World Mental Health Day 2024
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health) जितना हमारे लिए जरूरी है, उतना ही महत्व मानसिक सेहत (Mental Health) भी रखती है। बदलते जीवन जीने के तरीकों के चलते स्ट्रेस (Stress) और डिप्रेशन (Depression) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आज के समय में युवा पीड़ी से लेकर बच्चे भी तनाव के चपेट में आ रहे हैं। यूनिसेफ की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में तकरीबन 14 फीसदी बच्चे भी अवसाद में जी रहे हैं। मानसिक सेहत ठीक नहीं होने के कारण शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि मानसिक सेहत पर भी बराबर ध्यान दिया जाए।
आज वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे
मानसिक सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से पूरी दुनिया में 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे (World Mental Health Day) मनाया जाता है। आज के दिन मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चर्चा की जाती है। पूरी दूनिया मेंटल हेल्थ के लिए खास कदम उठाने को एकजुट होती है। दरअसल, एक बड़ी संख्या में लोग मानसिक रोगों की शिकार हैं, और इसकी जानकारी भी नहीं है। इसके साथ आज का उन लोगों के लिए भी है जिनके आस-पास मानसिक परेशानियों से लड़ते हुए लोग मौजूद हैं लेकिन उन्हें नहीं होता है कि इनकी समस्या को कैसे दूर किया जाए या इनकी मदद कैसे करें। तो आइए जानते हैं वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे क्यों मनाया जाता है, मेंटली फिट रहने के तरीके।
वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाए जाने का उद्देश्य
हर साल 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे (World Mental Health Day) मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 1992 में विश्व मानसिक सेहत दिवस मनाने की शुरुआत की थी। 1994 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव यूजीन ब्रॉडी ने यह दिवस मनाए जाने की सलाह दी थी। दूनिया भर में इस दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य लोगों को मेंटल हेल्थ के प्रति जागरुक करना है। इसे हर साल थीम के साथ मनाया जाता है। तीन सालों में यह दिवस सरकारी विभागों, संगठनों और प्रतिबद्ध व्यक्तियों के लिए मानसिक हेल्थ की देखभाल के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के कार्यक्रमों का अवसर बन गया।
वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे 2024 की थीम
2024 के वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे थीम है ‘It is time to prioritise mental health in the workplace’ यानी ‘कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय आ गया है।’ इस थीम के अनुसार ऑफिस या किसी भी कार्य स्थल में मानसिक सेहत पर गंभीरता से ध्यान देने पर जोर देने की बात कही गई है। इसके तरह ऑफिस का स्ट्रेस कम करने और इसे हैंडल करने पर जोर दिया गया है।
मेंटली फिट रहने के लिए अपनाए ये तरीके
- तनाव से दूर रहने के लिए छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूंढें। खुलकर हंसे और खुश रहें। हंसना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। इससे हैप्पी हॉर्मोन भी रिलीज होते हैं।
- अगर आपको किसी बात को ध्यान में लाने पर बहुत ज्यादा टेंशन होने लगती है तो लंबी और गहरी सांस लें और बाहर छोड़ें। यह तनाव से राहत पाने के लिए एक बढ़िया तरीका है।
- तनाव को दूर करने में मेडिटेशन बहुत बढ़िया उपाय है। अपनी दिनचर्या में मेडिटेशन को भी शामिल करें। भारत में प्राचीन काल से ही ध्यान किया जाता रहा है।
- अगर आप ओवरथिंकर हैं तो आपको एक बात पर बात पर फोकस करना होगा कि जिंदगी आज में, वर्तमान में है, गुजर चुके कल बारे में सोचने कुछ नहीं होगा और जो हुआ ही नहीं है उस बारे में क्यों सोचना। खुद को आज में रखने की कोशिश करें, ना कि भूतकाल और भविष्य के बारे में सोचकर दुखी हों।
- संगीत भी आपको खुशी देने अहम भूमिका निभाता है, हर दिन अपनी पंसद का गाना सुनें। तनाव में रहने के दौरान दूखी करना वाले गानों से दूर रहना चाहिए।
- फिजिकल तौर पर स्वस्थ रहना हो या मेंटली, हेल्दी डाइट बहुत जरूरी है। अपनी डाइट में ताजे फल, सब्जियां, नट्स, ड्राई फ्रूट्स जैसी चीजें शामिल करें। पानी भी भरपूर पिएं. धूम्रपान का त्याग करें और शराब का सेवन कम करें।
- योग और एक्सरसाइज से भी तनाव को कम किया जा सकता है। इसके अलावा आप डांसिंग, स्विमिंग, वॉकिंग जैसी चीजों से भी तनाव से अपने आप को दूर रख सकते हैं।
- सबसे जरूरी चीज अपनी नींद की समय सीमा को बेहतर बनाएं, जल्दी सोने की आदत डालें और सुबह जल्दी सुबह उठें। जल्दी उठने के बाद योग, व्यायाम और मेडिटेशन करे इससे आप बेहतर फील करेंगे।
- अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताए साथ बाहर घूमने जाए ऐसा करने से भी आप तनाव कम कर सकते हैं। आप अपना पसंद का काम करके भी तनावमुक्त रह सकते हैं।
- अपना वजन कंट्रोल में रखें, अगर आप मोटापे का शिकार हैं तो फिर वजन को कम करने पर ध्यान देना चाहिए, एक अध्ययन के मुताबिक, मोटापे से प्रभावित व्यक्तियों में अवसाद का जोखिम 20 प्रतिशत ज्यादा होता है।
सरकारों को बढ़ाना होगा मानसिक स्वास्थ्य पर बजट
मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसे अक्सर नज़रअंदाज कर दिया जाता है, बावजूद इसके कि यह मानव कल्याण और सामाजिक विकास के लिए अत्यधिक आवश्यक है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सीधा असर व्यक्ति की उत्पादकता, जीवन की गुणवत्ता और समाज पर पड़ता है। इसके बावजूद, सरकारें और नीति-निर्माता मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पर्याप्त बजट का आवंटन नहीं करते। मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर, एक मनोचिकित्सक के रूप में मेरा मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट बढ़ाना अति आवश्यक है, ताकि इसे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के रूप में देखा जा सके और सभी तक पहुंच सुनिश्चित हो।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में करोड़ों लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। मानसिक विकारों का बढ़ता हुआ बोझ व्यक्ति के साथ-साथ समाज और अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर असर डालता है। अवसाद, चिंता, बाइपोलर डिसऑर्डर, और अन्य मानसिक बीमारियां व्यक्ति के सामाजिक, व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को प्रभावित करती हैं। भारत जैसे विकासशील देश में, जहां स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही बोझिल हैं, मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर प्राथमिकता नहीं दी जाती।
वर्तमान में, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवंटित बजट बेहद कम है। अधिकांश स्वास्थ्य बजट का बड़ा हिस्सा शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे कि टीकाकरण, मातृ-शिशु स्वास्थ्य, और संक्रामक रोगों पर खर्च होता है। हालांकि ये महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की बढ़ती संख्या को नज़रअंदाज करना एक गंभीर भूल है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज और जागरूकता के अभाव में, लोग अक्सर देर से मदद लेते हैं, जिससे उनकी स्थिति और गंभीर हो जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट बढ़ाना इसलिए आवश्यक है ताकि न केवल इलाज सुलभ हो सके, बल्कि इसके बारे में जागरूकता भी फैलाई जा सके। बढ़ा हुआ बजट यह सुनिश्चित करेगा कि अधिक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र खोले जा सकें, जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपस्थिति हो और सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर हो। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं में एकीकृत करना होगा, ताकि प्राथमिक स्तर पर ही समस्याओं का निदान हो सके।
बजट बढ़ाने से मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की संख्या भी बढ़ेगी, जो कि वर्तमान में सीमित है। इसके साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में फैली भ्रांतियों और कलंक को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए जा सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य में निवेश से न केवल व्यक्ति और समाज को लाभ होगा, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी यह लाभकारी साबित होगा। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश से कार्यक्षमता बढ़ेगी, उत्पादकता में सुधार होगा, और चिकित्सा खर्चों में कमी आएगी। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों को सही समय पर इलाज मिलने से उनकी बीमारी के गंभीर होने की संभावना कम हो जाती है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ कम होता है।
मानसिक स्वास्थ्य को उपेक्षित रखना हमारे समाज और अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक हानि का कारण बन सकता है। यह समय की मांग है कि सरकारें मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट में वृद्धि करें और इसे प्राथमिकता के रूप में देखें। मानसिक स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य केवल जागरूकता फैलाना नहीं, बल्कि वास्तविक बदलाव लाना है। इसके लिए हमें मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना और सभी के लिए सुलभ बनाना आवश्यक है।
आभार: डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी वरिष्ठ मनोचिकित्सक एवं मनोवैज्ञानिक विश्लेषक
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