NEW DELHI. लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजें आ चुके हैं। और देश में फिर से NDA की सरकार बनी है। उत्तर प्रदेश में इस चुनाव में बीजेपी और इंडिया गठबंधने के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। इस कांटे के मुकाबले में विपक्ष को अंततः सत्तारूढ़ गठबंधन से ज्यादा सीटें मिलीं। 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में बड़े उलटफेर के बीच समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है। वहीं बीजेपी पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई। इस चुनाव में विपक्षी गठबंधन से सपा को 37 और कांग्रेस के खाते में 6 सीटें गईं। बीजेपी के खाते में 33, RLD को 2 सीटें मिली हैं। प्रदेश में 11 सांसद ऐसे है जिनकी संसद सदस्यता पर तलवार लटक रही है। इन सांसदों पर कई तरह के आपराधिक मामले दर्ज हैं। अगर उन्हें 2 साल से ज्यादा की सजा हुई, तो उनकी सदस्यता जा सकती है।
जानें इन सांसदों पर क्या है आरोप, क्यों जा सकती है सदस्यता
रिपोर्ट के मुताबिक इन सांसदों में 6 इंडी गठबंधन के हैं। इस सांसदों को उनके चल रहे आपराधिक मामलों में दोषी ठहराया जाता है, तो वे अपनी संसद सदस्यता खो देंगे। इनमें सबसे बड़ा नाम गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी का है। जो गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं। मुख्तार की इस साल की शुरुआत में मौत हो गई थी।
सांसदों के नाम और पार्टी
अगला नाम नगीना से आजाद समाज पार्टी से जीते सांसद चंद्रशेखर आज़ाद का है। इनमें जौनपुर से बाबू सिंह कुशवाहा (सपा), सुल्तानपुर से राम भूपाल निषाद (सपा), फतेहपुर सीकरी से राजकुमार चाहर (बीजेपी), चंदौली से वीरेंद्र सिंह (सपा), सहारनपुर से इमरान मसूद (कांग्रेस), आज़मगढ़ से धर्मेंद्र यादव (सपा), हाथरस से अनूप प्रधान (बीजेपी), बिजनौर से चंदन चौहान (आरएलडी), बागपत से राजकुमार संगवान (आरएलडी) और बस्ती से राम प्रसाद चौधरी (सपा) शामिल हैं।
गैंगस्टर एक्ट में अंसारी को 4 साल की सजा
समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के एक मामले में पहले ही चार साल की सजा सुनाई जा चुकी है। हालांकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी सजा पर रोक लगा दी थी, जिससे उन्हें आम चुनाव लड़ने की अनुमति मिल गई। हालांकि, जुलाई में जब अदालत खुलेगी, तब मामले की सुनवाई होगी। अगर अदालत उनकी सजा बरकरार रखती है, तो वे अपनी संसद सदस्यता खो देंगे।
धर्मेंद्र यादव पर 4 केस पेंडिंग
आजमगढ़ सीट से जीतने वाले सपा के धर्मेंद्र यादव के खिलाफ 4 मामले लंबित हैं। बदायूं में दर्ज एक मामले में धर्मेंद्र के खिलाफ कोर्ट में 21 दिसंबर 2023 को आरोप तय हो चुके हैं। अगर उन्हें दो साल की सजा होती है, तो उनकी सदस्यता भी जा सकती है।
चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ 36 मामले
नगीना से आजाद समाज पार्टी से जीतने वाले चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ 36 मामले दर्ज हैं। चार अलग-अलग मामलों में कोर्ट में इन पर आरोप तय हो चुके हैं। ज्यादातर मामलों में गंभीर धाराएं जोड़ी गई हैं, ऐसे में अगर इन मामलों में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा हुई, तो उनकी संसद सदस्यता जा सकती है।
राम भुआल निषाद के खिलाफ 8 मामले
सुल्तानपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मेनका गांधी को हराकर जीतने वाले रामभुआल निषाद आठ मामलों में आरोपी हैं। उनके खिलाफ भी 8 मामले दर्ज हैं. उनके खिलाफ गोरखपुर में गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज है. वह जानलेवा हमले के दो मामलों के भी आरोपी हैं। इन मामलों में सजा होने पर निषाद की भी सांसदी जा सकती है.
मसूद पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस
सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमराम मसूद पर 8 केस दर्ज हैं। इसमें ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी है। मसूद के खिलाफ दो मामलों में आरोप तय हो चुके हैं। ED की जांच भी तेजी से आगे बढ़ रही है।
हाथरस के बीजेपी सांसद अनूप प्रधान पर भी एक केस
सपा और कांग्रेस के साथ बीजेपी के कुछ सांसदों पर सदस्यता पर तलवार लटक रही है। इमनें हाथरस के बीजेपी सांसद अनूप प्रधान शामिल हैं। अनूप प्रधान पर गंभीर धाराओं का एक केस दर्ज है। आरोप तय किए जा चुके हैं। फैसला आना बाकी है। लिहाजा उनपर भी सदस्यता खोने का खतरा है।
बाबू सिंह कुशवाहा पर आय से अधिक संपत्ति का मामला
जौनपुर सीट से जीते समाजवादी पार्टी सांसद बाबू सिंह कुशवाहा पर NRHM में घोटाले का आरोप है। उन पर आय से अधिक संपत्ति के मामलें भी दर्ज हैं, उनके खिलाफ कुल 25 केस दर्ज हैं। इनमें से 8 मामलों में आरोप तय हो चुके हैं। कुशवाहा के खिलाफ CBI और ED ने भी केस दर्ज किया है।
वीरेंद्र सिंह पर 3 मामले दर्ज
सपा नेता वीरेंद्र सिंह ने चंदौली से बड़ी जीत हासिल की। उन्होंने केंद्रीय मंत्री डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय को 23 हजार वोटों से हराया. वीरेंद्र सिंह के खिलाफ गंभीर धाराओं के 3 मामले दर्ज हैं। एक मामले में 19 जुलाई 2023 को उन पर आरोप तय हुए हैं। ऐसे में उन पर भी संसद सदस्यता जाने का खतरा है।
चंदन चौहान के खिलाफ 3 केस
आरएलडी के चंदन चौहान उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री नारायण सिंह के पोते हैं। उनके पिता संजय चौहान भी बिजनौर सीट से सांसद रह चुके हैं। इन पर 3 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
आरएलडी के राजकुमार पर 3 केस
बागपत से आरएलडी सांसद राजकुमार सांगवान के खिलाफ भी 3 आपराधिक केस दर्ज हैं। आरोप तय नहीं हुए हैं।
क्यों जा सकती है सदस्यता?
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अधिनियम 8(3) के मुताबिक, अगर किसी सांसद को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो उसे अपनी सदस्यता छोड़नी होगी। इसके साथ ही वो 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य रहेगा। गौरतलब है कि आपराधिक मामलों में दोषी पाए जाने के बाद कई नेताओं को अपनी सदस्यता खोनी पड़ी है।
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