उस बयान पर निशाना साधा, जिसमें उसने बालासाहेब का समर्थन किया था और इमरजेंसी का विरोध किया था।
बीजेपी पर साधा निशाना
संजय राउत का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह बालासाहेब ठाकरे के नाम पर वोट मांग रहे हैं। संजय राउत ने सेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित अपने साप्ताहिक कॉलम रोकटोक में लिखा कि जबकि पीएम मोदी और शाह आपातकाल के खिलाफ हैं, बालासाहेब ठाकरे उस आपातकाल के समर्थन कर रहे थे। इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाने का साहस दिखाया था। उस समय शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे ने इसके लिए खुला समर्थन किया था।
आपातकाल को सही बताया
आपातकाल लगाने को उचित ठहराते हुए संजय राउत ने कहा कि बीजेपी आपातकाल का मुद्दा उठा रही है जो 50 साल पहले लगाया गया था। वह आपातकाल को भूल नहीं पा रही है जिससे उसकी कमजोर मानसिकता का पता चलता है। 25 जून 1975 को सशस्त्र बलों से विद्रोह करने की अपील की गई। यह देश में अशांति पैदा करने के प्रयास की शुरुआत थी। विपक्षी नेता खुलेआम पुलिस को सरकारी निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए उकसा रहे थे। वे देश के खिलाफ विद्रोह भड़का रहे थे। हमारे शत्रु देशों द्वारा स्थिति का लाभ उठाने की संभावना थी और इसीलिए इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था।
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विरोधियों को आतंकित कर रहो
पिछले हफ्ते संजय राउत ने कहा था कि सांसदों ने निडर होकर पीएम मोदी से कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) उनके विरोधियों को आतंकित करने के लिए उनके मजबूत हथियार हैं। उन्होंने कहा कि सांसदों ने कहा कि अगर ईडी और सीबीआई नहीं होती तो पीएम एक संगठन के डरे हुए प्रमुख ही बन जाते।
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महुआ मोइत्रा को सांसद से बाहर किया
साथ ही संजय राउत का कहना है कि जब पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा संसद में बोलने के लिए खड़ी हुईं तो प्रधानमंत्री खुद सदन से बाहर चले गए। मोइत्रा ने प्रधानमंत्री को बताना चाहा कि उन्होंने उनके लोकसभा क्षेत्र में दो रैलियां कीं, फिर भी वह जीत गईं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को उनका भाषण सुनना चाहिए। लेकिन पीएम में उनका भाषण सुनने की हिम्मत नहीं थी।
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