नीट 2024 में धांधली को लेकर देशभर में विरोध हो रहा है। देश भर के स्टूडेंट नीट स्कैम की बात कह रहे हैं। नीट मामलों के एक्सपर्ट और परीक्षा में शामिल हुए स्टूडेंट्स कई सवाल उठा रहे हैं। ( NEET UG Results 2024 )
NEET परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी NTA यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की शुचिता पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्टूडेंट्स सड़कों पर खड़े होकर न्याय की मांग रहे हैं।
NEET में धांधली के आरोपों के बीच उठ रहे ये सवाल एनटीए को शक के घेर में खड़ा कर रहे हैं...
पहली रैंक पर इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स कैसे ?
नीट परीक्षा में इस बार ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक पर 67 स्टूडेंट्स रहे। पहली रैंक पर इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स कैसे आ गए। स्टूडेंटस को 720 में से 718, 719 नंबर कैसे दिए।
अगर स्टूडेंट सभी सवाल सही करता तो 720 नंबर मिलते और एक भी गलत होता तो माइनस मार्किंग की वजह से अधिकतम 715 नंबर मिलते और एक सवाल छोड़ देता तो 716 अंक होते।
10 दिन पहले रिजल्ट क्यों जारी किया गया ?
एनटीए ने पहले 14 जून को रिजल्ट जारी होने की संभावित डेट बताई थी, लेकिन 10 दिन पहले ही 4 जून की शाम को परिणाम जारी कर दिया गया। इस वजह से स्टूडेंट्स का ये सवाल एनटीए को शक के घेर में खड़ा कर रहा है। रिजल्ट 10 दिन पहले घोषित करने के पीछे क्या वजह है।
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सवाई माधोपुर के परीक्षा केंद्र में दिक्कत हुई, फिर स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स क्यों दिए?
NTA ने माना था कि सिर्फ एक सेंटर में दिक्कत हुई तो इतने स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स क्यों दिए गए? पांच मई को जिस दिन नीट का पेपर था। उसी शाम को एनटीए ने प्रेस रिलीज निकालकर बताया था कि सवाई माधोपुर के परीक्षा केंद्र में ही सिर्फ दिक्कत हुई थी।
अब सवाल यह है कि आखिर ग्रेस मार्क्स क्यों दिए गए। इस वजह से 67 बच्चों को फुल मार्क्स दिए गए। इसमें भी एक ही सेंटर के 6 बच्चों के फुल मार्क्स दिए गए।
दिन- रात एक करके अच्छा स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स का क्या होगा ?
जिन 67 बच्चों को फुल मार्क्स दिए गए है, उन्हें बैठाकर सेम पेपर दे दिया जाए फिर देखिए क्या होता है। अब इसकी जांच किसी और एजेंसी से कराए तो सारी पोल खुल जाएगी। सबसे बड़ा सवाल ये है कि जो बच्चे दिन- रात सही में मेहनत करके अच्छे नंबर लाए हैं उनका क्या होगा। उनके भविष्य का क्या होगा।
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एक ही साल में तीन गुना स्टूडेंट इंटेलीजेंट कैसे हो गए
इस बार नीट की कट ऑफ बहुत ज्यादा है। इसमें एक ही साल में 45 नंबरों की बढ़ोतरी देखने को मिली है यह रिकॉर्ड है। पिछले साल जहां 605 नंबर पर 26 हजार 485 स्टूडेंट्स थे, इस साल वे 76 हजार कैसे हो गए। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि एक ही साल में इतने बच्चे एक साथ तीन गुना इंटेलीजेंट कैसे हो गए।
ग्रेस मार्क्स पर उठे सवाल ?
जयपुर सेंटर में स्टूडेंट्स को जो पेपर मिला था वो 2 बजकर 40 मिनट पर शुरू हुआ। ओएमआर पर इनविजिलेटर के सिग्नेचर हुए। 2.30 ओएमआर मिली, 2.40 से पेपर शुरू हुआ। इसके बाद भी उन्हें कोई ग्रेस मार्क्स नहीं मिले। पेपर लेट मिलने की वजह से ग्रेस मार्क्स मिलने चाहिए थे या फिर सभी के हटा देने चाहिए थे।
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