NEET UG 2024 : पेपर लीक, CBI जांच और री-एग्जाम पर सुप्रीम सुनवाई, CJI ने किए यह सवाल

नीट यूजी पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को लंबी सुनवाई चली। कोर्ट ने एनटीए और CBI को जांच का अब तक का अपडेट देने को कहा है। जानें सुनवाई में सीजेआई ने क्या-क्या कहा?

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Vikram Jain
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New Delhi NEET UG paper leak case regarding Supreme Court raised questions
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NEW DELHI. नीट यूजी पेपर लीक, री टेस्ट और परीक्षा से जुड़ी अन्य अनियमितताओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई पूरी हो चुकी है। सोमवार हुई यह सुनवाई 2 घंटे 20 मिनट तक चली। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और दो अन्य न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि एनटीएम पेपर लीक वाले सेंटर्स की जानकारी दे, साथ ही जिन स्टूडेंट्स को फायदा हुआ उनके बारे में भी 10 जुलाई तक बताए।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान नीट परीक्षा और पेपर लीक के कई तथ्यों पर बात की है और कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश सभी वकील इस बात पर अपनी दलीलें पेश करेंगे कि दोबारा परीक्षा क्यों होनी चाहिए और केंद्र तारीखों की पूरी सूची भी देगा। सीजेआई ने कहा कि री-एग्‍जाम की मांग कर रहे सभी याचिकाकर्ताओं के वकील गुरुवार तक एक कॉमन सेट कोर्ट में सब्मिट करें। ये 10 पेज से बड़ा नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सभी बुधवार शाम 5 बजे तक अपने जवाब सौंपें। अब मामले में अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।

सीजीआई ने किए यह सवाल

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कि कहा 9 फरवरी को सभी कैंडिडेट्स ने नीट के लिए आवेदन किए थे। इसके बाद परीक्षा हुई और 4 जून को परिणाम सामने आए। वकील ने बताया कि 5 मई को परीक्षा आयोजित की गई थी और 4 मई को टेलिग्राम पर पेपर के प्रश्न और उत्तर वायरल हो रहे थे। इस पर सीजीआई ने सबसे पहले पूछा कि यह बताइए कि एनटीए ने एग्जाम की घोषणा कब की थी। 

क्या यह माना जाए कि पेपर लीक हुआ है?

सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। जिस पर वकील ने बताया कि बैंक से पेपर आने में देरी हुई और इस दौरान लीक की घटना हुई है। तो इस पर सीजेआई ने कहा कि क्या इस बात को माना जाए कि पेपर लीक हुआ है?' आपके मुताबिक परीक्षा की पूरी विश्वसनीयता खत्म हो गई है और दागी व बेदाग लोगों में अंतर करना संभव नहीं है, साथ ही पूछा कि इसका तथ्यात्मक आधार क्या है?

सीजेआई ने कहा कि यदि परीक्षा की पवित्रता खत्म हो जाती है, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा, यदि दागी और बेदाग को अलग करना संभव नहीं है, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा। यदि लीक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है, तो यह जंगल में आग की तरह फैल सकता है और बड़े पैमाने पर लीक हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया में "रेड फ्लैग" की जांच के लिए एक समिति गठित करने का सुझाव दिया है। 

यह प्रतिकूल मुकदमा नहीं

सीजेआई ने आगे कहा कि यह प्रतिकूल मुकदमा नहीं है, क्योंकि हम जो भी निर्णय लेंगे, वह छात्रों के जीवन को प्रभावित करेगा, 67 उम्मीदवारों ने 720/720 अंक प्राप्त किए थे, अनुपात बहुत कम था, केंद्रों में बदलाव, यदि कोई अहमदाबाद में पंजीकरण करता है और अचानक चला जाता है। हमें अनाज को भूसे से अलग करना होगा ताकि पुन: परीक्षण किया जा सके। हम नीट के पैटर्न को भी समझना चाहते हैं।

लीक से क्या फर्क हुआ है? 

सीजेआई ने आगे कहा कि सवाल यह है कि इसकी पहुंच कितनी व्यापक है? यह एक स्वीकार्य तथ्य है कि लीक हुआ है। हम केवल यह पूछ रहे हैं कि लीक से क्या फर्क हुआ है? हम 23 लाख छात्रों के जीवन से निपट रहे हैं। यह 23 लाख छात्रों की चिंता है जिन्होंने परीक्षा की तैयारी की है, कई ने पेपर देने के लिए काफी ट्रैवल भी किया है. इसमें खर्चा भी हुआ है। 

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कितने छात्रों के परिणाम रोके गए हैं?

सीजेआई ने वकीलों ने पूछा लीक के कारण कितने छात्रों के परिणाम रोके गए हैं? छात्र कहां हैं? 23 जून को 1563 छात्रों की दोबारा परीक्षा हो चुकी है। क्या हम अभी भी गलत काम करने वालों की तलाश कर रहे हैं। क्या हम छात्रों का पता लगा पा रहे हैं? इसमें बहुत से छात्र शामिल हैं। परीक्षा रद्द करना अंतिम उपाय तब ही होगा जब जांच में सामने आएगा कि लीक कैसे और कहां से हुआ है।

सीजेआई ने पूछा कि हमारी साइबर फोरेंसिक टीम के पास किस तरह की टेक्नोलॉजी है। क्या हम सभी संदिग्ध का एक डेटा तैयार नहीं कर सकते। इस परीक्षा में जो हुआ और हम जो कदम उठा रहे हैं उससे आगे पेपर लीक नहीं होना चाहिए। क्या इस मामले में किसी एक्सपर्ट को शामिल कर सकते है? इस मामले में सेल्फ डिनायल सही नहीं होगा। 

CJI ने पूछा कि हमें ये बात भी देखनी है कि भविष्य में इस तरह की बात न हो। उसको लेकर क्या किया जा सकता है। हम इस प्रतिष्ठित परीक्षा की बात कर रहे हैं। मिडिल क्लास परिवार के अभिभावक बच्चे मेडिकल में जाने के लिए लालायित रहते हैं। आगे कहा गया कि हम सरकार से ये जानना चाहते हैं कि सरकार ने इस मामले में क्या किया है? 100 फीसदी अंक 67 छात्रों को मिले हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि मार्क देने का तरीका क्या है। 

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क्या गलती करने वालों की पहचान करना संभव ?

क्या हम इस डेटा को साइबर फोरेंसिक विभाग में डेटा एनालिटिक्स यूनिट में डालकर पता लगा सकते हैं, क्योंकि हमें यह पहचानना है कि क्या पूरी परीक्षा प्रभावित हुई है, क्या गलती करने वालों की पहचान करना संभव है, ऐसी स्थिति में केवल उन्हीं छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा का आदेश दिया जा सकता है। 

आखिर में सीजेआई ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश सभी वकील इस बात पर अपनी दलीलें पेश करेंगे कि दोबारा परीक्षा क्यों होनी चाहिए और केंद्र तारीखों की पूरी सूची भी देगा और हम इस मामले को बुधवार को सुन सकते हैं। सीबीआई भी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर सकती है।

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