नीट पीजी (NEET PG) काउंसलिंग में निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा एनआरआई (NRI) कोटे की सीटों पर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। सरकारी जांच में यह साबित हुआ है कि बिना रजिस्ट्रेशन किए ही कई उम्मीदवारों को सीट अलॉट कर दी गई। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों और दलालों की पहचान के लिए एफआईआर (FIR) दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी है।
फर्जीवाड़ा कैसे हुआ?
चिकित्सा शिक्षा संचालक (Directorate of Medical Education) डॉ. ए.के. श्रीवास्तव के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश के डॉ. राहुल सिंह ने शिकायत की कि उन्होंने काउंसलिंग के लिए पंजीकरण नहीं कराया था, लेकिन उनका नाम सूची में शामिल कर लिया गया। डॉ. राहुल ने अपनी खराब रैंक के कारण काउंसलिंग में भाग न लेने का दावा किया है।
पहले चरण की काउंसलिंग में एनआरआई कोटे की 91 सीटों में से केवल 36 पर ही उम्मीदवारों ने दाखिला लिया। अब उन 25 उम्मीदवारों की जांच शुरू हो चुकी है, जिन्होंने सीट मिलने के बावजूद एडमिशन नहीं लिया।
फर्जी दस्तावेज और डेटा की जांच
काउंसलिंग कमेटी ने एमपी ऑनलाइन (MP Online) से उन उम्मीदवारों के डिजिटल डेटा और अपलोड किए गए दस्तावेज मांगे हैं, जिन पर गड़बड़ी का संदेह है। जांच में पता चला है कि कुछ उम्मीदवारों के मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी असली नीट पीजी फॉर्म से अलग थे।
6 उम्मीदवारों के मूल निवासी प्रमाण पत्र (Domicile Certificate) पर एक जैसे सिग्नेचर पाए गए हैं। इसके साथ ही, बैंक डिटेल्स में भी गड़बड़ी सामने आई है।
सरकार की कार्रवाई
चिकित्सा शिक्षा विभाग फर्जीवाड़े में शामिल दलालों और जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने में जुटा है। एनआरआई कोटे में हो रही गड़बड़ी को रोकने के लिए नई नीतियों पर विचार किया जा रहा है।
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