NEW DELHI. कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। विपक्षी नेता इस मुद्दे को लेकर लगातार मोदी सरकार को घेर रहे हैं। राहुल गांधी ने हाल ही में इस मुद्दे को संसद में उठाया था। अब मोदी सरकार के सहयोगी ही जाति जनगणना के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी जाति जनगणना की मांग की है। अब अनुप्रिया भी राहुल-अखिलेश की राह पर चल पड़ी हैं।
आउटसोर्सिंग कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक
एनडीए की सहयोगी अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने आउटसोर्सिंग से हो रही भर्तियों पर सवाल खड़े किए हैं। लखनऊ में पार्टी की बैठक में अनुप्रिया पटेल ने कहा कि आउटसोर्सिंग कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक है। आउटसोर्सिंग में आरक्षण का मानक लागू नहीं किया जाता है, यह पिछले वर्ग के लिए कैंसर जैसा ही है।
"जातीय जनगणना होनी ही चाहिए" - केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल।
— Nitin Agarwal (@nitinagarwalINC) August 5, 2024
अब मोदी सरकार के मंत्री भी नेता विपक्ष राहुल गांधी जी के समर्थन में उतर रहे है 🔥 pic.twitter.com/7XyoQd3l4w
आरक्षण नियमों का नहीं हो रहा पालन
लखनऊ में सहकारिता भवन में आयोजित पार्टी की बैठक में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना करने की मांग करते हुए कहा कि आरक्षण के नियमों का पालन नहीं हो रहा है। दबे, कुचले, वंचित समाज के लोग जो चतुर्थ श्रेणी जैसे पदों पर पहले भर्ती होते थे इस व्यवस्था से वह भी बंद हो गया है। आउटसोर्सिंग के माध्यम से भी होने वाली भर्तियों में आरक्षण का पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा है कि देश में जातीय जनगणना होनी ही चाहिए।
ये खबर भी पढ़ें...MP के निजी स्कूलों को हाईकोर्ट से झटका, फीस रिफंड के खिलाफ दायर याचिका खारिज
जातीय जनगणना की उठाई मांग
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि दबे, कुचले व वंचित समाज को उनका हक, सम्मान व भागीदारी देनी है तो जातियों की संख्या का अधिकृत आंकड़ा होना जरूरी है। आगे कहा कि जातिगत जनगणना से ही समाज का विकास संभव है। केंद्रीय मंत्री ने मांग रखी कि देश में न्यायिक सेवा आयोग का गठन किया जाए और न्यायपालिका में समाज के सभी वर्ग को प्रतिनिधित्व मिले।
न्यायिक सेवा के गठन की मांग
उन्होंने कहा कि पार्टी न्यायपालिका में वंचितों की भागीदारी को लेकर चिंतित रहती है, राष्ट्रपति भी इस बात पर चिंतित हैं। अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन होना चाहिए। इस सेवा के माध्यम से होने वाली परीक्षा में जो उत्तीर्ण हों उन्हें न्यायपालिका में काम करने का मौका मिले। देश में नीचली से लेकर सर्वोच्च अदालत तक बड़ी तादाद में वैकेंसी है। न्यायाधीशों की पर्याप्त संख्या नहीं होने से आमजन को न्याय मिलने पर विलंब हो रहा है।
thesootr links
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें